एक तरफ जहां सरकार की ओर से नई बसों की सौगात दी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ रोडवेज प्रशासन राप्तीनगर डिपो के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।इसी का नतीजा है कि आज भी पैसेंजर्स को पुरानी बसों से सफर करना पड़ रहा है। दरअसल, हाल ही में गोरखपुर रीजन की विभिन्न डिपो में नई बसें आवंटित की गईं। इसमें गोरखपुर डिपो को 12 नई बसें और राप्तीनगर डिपो को मात्र दो बसें मिली हैं। जबकि 10 साल पुरानी 53 जनरथ एसी बसें मेंटेनेंस के अभाव में दमतोड़ चुकी हैं, फिर भी कमाई के लिए रोडवेज प्रशासन इन बसों का संचालन कर रहा है। इसकी वजह से पैसेंजर्स को प्रॉब्लम सहते हुए सफर करना पड़ रहा है।


जानकारी के अनुसार राप्तीनगर डिपो में 53 बसों में से 10 बसें 10 लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी हैं। ये फिलहाल खस्ता हालत में हैं। बसों का मेंटेनेंस कार्यशाला में समय से नहीं हो पा रहा है। वहीं, साधारण बसों के मेंटेनेंस में जो व्यय हो रहा है। वह खर्च एसी बसों में भी किया जा रहा है। इस कारण सही तरीके से मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है। जबकि गोरखपुर डिपो में एक भी एसी बस नहीं है। गोरखपुर रीजन को मिली नई बसें गोरखपुर डिपो--12 बस राप्तीनगर डिपो--2 बसदेवरिया डिपो--6बस्ती डिपो--10 बस सोनौली डिपो--5 बस महाराजगंज डिपो--3 बस सिद्धार्थनगर डिपो--3 बस पडऱौना डिपो--4 बस

राप्तीनगर डिपो में कुल वर्तमान में 53 एसी बसें 22 पिंक सेवा- 6 बस 22 जनरथ- 32 बस23 जनरथ- 15 बसरोडवेज बसों की हालत अभी खस्ता है। किराया तो लिया जा रहा है, लेकिन हमें अच्छी सुविधा नहीं मिल पा रही है। संदीप कुमार, पैसेंजर आजमगढ़ जाना है। राप्तीनगर डिपो की बसों की कंडीशन ठीक नहीं है। लेकिन सफर करना मजबूरी है। यह तो रोडवेज प्रशासन को सोचना चाहिए। लाल चंद, पैसेंजर राप्तीनगर डिपो की बसों की हालत अभी सुधरी नहीं है। यात्री किराया अगर ले रहे हैं तो पैसेंजर्स की सुविधा के बारे में भी सोचना चाहिए। राम प्रकाश राय, पैसेंजर मुख्यालय की ओर से कुल 45 बसें मिली हैं, जिन्हें गोरखपुर रीजन के विभिन्न डिपो में आवंटित किया गया है। कुछ बसें और बेड़े में शामिल होनी हैं। इसके बाद अन्य डिपो में दी जाएंगी। पीके तिवारी, आरएम गोरखपुर रीजन

Posted By: Inextlive