- राजभवन तक पहुंचा टीचर व कर्मचारियों के लोन घोटाले का मामला

-यूनिवर्सिटी के टीचर व कर्मचारियों ने सहकारी बैंक से लिया है लोन

-360 टीचर व कर्मचारियों पर है लोन का करीब 9.5 करोड़ बकाया

- लोन की रकम को जमा करने में हुआ है खेल

GORAKHPUR: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के टीचर व कर्मचारियों के लोन घोटाले का मामला राजभवन तक पहुंच गया है। यहां के 360 कर्मचारियों पर करीब साढ़े नौ करोड़ रुपए लोन के बकाया है। सहकारी बैंक से लिए गए इस लोन की शिकायत यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड कर्मचारी ने राजभवन से की, जिसके बाद मामले की जांच का आदेश दिए गए है। इसके लिए चीफ प्रॉक्टर की अगुआई में तीन सदस्यीय समिति जांच कर रही है। समिति ने कागजात तलब किया है।

सहकारी बैंक से लिया लोन

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में लोन के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया। मामला यूनिवर्सिटी की वेतनभोगी समिति का है। यूनिवर्सिटी की वेतनभोगी सहकारी समिति के सदस्यों ने सहकारी बैंक से मोटी रकम लोन लिया। इस समिति में टीचर व कर्मचारी शामिल है। जिला सहकारी बैंक के डीजीएम वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यूनिवर्सिटी 344 कर्मचारियों पर लोन का करीब 9 करोड़ दो लाख रुपए बकाया है। इनमें सिर्फ मूलधन करीब छह करोड़ रुपए है। इसमें 70 से अधिक टीचर हैं। इसके अलावा खोराबार स्थित सहकारी बैंक से 16 कर्मचारी व टीचरों ने करीब 38 लाख का लोन लिया है।

प्रॉक्टर के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित

इस मामले में यूनिवर्सिटी से रिटायर हो चुकी सुधा बिन्दु ने राजभवन को शिकायती पत्र लिखा। उन्होंने लोन की वसूली में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया। उनके पत्र को राजभवन ने संज्ञान लेते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन से जांच कर रिपोर्ट देने को निर्देशित किया है। इस मामले में चीफ प्रॉक्टर, सहायक कुलसचिव व एक टीचर की कमेटी गठित हुई है। इसकी तस्दीक चीफ प्रॉक्टर ने की।

-सेवानिवृत्त कर्मचारी की शिकायत पर राजभवन सक्रिय

-यूनिवर्सिटी ने गठित की तीन सदस्यीय जांच समिति

-समिति ने तलब किए सभी कागज, जांच शुरू

वर्जन

राजभवन के निर्देश के बाद जांच की जा रही है। इसमें वेतनभोगी समिति के पदाधिकारियों से कागजात मांगे गए हैं। अभी तक कागजात मिले नहीं है। कागजात मिलने के बाद जांच जल्द कर दी जाएगी।

प्रो। सतीश पाण्डेय, चीफ प्रॉक्टर

Posted By: Inextlive