हॉस्पिटल में बढ़ने लगे हिट स्ट्रोक के मरीज
-जिला अस्पताल में प्रतिदिन दो हजार मरीजों का होता है रजिस्ट्रेशन
-सिर्फ मेडिसिन व स्कीन रोग विभाग में हर रोज एक हजार की ओपीडी -बुखार, जुखाम, खांसी, दमा व ब्लड प्रेशर, फंग्ल इंस्फेक्शन के मरीज बढ़े GORAKHPUR: जिले में अचानक गर्मी बढ़ने के कारण हिट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। वहीं उल्टी, दस्त, बुखार, जुखाम, खांसी की भी शिकायत लोगों में बढ़ी है। साथ ही जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की काफी संख्या बढ़ने लगी है। गुरुवार को जिला अस्पताल की ओपीडी में 1500 से 2000 हजार मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया। जिसमें मेडिसिन व स्कीन रोग विभाग में करीब 900 मरीज देखे गए। इनमें गर्मी के कारण उल्टी-दस्त की शिकायत वाले भी मरीज शामिल है। ओपीडी में दोगुनी हो गई मरीजों की संख्याजिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है। अस्पताल में पहले जहां करीब एक हजार मरीज पहुंचते थे, वहीं इस समय यहां संख्या बढ़कर दो हजार या इससे भी अधिक हो गई है। सामान्य ओपीडी से लेकर बाल रोग की ओपीडी तक, सभी जगह मरीज बढ़ गए है। गर्मी से मरीज और तीमारदार सब बेहाल है। अस्पताल की ओपीडी में पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज उल्टी, दस्त, डिहाइड्रेशन के शिकार हैं। इसमें बच्चों और युवाओं की संख्या अधिक है। विशेषज्ञों की मानें तो तेज धूप की चपेट में आने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। इस समय गर्मी के कारण बुखार, खांसंी, दमा, एलर्जी, ब्लड प्रेशर, फेफड़े, पेट से संबंधित मरीज की संख्या बढ़ी है। वहीं स्कीन रोग विभाग में भी फंग्ल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या मे ंभी बढ़ोत्तरी हुई है।
ओपीडी में सबसे ज्यादा हीट स्ट्रोक के मरीज जिला अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ। बीके सुमन ने बताया कि ओपीडी में पहुंचने वाले 60 से 70 फीसदी मरीज हीट स्ट्रोक या फिर जलजनित बीमारियों से पीडि़त हैं। इनमें से कुछ गंभीर मरीजों को तुरंत भर्ती कराना पड़ता है। जहां सामान्य दिनों में ओपीडी 600 के करीब होती थी, लेकिन अब एक हजार से ऊपर पहुंच गई है। स्कीन रोग विभाग के डॉ। नवीन वर्मा ने बताया कि इन दिनों फंग्ल इंफेक्शन, सनबर्न, चिकेनपाक्स के मरीजों की संख्या अधिक हुई है। हीट स्ट्रोक के लक्षण हीट स्ट्रोक में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है -दौरे पड़ने लगते हैं। -गफलत में मरीज उलटा-सीधा बोलने लगता है -ब्लड प्रेशर कम हो जाता है -कई मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती हैरोकथाम या बचाव
थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो हीट स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। -एक लीटर पानी या नींबू पानी के घोल का सेवन करना चाहिए। -गर्मी में सफर करने के दौरान चश्मे, हेलमेट और सिर पर कपड़े का प्रयोग करना चाहिए। -इस मौसम में ढीले और हीट से बचाने वाले हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिए। -फील्ड में यदि कोई गिर जाए तो उसे उल्टा कर देना चाहिए, जिससे दिमाग में गर्मी ने चढ़ पाए। -जहां तक संभव हो तेज धूप में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। -खुले में फल या खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। - शुद्ध पेयजल या आरो वाटर का ही सेवन करें। फैक्ट फिगर -अस्पताल में हर रोज रजिस्ट्रेशन की संख्या --1500 से 2000 -उल्टी, दस्त, बुखार, जुखाम, खांसी, ब्लड प्रेशर, दमा, पेट से संबंधित बीमारी के मरीज की संख्या--550 -स्कीन रोग विभाग में प्रतिदिन मरीजों की संख्या--300 गर्मी की वजह से रोजाना पहुंच रहे मरीज--600