गोरखपुर... मैं आपका नया खाद कारखाना हूं. मेरी टेक्नालॉजी काफी उम्दा किस्म की है. अमेरिका और जापान की टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करते हुए मुझे नए सिरे से तैयार किया गया है. 10 जून 1990 को हुए एक्सीडेंट के बाद की बदनसीबी झेली है. एक हादसे के बाद कैसे मेरा तिनका-तिनका बिखर गया. वो मैंने सबकुछ देखा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। इसलिए नए निर्माण के लिए मैंने इतिहास से सबक लिया है। मेरी उम्मीदें और सपने फिर से जवां हुए हैं। मेरी मशीनें जब चलेंगी तो खेतों में जहां हरियाली लहलहाएगी तो बेरोजगारों के चेहरों पर मुस्कान भी बिखरेगी। क्योंकि मैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि 7 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों में इनॉगरेशन होगा, जिसके साक्षी लाखों लोग बनेंगे। मेरे काम करने पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। मेरी खूबियां भी जानों- सभी मशीनें हाई टेक्नोलॉजी से बनी हुई है। - अफसरों, कर्मचारियों और पब्लिक की सुरक्षा पूरा ध्यान रखा गया है। - फैक्ट्री में अमोनिया गैस का रिसाव होने पर अलार्म बज उठेगा। पानी की फुहार ऑटोमेटिक पडऩे लगेगी।- रिसाव वाली जगह पर आगे-पीछे अमोनिया को रोक दिया जाएगा।


- यूरिया बनाने से लेकर बोरे में पैक करने और रेलवे के रैक तक ले जाने की पूरी प्रोसेस ऑटोमैटिक होगी। - फैक्ट्री की मशीनों को अमेरिका और जापान से मंगाया गया है। मेरी मशीनों की यह है खासियत कार्बामेट कंडेंसर: 521 टन वेट के मशीन की लंबाई 29.9 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.9 मीटर है।

अमोनिया कनवर्टर: कुल 574 टन है। यह मशीन सबसे वजनी और लंबी है। कुल लंबाई 36 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.61 मीटर है। यूरिया स्ट्रिपर: 361 टन वेट की मशीन की लंबाई 15.7 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.9 मीटर है। यूरिया रिएक्टर: 352 टन वजन वाली इस मशीन की लंबाई 27.4 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.4 मीटर है। कब, क्या-क्या हुआ मेरे साथ फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के खाद कारखाने की स्थापना 20 अप्रैल 1968 को हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका शुभारंभ किया। यह कारखाना एफसीआई की देश की पांच यूनिटों में से एक था।वर्ष 1990 तक खाद कारखाना चला। 10 जून 1990 को एक हादसे में मेघनाथ सिंह नामक कर्मचारी की मौत हो गई। कारखाना में प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाकर लोगों ने कामकाज ठप कर दिया। यह मामला बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआईएफआर) में चला गया।तत्कालीन सरकार ने 18 जुलाई 2002 को गोरखपुर खाद कारखाने को बंद करने का फैसला लिया। फर्टिलाइजर में काम करने वाले 2400 कर्मचारियों को वालंट्री सेपरेशन स्कीम (वीएसएस) के तहत हटा दिया गया।

30 अक्टूबर 2008 को केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में एफसीआई के सभी पांच कारखानों और हिंदुस्तान उर्वरक निगम लिमिटेड के तीन कारखानों के पुनरूद्धार योजना को स्वीकृति मिली। केंद्र सरकार ने 10 मई 2013 को एक बड़ा निर्णय लेते हुए गोरखपुर सहित सभी पांच कारखानों पर कर्ज और ब्याज का कुल 10,644 करोड़ रुपया माफ कर दिया। वर्ष 2014 में मोदी सरकार ने बरौनी और गोरखपुर खाद कारखाने को चलाने के लिए ग्लोबल टेंडर के जरिए प्राइवेट फर्म को न्यौता दिया। इसके लिए 27 अप्रैल 2015 को नीति आयोग की समिति गठित की गई।खाद कारखाने के लिए 26 अगस्त 2015 को रिक्वेस्ट ऑफ क्वालिफिकेशन, 17 सितंबर 2015 को इन्टेस्ट ऑफ एक्सप्रेशन और 8 सितंबर 2015 को पूर्व बोली सम्मेलन किया गया। लेकिन एक एप्लीकेंट के आने से उसे निरस्त करना पड़ा था। इसके बाद पीएम मोदी ने गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी यूरिया कारखाने को चलाने के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), इंडियन आयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), एफसीआई और एचएफसीएल की जॉइंट वेंचर कंपनी बनाने की बात की। जॉइंट वेंचर कम्पनी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) बना। गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में नए खाद कारखानों के बनाने के लिए काम शुरू हुआ। 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाना का शिलान्यास पीएम मोदी ने किया। गोरखपुर का अटल विकास
शुभारंभ - 07 जुलाई 2021, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से प्रस्तावित है। शिलान्यास - 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथोंसंचालनकर्ता - हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेडकार्यदायी संस्था - टोयो जापानकुल बजट - करीब 8000 करोड़ रुपए यूरिया प्रकार - नीम कोटेडप्रीलिंग टावर - 149.5 मीटर ऊंचारबर डैम का बजट- 30 करोड़रोजगार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष - 10 हजाररोजाना यूरिया उत्पादन - 3850 मीट्रिक टनरोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन -2200 मीट्रिक टन

Posted By: Inextlive