जरूरतमंदों के लिए शुरू की गई आयुष्मान योजना अस्पतालों में परवान नहीं चढ़ पा रही है. चाहे गवर्नमेंट हॉस्पिटल हों या प्राइवेट. आयुष्मान कार्ड होल्डर को फ्री इलाज नहीं मिल पा रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।आयुष्मान जन आरोग्य स्कीम से बड़ी संख्या में हॉस्पिटल जुड़ तो गए हैं, लेकिन पहले पेशेंट्स और उनके अटेंडेंट को जांच के नाम पर भारी भरकम फीस चुकानी पड़ती है और इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।अप्रूवल मिलने तक करना पड़ता इंतजार आयुष्मान जन आरोग्य स्कीम से शहर के लगभग 171 हॉस्पिटल आयुष्मान सूचीबद्ध है। जहां पर आयुष्मान कार्ड होल्डर का इलाज 5 लाख रुपए तक फ्री है। सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हर हॉस्पिटल पर एक-एक आयुष्मान मित्र भी तैनात हैं। वह पहले आयुष्मान कार्ड को चेक करते हैं कि आप का कार्ड वैलिड है या नहीं। इसके बाद प्रॉसेस पूरा करवाते है। इसके बाद अप्रूवल मिलने का इंतजार करते हैं। जब तक इलाज के लिए आयुष्मान होल्डर को वेट करना पड़ता है। इसका फायदा हॉस्पिटल संचालक उठाते हैं और जांच के नाम पर अच्छी खासी फीस वसूल कर लेते हैं।


एम्स में सुविधा नहीं

एम्स आयुष्मान भारत स्कीम में सूचीबद्ध नहीं किया जा सका है। जबकि सात जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन पर एम्स में जगह-जगह आयुष्मान स्कीम के बोर्ड व बैनर लगाए गए थे। बाद में उन्हें उठाकर एक किनारे रख दिया गया। जबकि नेपाल व बिहार से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। एम्स मीडिया प्रभारी पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि उपलब्ध जनशक्ति और संसाधनों के साथ पेश किए जा सकने वाले पैकेजों का आकलन करने के लिए समिति का गठन किया गया है। कुछ पैकेजों की पहचान की गई है। इसमें छह माह लगेगा। 19 लाख का टारगेट 171 हॉस्पिटल सूचीबद्ध 5 लाख रुपए तक का मिलता फ्री इलाज 7.54 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड होल्डर 1.38 लाख आयुष्मान कार्ड होल्डर का मिल चुका है इलाज केस 1देवरिया के 32 वर्षीय आनंद कुमार चतुर्वेदी के दोनों कुल्हे 20 वर्ष से मुड़ नहीं रहे थे। उनका खड़ा होना भी मुश्किल है। कई हॉस्पिटल में इलाज कराने के बाद वह दो वर्ष से एम्स में दिखा रहे हैं। पिछले सप्ताह उन्हें डॉक्टर ने हड्डी रोग वार्ड में भर्ती कर लिया। आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी ऑपरेशन के लिए उनसे 1.25 लाख रुपए जमा करा लिए गए।केस 2इंदिरा नगर की 39 वर्षीय ईशा चौहान को छाती में गांठ है। वह कैंसर विभाग में भर्ती हैं, उनका भी ऑपरेशन होना है। उन्हें भी बताया गया, यहां आयुष्मान स्कीम की सुविधा नहीं है। आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। केस 3

शाहपुर के अजय सिंह की मां का कूल्हा फ्रेक्चर हो गया था। आयुष्मान से सूचीबद्ध हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। आयुष्मान कार्ड होने के बाद में जांच पर करीब 20 हजार रुपए खर्च करवा दिया गया। अप्रूवल के लिए उन्हें तीन दिन तक वेट करना पड़ा। इसके बाद ऑपरेशन किया जा सका।केस 4बेलघाट निवासी अमोद कुशवाहा के पिता को हार्ट प्रॉब्लम थी। उन्हें एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया। जहां जांच के नाम पर पहले 25 हजार रुपए खर्च करने पड़े। इसके बाद अप्रूवल मिलने के बाद भी इलाज संभव हो सका। प्रधानमंत्री आयुष्मान जन आरोग्य स्कीम के तहत आयुष्मान कार्ड होल्डर को 5 लाख रुपए का इलाज फ्री है। स्कीम से करीब 171 हॉस्पिटल लिस्ट में शामिल हैं। यदि जांच के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं तो गलत हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। डॉ। अनिल सिंह, डिप्टी सीएमओ

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