GORAKHPUR: सहजनवां एरिया के गीडा स्थित चप्पल फैक्ट्री में गुरुवार आधी रात लगी आग की लपटें 36 घंटे बाद भी शांत नहीं हुई है. 45 कर्मचारी लगातार आग को काबू करने की कोशिश में लगे हैं. दो दिनों के भीतर सौ से अधिक टैंकर पानी सोख चुकी फैक्ट्री धुआं उगल रही है. शुक्रवार रात करीब तीन बजे डीजी फायर कंट्रोल से अग्निशमन दस्ता पहुंचा. आधुनिक सुविधाओं से लैस दस्ते के पहुंचने पर आग की रफ्तार रोकने में मदद मिली. लेकिन रबर फैक्ट्री में लगी आग को पूरी तरह से शांत नहीं किया जा सका. एमडी मोहम्मद आजम खां ने बताया कि करोड़ों रुपए का नुकसान होने से कमर टूट गई है. बिजनेस शुरू करने में काफी वक्त लग जाएगा. कमिश्नर अनिल कुमार भी फैक्ट्री पहुंचे. एमडी ने शार्ट से आग लगने की तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है.


लखनऊ से तीन बजे पहुंची गाड़ीसहजनवां एरिया के छपिया निवासी मोहम्मद आजम खां की गीडा के सेक्टर 13 में 19 साल पुरानी आजम रबर प्रोडक्ट्स नाम से फैक्ट्री है। गुरुवार रात करीब सवा 11 बजे फैक्ट्री में अचानक आग लग गई। कर्मचारियों की सूचना पर पुलिस, फायर ब्रिगेड के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। लेकिन बेकाबू आग को काबू करने में नाकाम रहे। दमकल की छह गाडिय़ां लग गई। एयरफोर्स और एनएचआई से फायर ब्रिगेड की गाड़ी मंगाई गई। बावजूद इसके आग को काबू करने में कर्मचारी नाकाम रहे। डीजी फायर कंट्रोल से गाड़ी की डिमांड की गई। रात तीन बजे लखनऊ से गाड़ी पहुंची।सऊदी अरब तक होती है सप्लाई


फैक्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि ढाई सौ अधिक डिजाइन के फूट वियर बनाए जाते हैं। तीन सौ रुपए प्रति पीस के फूट प्रोडेक्ट्स सेल्स टैक्स से फ्री है। गीडा में बने प्रोडेक्ट्स यूपी, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा सहित कई जगहों पर माल भेजा जाता है। यहां से सऊदी अरब तक सप्लाई की जाती है। कंपनी में तीन शिफ्टों में कर्मचारी काम करते हैं। लोडिंग और पैकिंग के लिए दो शिफ्ट में वर्क लिया जाता है। एमडी से लेकर फोर्थ क्लास इम्पलाई तक 12 सौ की तादाद में कर्मचारी हैं। एमडी पर लोन, फैक्ट्री इंश्योरड

फैक्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि हर साल करीब दो सौ करोड़ का टर्नओवर है। 2015-16 में 225 करोड़ रुपए का टर्न ओवर था। इसमें बनने वाले प्रोडेक्ट्स और फैक्ट्री का अलग- अलग इंश्यारेंस होता है। एक नजर में फैक्ट्री - वर्ष 1997 में गीडा के सेक्टर 13 में फैक्ट्री बनी - एमडी से लेकर कर्मचारी तक करीब 12 सौ वर्कर - एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लाक के अलावा तीन ब्लाक के 6 सेक्शन में पूरी फैक्ट्री - तीन ब्लाक की फैक्ट्री तीन मंजिला बनी है। - सभी ब्लाक दो पार्ट में बांटे गए हैं- ऊपरी मंजिल पर गोदाम, बीच के हिस्से में पैकिंग और सबसे नीचे मशीनें लगी हैं। - सालाना टर्न ओवर दो सौ करोड़ के आसपास - प्रोडक्ट्स पर करीब 54 करोड़ रुपए का इंश्योरेंस - बिल्डिंग के लिए अलग से 57 करोड़ रुपए का इंश्योरेंस इन कमियों से बढ़ी समस्या फैक्ट्री में लगी आग को काबू करने में फायर कर्मचारियों की हालत खराब हो गई। मुख्य अग्निशमन अधिकारी सूर्यनाथ प्रसाद ने बताया कि फैक्ट्री के ब्लाक बिल्कुल करीब होने से आग को कंट्रोल करने में प्रॉब्लम सामने आई।- फैक्ट्री के दरवाजे छोटे, खिड़कियों पर लोहे के राड और जाली का पैक

- खिड़कियों के आसपास बने सामान से भरे गत्तों का स्टॉक रखा गया था। इस वजह से पानी टकराकर गत्तों से लौटकर बाहर आ जाता था।- रबर में लगे केमिकल ने आग को बढ़ाने का काम किया। - फैक्ट्री में दीवारों के फटने से कभी ढहने का खतरा बढ़ा - फैक्ट्री में आग बुझाने का प्रॉपर इंतजाम न होने से समस्या आई। फैक्ट्री की आग बुझाने की कोशिश की जा रही है। दमकल की गाडिय़ों के साथ फायरमैन लगातार काम कर रहे हैं। रबर प्रोडेक्ट होने से आग को काबू करने में मुश्किल आई। आग को काबू कर लिया गया है। लेकिन भारी मात्रा में स्टॉक जलने से धुआ उठ रहा है।सूर्यनाथ प्रसाद, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

Posted By: Inextlive