व्यवस्था में लूपहोल, निशाने पर मरीज
-बीआरडी मेडिकल कालेज कैंपस में जांच और इलाज कराने के लिए एजेंट एक्टिव
- सुविधा शुल्क के नाम पर कर रहे हैं मरीजों से वसूली - पैथोलॉजी सेंटर से सांठ-गांठ कर वहां से भी उठा रहे हैं कमिशनGORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था के लूपहोल्स मरीजों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। वक्त-वक्त पर प्रभावित हो रही पैथोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल जांचें और टाइम की लिमिट, दलालों और कमिशनखोरों को एक्टिव होने का मौका दे रही है। हालत यह हो गई है कि मरीजों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाकर जेबे भरने वालों का मेडिकल कॉलेज में जमावड़ा लगने लगा है। दूर दराज से पहुंचे अंजान मरीजों को झांसे में लेकर यह शातिर कैंपस में मुफ्त या बिल्कुल नॉमिनल रेट में होने वाली जांचों के लिए पैथोलॉजी सेंटर्स का रास्ता दिखाकर बदले में पैथोलॉजी से मोटा कमिशन उठा ही रहे हैं, मरीजों से पैसा लेने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। मगर अब तक मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इसकी कैंपस में एंट्री रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
कैसे झांसे में लेते हैं, इसकी हकीकत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर और एजेंट की बातचीत से समझिए रिपोर्टर - एमआरआई करवाना है? बीआरडी में बोल रहे हैं कल होगा?एजेंट - आप टेंशन मत लीजिए। आपका बाहर एमआरआई हो जाएगा।
रिपोर्टर - मुझे जानकारी नहीं है, बाहर कहां होता है? एजेंट - मेरे साथ बाहर चलिए आपकी जितनी भी जांच है। सब हो जाएगी। रिपोर्टर - एमआरआई और लिपिड प्रोफाइल दो जांच करवानी है। एजेंट - एमआरआई तो दूसरे रेडियोलाजिस्ट के यहां होगी, लेकिन लिपिड प्रोफाइल की जांच पैथोलोजी सेंटर पर होगी। रिपोर्टर - दोनों जांच का रेट क्या होगा? एजेंट - देखिए, एमआरआई का पांच हजार लगेगा और लिपिड प्रोफाइल की जांच 400 रुपए में होगी, साथ में मेरा कमीशन भी आपको देना पड़ेगा। रिपोर्टर - आपका कमीशन किस बात का? एजेंट - सुविधा दे रहे हैं, वरना आप ऐसे ही भटकते रह जाओगे। रिपोर्टर - नाराज क्यों हो रहे भईया? एजेंट - नाराज वाली बात ही है। आपके जांच हो जाएगी, रिपोर्ट बेहतर मिलेगी। अच्छे रेडियोलाजिस्ट के पास ले चलेंगे। रिपोर्टर - ठीक है चलिए, लेकिन कमीशन कितना लेंगे यह तो बता दीजिए। एजेंट - दो सौ रुपए रिपोर्टर - अच्छा अभी मैं पैसे निकालकर आता हूं। ओपीडी में डेली आ रहे 850-900 मरीजबीआरडी मेडिकल कालेज में ओपीडी शुरू होने के बाद से ही मरीजों की तादाद भी बढ़ चुकी हैं। रोजाना 850-900 की ओपीडी में मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन डॉक्टर की लिखी जांच कराने में उनके पसीने छूट जा रहे हैं, जिसका फायदा मीडिएटर्स और कमिशनखोर बाखूबी उठा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी दोपहर 2 बजे के बाद पहुंचने वाले मरीजों को हो रही है, जिन्हें जांच के लिए बाहर जाना ही पड़ रहा है। कोरोना पेंडमिक से पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा व्यवस्था सख्त होने के कारण किसी भी एजेंट की एंट्री नहीं हो पाती थी, लेकिन इन दिनों सिक्योरिटी के ढुलमुल रवैये से एजेंट फिर सक्रिय हो चुके हैं।
बीआरडी व बाहर के रेट रेडियोलाजिकल जांच जांच बीआरडी में बाहर में एमआरआई 2500 5000 प्लेन एक्स-रे 41 100-150 डिजीटल एक्स-रे 121 200-250 अल्ट्रासाउंड 200 700-1200 पैथोलोजिकल जांचजांच बीआरडी बाहर
थॉयरॉयड प्रोफाइल 200 450-550 ब्लड शुगर 8 50 क्रिटिनिन 15 50-80 लिपिड प्रोफाइल 200 400-450 एफएनएसी 28 500 हिस्टो पैथोलोजी 28 400-500 सीवीसी 50 250 जीवीपी 28 100-150कोरोना 600 1600-2000
यूरीन कल्चर 28 100-200 इन ओपीडी में सबसे ज्यादा आ रहे मरीज - मेडिसिन - सर्जरी - गायनी - पीडिया - डमर्टोमैटोलोजी - आप्टोमैथोलोजी पत्नी को दिखाने के लिए आए हैं। मेडिसिन वार्ड में एडमिट हैं, लेकिन डॉक्टर ने एमआरआई कराने के लिए कहा तो कुछ लोग बाहर से करवाने के लिए कहने लगे, लेकिन मैंने कर दिया। इसके लिए मेरी बहस भी हो गई। सुरेश प्रजापति, तीमारदार, कुशीनगर थॉयरॉयड की जांच करवानी थी। लेकिन दो बजे के बाद जांच बंद हो गई तो बाहर से करवाने के लिए एक एजेंट ने कहा, लेकिन रेट ज्यादा होने के कारण मैंने खुद ही मना कर दिया। विश्वनाथ साहनी, तीमारदार, भटहट यह मेरे संज्ञान में नहीं है। किसी भी मरीज या उसके परिजनों को किसी भी बाहरी एजेंट के चक्कर में आने की जरूरत नहीं है। मेडिकल कालेज में सभी जांच के रेट निर्धारित हैं। डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कालेज