GORAKHPUR : डीडीयू में टीचर्स की भारी कमी से स्टूडेंट्स की पढ़ाई तो एफेक्टेड हो ही रही है इसके अलावा सैंकड़ों स्टूडेंट्स को पीएचडी करने का मौका भी नहीं मिल पा रहा. अगर यूनिवर्सिटी में टीचर्स की सारी वेकेंट पोस्ट पर नियुक्ति होती है तो निश्चित रूप से 700 से अधिक स्टूडेंट्स को पीएचडी का मौका मिलेगा. वर्तमान में यह कंडीशन है कि बहुत से स्टूडेंट रेट का एग्जाम क्लियर करने के बाद भी सिर्फ इसलिए काफी समय तक पीएचडी में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते क्योंकि उनके लिए सीट खाली नहीं होती.


यह है क्राइटेरियायूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार एक प्रोफेसर के अंडर में 8, रीडर के अंडर में 6 और लेक्चरर के अंडर में 4 स्टूडेंट्स एक समय में पीएचडी कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी में खाली टीचर्स के पोस्ट्स में से प्रोफेसर्स के लगभग 23, रीडर्स के लगभग 26 और लेक्चरर के लगभग 94 पोस्ट वेकेंट हैं। अगर इन पोस्ट्स को फिल कर दिया जाए तो लगभग 725 स्टूडेंट्स के लिए पीएचडी की सीट अवेलबल होगी।साइंस फैकल्टी में होंगी सर्वाधिक सीट्सपोस्ट फिल होने के बाद पीएचडी के लिए सर्वाधिक सीट्स साइंस फैकल्टी में होंगी। यहां वेकेंट पोस्ट भरने से लगभग 386 स्टूडेंट्स का पीएचडी में एनरोलमेंट हो सकेगा। सेकेंड नंबर पर पीएचडी आर्ट्स फैकल्टी में होगी। यहां लगभग 290 स्टूडेंट्स पीएचडी कर सकेंगे। कॉमर्स फैकल्टी में भी वेकेंट पोस्ट भरने से लगभग 40 स्टूडेंट्स का पीएचडी में रजिस्ट्रेशन संभव होगा।नहीं मिल पा रहे कई बेनिफिट्स
किसी भी यूनिवर्सिटी के लिए रिसर्च वर्क कराना प्राथमिकता में शामिल है। इससे दो फायदे हैं पहला यह कि इनोवेशन्स को बढ़ावा मिलता है और दूसरा यह कि जितना रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा उतने ही अधिक डॉक्टरेट की डिग्री लिए हुए टीचर्स की संख्या भी बढ़ेगी।

Posted By: Inextlive