- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चार साल पहले ही हो चुकी है आई बैंक की स्थापना

- लाइसेंस के साथ ही आई बैंक एसोसिएशन में रजिस्टर्ड हो चुका है आई बैंक

- आई बैंक नहीं शुरू होने से न आंख डोनेट कर सकते और न हीं ले सकते हैं लोग

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गोरखपुर ही नहीं, बिहार से लेकर नेपाल तक के लोगों के लिए उम्मीद की बड़ी किरण है। लेकिन, खुद बीआरडी के आई बैंक की उम्मीद को 'रोशनी' नहीं मिल पा रही। चार साल पहले ही आई बैंक को लाइसेंस मिल गया, आई बैंक एसोसिएशन से रजिस्ट्रेशन भी हो गया लेकिन अभी तक यह शुरू नहीं हो सका है। यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाने के कारण न तो यहां के लोग आई डोनेट कर पा रहे हैं और ना ही जरूरत पड़ने पर उन्हें आंखें मिल पा रही हैं। अभी तक गोरखपुर में इसकी सुविधा सिर्फ एक निजी अस्पताल में है लेकिन सरकारी अस्पताल में अभी यह सुविधा नहीं है।

चार साल पहले हुई पहल

नेत्रहीनों की समस्या दूर करने के लिए प्रदेश भर में नेत्रहीन राष्ट्रीय नियंत्रण अभियान चलाया गया। इसी क्रम में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नेत्रहीनों की मदद के लिए आई डोनेशन बैंक खोलने की पहल हुई। चार साल पहले प्रयास रंग लाया और शासन की ओर से इसके लिए अनुमति मिल गई। लाइसेंस भी मिल गया। उधर, आई एसोसिएशन की तरफ से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर ली गई तो आई बैंक चालू करने के लिए हरी झंडी मिल गई।

जरा सी समस्या के लिए लटका बैंक

आई बैंक के लिए बड़े ही जोर-शोर से कोशिश शुरू हुई। बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से इसके लिए एक कमरा भी दे दिया गया। लेकिन सबकुछ होने के बावजूद भी आई बैंक नहीं खुल पाया। बताते हैं कि शासन की तरफ से मानव संसाधन नहीं दिए जाने की वजह से योजना अधर में लटकी हुई है। यानी, यदि सिर्फ कुछ एंप्लाइज और इंस्ट्रूमेंट मिल जाएं तो आई बैंक काम करने लग जाएगा।

इसलिए है इम्र्पोटेंट

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्राय: हर मर्ज का इलाज उपलब्ध है। दूर-दराज से आने वाले यहां इस उम्मीद में पहुंचते हैं कि आई कैंप भी यहां जरूर होगा लेकिन यहां आने पर उन्हें निराशा हाथ लगती है। शहर में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में तो यह सुविधा है लेकिन वह काफी महंगी होने के कारण आम लोगों की पहुंच से दूर है। यदि बीआरडी में इसकी सुविधा हो जाए तो गरीब घरों के चिराग भी रोशन हो सकें।

ऐसे कर सकते हैं डोनेट

- मृत्यु के छह घंटे के अंदर आंखें ली जानी चाहिए। इसलिए नजदीक के नेत्र बैंक या कार्निया सर्जन को सूचना देने में लेट ना करें।

- नेत्र बैंक का कर्मी डॉक्टर या तकनीकी विशेषज्ञ के साथ दानकर्ता के घर पहुंचता है।

- आंख या ब्लड का सैंपल ले लेता है।

- बैंक पर ही आंख की कार्निया की जांच होती है।

- जितनी जल्दी होती है उसे आई सर्जन के इस्तेमाल के लिए भेज दिया जाता है।

- नेत्रदान में आंख का सिर्फ कार्निया या उसके सफेद हिस्से का प्रत्यारोपण किया जाता है।

यह है कॉर्निया ट्रांसप्लांट

कार्निया बदलने की प्रक्रिया को नेत्र प्रत्यारोपण या कॉर्निया ट्रांसप्लांट कहा जाता है। केरोटोकोनस में कार्निया के आगे का हिस्सा बदला जाता है। इसे कार्निया ट्रांसप्लांट कहते हैं। हालांकि पर्दा प्रत्यारोपण का विधि अभी तक विकसित नहीं हुई है। कार्निया ट्रांसप्लांट के लिए किसी मृत व्यक्ति की स्वच्छ कार्निया का इस्तेमाल किया जाता है।

वर्जन

चार साल पहले ही आई बैंक के लिए अनुमति मिल गई थी। सिर्फ मानव संसाधन नहीं मिलने की वजह से यह सेवा चालू नहीं हो पाई है। इसके लिए कई बार शासन को डिमांड भेजा गया है। प्रस्ताव पास होने के बाद कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू कर दी जाएगी।

- डॉ। राम कुमार जायसवाल, नेत्र रोग विशेष, विभागाध्यक्ष, बीआरडी

Posted By: Inextlive