सबसे बड़ी जरूरत है पिंक टॉयलेट, हम भी देंगे साथ
दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के पिंक टॉयलेट कैंपेन को महिलाओं का साथ और आवाज मिलने लगी है। वुमन वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन और महिला एनजीओ प्रतिनिधियों ने भी इस मुहिम को अपनी आवाज दी है। हमारे साथ बातचीत में महिला संगठनों की प्रतिनिधियों ने कहा कि आज की सबसे बड़ी जरूरत पिंक टॉयलेट है। इसके बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। वहीं कई महिला संगठनों ने यह भी कहा कि अगर जिम्मेदार पिंक टॉयलेट बनवाने की जिम्मेदारी लें तो वह आगे देखरेख की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, कुछ संगठनों ने पिंक टॉयलेट बनवाने की भी बात कही है।
दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के एक्सक्यूज मी कैंपेन से हमने हकीकत जानी कि गोरखपुर में तो महिलाओं के लिए केवल दो ही पिंक टॉयलेट हैं। जबकि गोरखपुर में महिलाओं की आबादी काफी ज्यादा है। इस हाल में महिलाओं की प्रॉब्लम के लिए अब सबको सोचना होगा। इसके लिए जो भी जरूरी होगा वो हमारा महिला संगठन भी सहयोग करेगा। लेकिन शहर में महिलाओं के लिए अलग पिंक टॉयलेट बनाना बहुत जरूरी है। अगर नगर निगम हमें मौका देता है तो हमारा संगठन एक पिंक टॉयलेट की जिम्मेदारी लेने को तैयार है। उसके निर्माण से लेकर रेनोवेशन में जो भी खर्च आएगा वो हम करेंगे।
-वीथिका माथुर, अध्यक्ष, महिला सर्वोदय मंडल
सिटी की महिलाएं अब तक इस समस्या को लेकर चुप थीं। इसके चलते उनके तमाम बीमारियों की चपेट में आने का भी खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अब इसके लिए और नहीं इंतजार होगा। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ये मुहिम सभी महिलाओं की आवाज को बुलंद कर रही है। इस मुहिम में हमसे भी जो हो सकेगा वो करेंगे। नगर निगम अगर पांच पिंक ट्वॉयलेट की जिम्मेदारी देता है तो उसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी हम संभाल सकते हैं। इसके साथ ही पांचों ट्वॉयलेट की रेग्युलर निगरानी साफ-सफाई हुई है कि इस पर हम फोकस करेंगे। जब तक सब लोग अवेयर नहीं होंगे तब तक इस समस्या का हल निकल पाना मुश्किल है। इसलिए स्वच्छता सबकी जिम्मेदारी है और उसे बाखुबी सबको निभाना चाहिए। -सोनिया गुप्ता, अध्यक्ष, इनरव्हील क्लब ऑफ गोरखपुर होराइजनयह समस्या काफी ज्यादा बड़ी है। महिलाओं के लिए पब्लिक प्लेस पर टॉयलेट न होने से तमाम तरह की प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। यह महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ शहर के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी है। हम दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की तरफ से चलाए गए मुहिम की हम सराहना करते हैं। निश्चित तौर पर आपने एक बड़ी समस्या को आवाज दी है। साथ ही हम आश्वस्त करते हैं कि नगर निगम की तरफ से बनाए गए पिंक टॉयलेट की देखरेख और साफ-सफाई को हम सभी मेंबर्स टाइम टु टाइम करवाएंगे। इसे अपने क्लब प्रोग्राम में भी शामिल करेंगे।
-खुशबू मोदी, प्रेसीडेंट, रोटरी यूफोरिया क्लब महिलाओं के लिए हमारा संगठन हमेशा से सामाजिक कार्य करता चला आ रहा है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के एक्सक्यूज मी कैंपेन के तहत बनवाए गए पिंक टायलेट को मेंटेंस समेत हाईजिन और उसके भीतर के मूलभूत आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता करवाएंगे। वास्तव में वुमन टॉयलेट सभी की जरूरत है। यह एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में हम पब्लिक प्लेस पर कोई बात भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने यह मुद्दा उठाकर इस खामोशी को तोड़ा है। अब हम भी इस मामले में आवाज उठाएंगे। -कंचन सोनी, प्रेसीडेंट, आई एम शक्ति वुमन फाउंडेशन --------------- वॉट्सअप कॉलिंग महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट का निर्माण कराना बहुत जरूरी है। जिन महिलाओं को रोजाना घर से बाहर आना-जाना होता है, उन्हें तो टॉयलेट ना होने के कारण आए दिन बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नगर में पिंक टॉयलेट का होना सभी युवतियों के लिए एक सौगात होगी। -निरुपमा पांडेय, रिसर्च स्कॉलरमहिलाओं के लिए बिल्कुल ही पिंक टॉयलेट अलग से होनी चाहिए, क्योंकि बाहर निकलो तो बहुत ही ज्यादा असुविधा होती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम काफी सराहनीय है, जिम्मेदारों को जल्द से जल्द पिंक टॉयलेट निर्माण कराना चाहिए।
-पिंकी यादव, हाउसवाइफ टॉयलेट होना जरुरी है। लेकिन यह मिलता कहां है? जो भी टॉयलेट हैं या तो खराब हैं या बंद पड़े रहते हैं। महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट की कोई व्यवस्था भी नहीं है। टॉयलेट बन भी जाए तो क्या साफ रहेगा ये सवाल भी मेरे मन में चलता रहेगा। -चांद प्रिया चतुर्वेदी, हाउसवाइफ शहर में भीड़ भरे बाजार में महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट की बात कोई नहीं करता है। सार्वजनिक स्थल पर शौचालय न होने पर भी पुरुषों का काम चल जाता है, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है। मासिक चक्र के समय सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय की कमी खलती है। -बंदना त्रिपाठी, शिक्षकसार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को टॉयलेट के लिए यहां-वहां भटकना परता है। शर्मिदगी की वजह से वह किसी से पूछ भी नहीं पाती हैं। बाजार में महिलाओं के लिए प्रॉपर टायलेट की व्यवस्था नहीं दिखती है। जहां सुलभ शौचालय है, वहां के हालात महिलाओं के लिए उचित नहीं है। जिससे कई बार महिलाओं को असहजता का सामना करना पड़ता है।
-सुधा कुमारी, प्रोफेशनल शहर में महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है, जिससे काफी असुविधा होती है। टॉयलेट ना जाना पड़े इसके लिए वे पानी कम पीती हैं। पेशाब ज्यादा देर तक रोकने के चलते शरीर में कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। अगर शहर में जगह-जगह महिलाओं को पिंक टॉयलेट मिल जाए तो यह उनके लिए एक बड़ा तोहफा होगा। -मधु कुमारी, हाउसवाइफ बाजार में जाने पर सबसे बड़ी परेशानी टॉयलेट की झेलनी पड़ती है। महिलाओं मे पेशाब रोकने के कारण कई बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। गंदे पड़े सुलभ शौचालय में जाने से महिलाएं कतराती हैं। इसमें महिलाओं की सहूलियतों के लिए पिंक टॉयलेट एक बड़ी सौगात होगी। -रंजीता कुमारी, हाउसवाइफ