हिल एरिया इंजीनियरिंग से स्टूडेंट्स का किनारा
- एमएमएमयूटी में बीटेक हिल एरिया इंजीनियरिंग की सभी सीटें रह गई खाली
- जबकि आस-पास और नेपाल में है इसका जबरदस्त स्कोपGORAKHPUR : कुछ अलग और कुछ नया करना ही इंजीनियर्स की क्वालिटी मानी जाती है, लेकिन गोरखपुर की कंडीशन में बात इसके बिल्कुल उलट है। यहां पर अलग और यूनिक कोर्स होने के बाद भी स्टूडेंट्स इससे किनारा करते नजर आ रहे हैं। इंडिया के बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशन में भी जो कोर्स अभी सोचे नहीं गए है, उन्हें मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंडक्ट किया जा रहा है और उसमें एमटेक की डिग्री भी प्रोवाइड कराई जा रही है। मगर यूनिट और अलग होने के बाद भी स्टूडेंट्स इससे कतरा रहे हैं। यही वजह है कि एमटेक की सबसे यूनिक स्ट्रीम 'हिल एरिया इंजीनियरिंग' में डिग्री मिलने के बाद भी स्टूडेंट्स ने उसमें एडमिशन नहीं लिया, नतीजा इस कोर्स में मौजूद सभी सीटें खाली रह गई।
भरने की शुरु हुई कवायद
सिटी की ओर से फीके रिएक्शन के बाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अब आगे सोचना शुरु कर दिया है। इन सीट्स को भरने के लिए अब दूसरे तरीके अपनाए जा रहे हैं। एमएमएमयूटी के वीसी प्रो। ओंकार सिंह ने बताया कि बेस्ट कोर्स होने के साथ ही पूर्वाचल के एरियाज में इसका काफी स्कोप भी है, क्योंकि यहां पर आस-पास में बहुत हिल एरियाज मौजूद हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यहां के पड़ोसी देश नेपाल में भी हिल एरियाज की भरमार है, तो इस कोर्स के लिए आस-पास की यूनिवर्सिटीज के साथ पड़ोसी मुल्क से भी ब्रॉड वे में इसकी खूबियां डिस्क्राइब की जाएंगी, जिससे इस यूनिक और स्पेशल स्ट्रीम में इंटरेस्ट रखने वाले स्टूडेंट्स अपना फ्यूचर संवार सकें।
यूपी में हिल एरियाज की भरमार यूपी में हिल एरिया की भरमार है, सिर्फ यहीं पर नहीं बल्कि आस-पास में कई ऐसी जगह हैं जहां हिल एरियाज है। अब इन एरिया को किस तरह से डेवलप करना है? इसके लिए क्या सही वक्त होगा? क्या किया जाए कि इसका सही तरीके से डेवलपमेंट हो? इसकी स्ट्रैटजी तो सरकार बनाती है, जिसके लिए इंजीनियर्स की भी जरूरत होती है। इंडिया में एक मात्र एमएमएमयूटी एक ऐसा इंस्टीट्यूशन हैं जहां हिल एरिया के डेवलपमेंट इंजीनियरिंग में एमटेक डिग्री दी जाती है। इंडिया में सबसे अलग और यूनिक डिग्री मिलने के बाद भी स्टूडेंट्स इससे किनारा करते नजर आ रहे हैं। डिग्री जो जरा हटकरवैसे तो पूरे इंडिया में हजारों ऐसे इंस्टीट्यूट हैं जहां से इंजीनियर्स निकलते हैं। यह सभी इंजीनियर्स अपनी-अपनी ब्रांच में सक्सेज भी हासिल करते हैं। लेकिन एमएमएमयूटी एक ऐसा इंस्टीट्यूशन है जो स्टूडेंट्स को हर इंस्टीट्यूशन से जरा हटकर डिग्री प्रोवाइड करता है। यूनिवर्सिटी में एमटेक की सिर्फ हिल एरियाज में नहीं बल्कि क्0 अलग-अलग ब्रांच में स्टूडेंट्स को डिग्री दी जाती है, जो पूरे यूपी में कहीं भी नहीं दी जाती। एडमिशन कोऑर्डिनेटर डॉ। बीएस राय ने बताया कि इसके लिए सरकार से क्98ख् में ही अप्रूवल मिल चुका था। मौजूदा वक्त में हिल एरिया डेवलपमेंट इंजीनियिरिंग की क्8 सीटें हैं, जोकि खाली हैं।
सिविल की ब् ब्रांच में होती है इंजीनियरिंग कॉलेज में पहले जीबीटीयू से एप्रूव्ड कोर्स ही चलाए जाते रहे हैं, जो यूनिवर्सिटी बनने के बाद भी लागू हैं। इसमें स्टूडेंट्स को सिविल इंजीनियरिंग की ब्, इलेक्ट्रिकल की क्, इलेक्ट्रॉनिक्स की ख्, मेकेनिकल की क् और कंप्यूटर साइंस की ख् ब्रांच में मास्टर ऑफ टेक्नालॉजी की डिग्री प्रोवाइड की जाती है। इसमें एंवायरमेंटल इंजीनियरिंग, हिल एरिया डेवलपमेंट इंजीनियरिंग, सेसमिक डिजाइन एंड अर्थक्वेक इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, पॉवर इलेक्ट्रानिक्स एंड ड्राइव, डिजिटल सिस्टम, कम्यूनिकेशन, कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग और इंफॉरमेशन टेक्नालॉजी में एमटेक की डिग्री दी जाती है।