तमंचा तलवार चाकू लाठी डंडा चलाने वाले हाथ अब कलम चला रहे हैं. उम्र भले ही 40 पार हो गई हो लेकिन क्लास फस्र्ट से उन्हें पढ़ाया जा रहा है. वहीं जिला कारागार में सजा काट रहे मुजरिम और अन्य बंदियों के लिए प्रतिदिन प्राइमरी पाठशाला लगाई जा रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। जिसमे बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से एक शिक्षक की डयूटी लगाई गई है। सुबह दो घंटे आठ से 10 बजे तक जेल में शिक्षक बंदियों को पढ़ाते हैं। वहीं बंदी भी बड़े चाव से कॉपी किताब और पेन लेकर शिक्षक द्वारा बताई गई बातों सुनते और लिखते हैं। बढ़ रही संख्या जेल में पाठशाला शुरू हुई तो पढऩे के लिए बंदियों की संख्या भी तेजी से बढऩे लगी। शुरू-शुरू में संख्या चार सौ के करीब थी। वर्तमान में छह से अधिक बंदी जेल की पाठशाला में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसमे ढाई सौ बंदी ऐसे भी हैं जो अपराध के रास्तों पर इस कदर निकले कि इनका कभी कॉपी किताब से वास्ता नहीं पड़ा। कॉपी के साथ कक्षा 3 से लगाए 8 तक की किताबें बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से जेल में भेजी गई हैं। जिन्हें बंदियों में वितरित कर दिया गया है।


सजा काट रहे बंदी भी ले रहे शिक्षा

जेल में करीब तीन सौ बंदी सजा काट रहे हैं। इसमे कई बंदी उम्रदराज भी हो गए है। यह कैदी अब पढ़ाई कर रहे हैं। कैदी श्रृंचल, चंदर और मिथलेस क, ख, ग घ भी नहीं पढ़े हैं। अब जेल में क, ख, ग, घ के साथ ही ए, बी, सी, डी पढ़ रहे हैं। पढ़ाई के हिसाब से ही बंदियों को अलग-अलग वर्ग में बांट दिया गया है। होमवर्क देते हैं शिक्षकजिस तरह बच्चों की पढ़ाई होती है, उसी तरह जेल में भी शिक्षक बंदियों को पढ़ाते हैं, उन्हें होम वर्क भी देते हैं। दूसरे दिन बंदियों के होम वर्क चेक कर अच्छा करने वाले बंदी की कॉपी में गुड लिखते हैं। इससे बंदियों का भी मनोबल बढ़ता है। सिद्ध दोष बंदी-368महिला--36विचाराधीन बंदी--1383महिला-67किशोर-57विदेशी बंदी पुरुष--07कुल बंदियों की संख्या--1914 जिला कारागार में अनपढ़ कैदियों को शिक्षित बनाने की पहल शुरू कर दी गई है। जेल में पाठशाला शुरू करने के बाद से ही बंदियों के आचार व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। दिलीप कुमार पांडेय, जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive