-अकबर इलाहाबादी की पुण्यतिथि पर डीडीयू के उर्दू विभाग में आयोजित हुआ प्रोग्राम

-वक्ताओं ने स्टूडेंट्स के सामने रखे अपने विचार

GORAKHPUR: हम ऐसी सब किताबें काबिल जब्ती समझते हैं कि जिनको पढ़कर बेटे बाप को हब्ति समझने लगे ये लाइन मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी की लिखी हैं। अकबर इलाहाबादी ऐसा नाम है जिनकी गजलें और हास्य कविताएं आज भी देशभर में अपनी जगह बनाई हुई हैं। सोमवार को गोरखपुर यूनिवर्सिटी के ऊर्दू विभाग में चौरीचौरा महोत्सव पर एक दिवसीय ऑनलाइन व ऑफलाइन सेमिनार का आयोजित किया गया। इसमें शायर अकबर इलाहाबादी की 100वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस दौरान प्रो। रजीउर्रहमान ने बताया कि अकबर इलाहाबादी की पुण्यतिथि के सौ साल पूरे होने पर यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय सेमिनार कराने की तैयारी चल रही है। इस सेमिनार में बाहर की यूनिवर्सिटी और कॉलेज से प्रोफेसर को बुलाया जाएगा।

स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ती है शायरी

मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो। मौला बक्श ने कहा कि अकबर की शायरी स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ती है। उनकी शायरी स्वतन्त्रता सेनानी पढ़ते थे। शायरी से उनका उत्साह बढ़ता था। उनकी शायरी का स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान रहा। स्पेशल गेस्ट प्रो। राजेश नायक व प्रो। रजीउर्रहमान ने कहा कि अकबर इलाहाबादी 20 वीं सदी के न सिर्फ ऊर्दू के साहित्य बल्कि हिन्दुस्तानी साहित्य के सबसे बड़े हास्य और व्यंग के कवि थे। संचालन मुईन हारिश ने किया। सेमिनार में मो। करीम, इरशाद, शबाना खातून, फाति बुशरा, विशाल भारती, नाजिया परवीन, सादिय परवीन, सबील अहमद अन्य लोग मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive