जिले में पुलिस कर्मचारियों की खराब हरकत से अफसरों की मंशा पर पानी फिर रहा है.

-वसूली का चक्कर, थानों-चौकियों में टूट रहा अनुशासन

-गुलरिहा में दो बार हुआ विवाद, झगड़ा छुड़ाने में नपे इंचार्ज

हरकतें कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी
Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: जिले में पुलिस कर्मचारियों की खराब हरकत से अफसरों की मंशा पर पानी फिर रहा है। पुलिस कर्मचारियों की कोई न कोई हरकत महकमे को बदनाम करा रही है। एकजाई के लिए पुलिस कर्मचारियों की आपसी भिडं़त से अफसर दंग रह गए हैं। गुलरिहा थाना के सरहरी चौकी पर दो सिपाहियों के बीच एकजाई के लिए मारपीट ने पुलिस की वसूली की पोल खोलकर रख दी है। एसएसपी का कहना है कि इस तरह की हरकतें कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरहरी चौकी पर मारपीट के मामले में दरोगा, दीवान और सिपाही के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।

एकजाई के लिए होती मारपीट, अक्सर होते विवाद
थानों और चौकियों पर पुलिस कर्मचारियों के बीच अक्सर रुपए-पैसे के बंटवारे को लेकर विवाद होता है। कमाई की रकम बराबर-बराबर न मिलने पर पुलिस कर्मचारियों के बीच टशन बढ़ाती है। आपस में बात बढ़ने पर अक्सर मारपीट की नौबत आ जाती है। बुधवार रात गुलरिहा थाना की सरहरी चौकी पर सिपाही और दीवान के बीच रुपए के बंटवारे को लेकर पहले कहासुनी हुई। बाद में हाथापाई होने पर सिपाही ने चाकू निकाला तो दीवान ने फावड़ा तान लिया। मातहतों की हरकत से मौके पर मौजूद चौकी प्रभारी दंग रह गए। पब्लिक की मदद से किसी तरह से मामला शांत कराया गया।

मामला एकजाई की रकम के बंटवारे का

बताया जाता है कि जंगल टिकरिया से पेड़ काटने वाले एक व्यक्ति ने तस्करी के लिए दो हजार रुपए दीवान को दिए थे। लेकिन यह बात अन्य पुलिस कर्मचारियों को नहीं बताई गई। दिनदहाड़े लकड़ी ले जाने पर मामला खुलकर सामने आया। बुधवार रात चौकी पर दावत बुलाई गई थी। तभी इसी बात को लेकर नशे में धुत सिपाही-दीवान आपस में भिड़ गए। अनुशासनहीनता के आरोप में एसएसपी ने दीवान-सिपाही और दरोगा को हटा दिया। हालांकि अवैध कारोबार पर लगाम कसने से दरोगा भी कई लोगों की आंखों में खटक रहे थे। इसके पूर्व गुलरिहा थाना पर दो सिपाहियों में मारपीट हो गई। मामला एकजाई की रकम के बंटवारे का था। लेकिन बदनामी के डर से एसओ ने इस दबाने का प्रयास किया।

क्या है थाने की एकजाई, क्यों हाेती लड़ाई
पुलिस विभाग में एकजाई पारंपरिक ढंग से चली आ रही व्यवस्था है। थानों पर आने वाली अवैध कमाई का बंटवारा ईमानदारी के साथ होता है। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि यह स्वघोषित मद हैं, जिससे थानों-चौकियों का खर्च भी चलता है। थाना क्षेत्र में होने वाले अवैध कारोबार से मिलने वाली रकम को एकजाई के मद में जमा किया जाता है। जिले में अवैध शराब, जंगल से पेड़ों की कटान, पशुओं की तस्करी, बालू और मिट्टी का खनन, प्रापर्टी डीलिंग, जुआ के अड्डे, अवैध टैक्सी स्टैंड, वाहनों का संचलन सहित कई ऐसे कारोबार हैं जिनकी रोकथाम के लिए पुलिस कार्रवाई करती है। इस तरह का कारोबार करने वाले ज्यादातर लोग पुलिस कर्मचारियों से सेटिंग कर एक रकम फिक्स कर देते हैं जिससे उनका कारोबार सुरक्षित ढंग से चलता रहता है। सीनियर अफसरों से शिकायत होने पर कभी-कभार कार्रवाई करके लोकल पुलिस कोरम पूरा लेती है। एकजाई की रवसूली की जिम्मेदारी कारखास निभाते हैं। रकम के बंटवारे में बेइमानी होने पर लड़ाई की नौबत आ जाती है। जिले में हर थाना की एकजाई का रेट फिक्स है। सख्ती होने पर इसके रेट में भी उतार-चढ़ाव आता है। जिले में एकजाई की कमाई के हिसाब से पुलिस कर्मचारी थानों और चौकियों पर पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाते हैं। ज्यादा कमाई वाली जगह पर जाने के लिए मारामारी मची रहती है।

Posted By: Inextlive