रात साढ़े आठ बजे बाद बसें 'पैक'
-पैसेंजर्स को बस के लिए सुबह का करना पड़ता है इंतजार
-रोडवेज बस स्टेशन अधीक्षक से शिकायत के बाद भी नहीं मिलती सुविधाएं -ठंड में स्टेशन और रैन बसेरा का लेते हैं सहारा GORAKHPUR: पैसेंजर - भाई, हमें मगहर जाना है। क्या यह गाड़ी जाएगी। कंडक्टर - नहीं मगहर में बस नहीं रुकेगी। आपको सुबह का इंतजार करना होगा। पैसेंजर - ऐसा क्यों हो रहा है। रात में तो लोकल बसों के संचालन का आदेश है। फिर आप क्यों नहीं बैठा रहे हैं? कंडक्टर - रात साढ़े आठ बजे के बाद लोकल रूट पर बसें नहीं चलती है। लंबी दूरी की बसों में लोकल सवारी नहीं बैठाई जा सकती। पैसेंजर्स - फिर भला हम घर कैसे पहुंच पाएंगे? कंडक्टर - देख लीजिए भईया, आसपास कोई लोकल बस होगी, उसे पकड़ लीजिए, या सुबह का इंतजार कीजिए।यह हालत गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन की है, जहां रोजाना पैसेंजर्स को बस में सवार होने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। जब लगातार ऐसे मामले सामने आए, तो दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने बस स्टेशन पहुंचकर इसकी पड़ताल की। उन्हें भी कंडक्टर ने वैसे ही जवाब दिए। रात के 8 बजने के बाद अगर किसी को लंबी दूरी के लिए जाना है, तब तो ठीक है, लेकिन अगर आसपास जाने की मजबूरी न हो, तो वह अपना सफर अगले दिन ही प्लान करें। पैसेंजर्स को तमाम व्यवस्था मुहैया कराने का दावा करने वाले रोडवेज एडमिनिस्ट्रेशन के लिए साढ़े 8 बजे के बाद बसें लोकल और आसपास के पैसेंजर्स के लिए पैक हो जा रहे है। इसकी वजह से उन्हें जैसे-तैसे अपना सफर पूरा करना पड़ रहा है।
सरेंडर बस अब तक शामिल नहीं रोडवेज बसों की नाइट सेवा चालू होने के बाद भी लोकल रूटों पर पैसेंजर्स को सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक तो गोरखपुर डिपो में सरेंडर बसें बेड़े में वापस न आने से विभाग बसों की कमी से जूझ रहा है। जिसकी वजह से रात में साढ़े आठ बजे के बाद किसी भी लोकल रूट पर रोडवेज बस नहीं जा पा रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने स्टेशन पर पहुंचकर इसकी हकीकत जानी। हैरानी तब हुई जब खुद कंडक्टर से लोकल रूट पर जाने की बात की तो उसका कहना था कि बीच में कहीं भी बस रोकी नहीं जा रही है। आपको सुबह का इंतजार करना पड़ेगा। रूट फालो कर रहे नहीं ड्राइवररोडवेज प्रशासन की ओर से कंडक्टर व ड्राइवर को ओवर टाइम करने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके बाद भी वह गायब हो जाते हैं। जिसकी वजह से भी काफी बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है।
गोरखपुर डिपो में निगम की बसें--89 अनुबंधित बसें--107 एसी बस--04 राप्तीनगर में निगम की बसें--80 अनुबंधित बसें--35 एसी बसें--54 रीजन में बसों की संख्या--690 त्योहार में अतिरिक्त बसें--200 -------------- कोट हमारी ट्रेन लेट आई हैं। हमें कुशीनगर जाना है। काफी देर से बस का इंतजार कर रहा हूं लेकिन पता चला कि बस सुबह मिलेगी। सुभाष कुमार, कुशीनगर प्राइवेट हॉस्पिटल में मेरे एक रिश्तेदार भर्ती हैं। उन्हें देखने के लिए आया हूं। बस स्टेशन पहुंचा तो पता चला कि लेट नाइट बस नहीं मिलती है। इसलिए अब अपने रिश्तेदार के पास जा रहा हूं। समीम अहमद, सलेमपुर मुझे पिपराइच जाना है। रेलवे बस स्टेशन पर आने के बाद पता चला कि इस रूट पर रात के समय कोई बस नहीं मिलती। मजबूरी में अब रैन बसेरा का सहारा लेना पड़ रहा है। शैलेश कुमार, पिपराइचमहराजगंज रूट की बसें खड़ी हैं। मगर कंडक्टर बस में परतावल के नहीं नहीं बैठा रहे हैं। इसलिए इस ठंड में दिक्कत हो रही है।
कन्हैया, परतावल हरिद्वार से बस से परिवार के साथ गोरखपुर बस स्टेशन पहुंचा। पनियहवा जाना है लेकिन बस नहीं मिल रही है। इसलिए अब बस स्टेशन पर ही रात बितानी पड़ेगी। सुबह होने पर घर जा पाऊंगा। दिनेश शाह, पनियहवा लोकल रूटों पर बसों का संचालन किया जाता है। लेट नाइट में पैसेंजर्स की संख्या काफी कम होती हैं, इसलिए बसों का संचालन नहीं हो पाता है। पैसेंजर्स की संख्या बढ़ने पर ही बसों को भेजा जाता है। केके तिवारी, एआरएम गोरखपुर डिपो