गोरखपुर के परिषदीय स्कूलों में सिस्टम फेल साबित हुआ है. अभी तक परिषदीय स्कूलों में हिंदी और विज्ञान की किताब ही पहुंची हैं. वो भी केवल कुछ ही क्लास के बच्चों को मिल पाई है. इस तरह देखा जाए तो हिंदी और विज्ञान का ज्ञान लेकर बच्चे मैथ्स इंग्लिश या अन्य सब्जेक्ट्स का एग्जाम देंगे. आधा सेशन बीत चुका है और अभी तक केवल कुछ ही बच्चों के हाथ में एक दो सब्जेक्ट्स की किताब मिली है. इस हाल में अब शिक्षा विभाग भी कुछ भी क्लियर बोलने से कतरा रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो).परिषदीय स्कूलों में सरकारी योजना के नाम पर केवल कोरम होता दिख रहा है। ताज्जुब करने वाली बात ये है कि जिन सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम स्कूल्स की तरह बनाने की बात चल रही थी। उन स्कूलों में आधा सेशन यानी छह माह बीत जाने के बाद भी किताबें नहीं पहुंची हैं। गोरखपुर के 2500 परिषदीय स्कूलों के करीब 3.5 लाख बच्चों के लिए 25 लाख किताबें आनी थी। हालत ये है कि अभी तक केवल 2.27 लाख किताबें ही आई हैं।आई हैं ये किताबें


अब तक आई किताबों में क्लास 1 से 3 तक के बच्चों की हिंदी और क्लास 6 के बच्चों की विज्ञान किताबें शामिल हैं। किताबों के लेट होने पर बीएसए के निर्देश पर कुछ बच्चों की पुरानी किताबें मांगी गई थीं। जो करीब 25 परसेंट तक अवेलबल हो पाई थीं। इस तरह एक स्कूलों में एक किताब में तीन-तीन बच्चे भी पढ़ाई करते दिखे हैं। वहीं बहुत से बच्चों को ये भी नहीं पता है कि वो जिस क्लास में हैं, उसमे कितनी किताबें लगती हैं। ऐसे कैसे सरकारी स्कूल के बच्चे आगे बढ़ेंगे और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के बच्चों से मुकाबला करेंगे। स्कूल- 2500बच्चे- 3.5 लाखकिताब आईं - 2. 27 लाखकिताबें आनी हैं- 25 लाख

किताबें धीरे-धीरे आ रही हैं। अभी तक जितनी किताबें उपलब्ध हो चुकी हैं, उन्हें वितरित कराया जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि बच्चों को जल्द से जल्द शत-प्रतिशत किताबें उपलब्ध करा दी जाए।- रमेंद्र कुमार सिंह, बीएस

Posted By: Inextlive