गोरखपुर में सड़क सुरक्षा कागजों मेें हो रही है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह हकीकत हादसों के आंकड़े बयां कर रहे हैं. 1 जनवरी से 2 नवंबर तक 1024 हादसे हुए और 430 की जान चली गई. हादसों को रोकने के नाम पर पुलिस-प्रशासन पीडब्ल्यूडी सिर्फ कागजी कोरम पूरा करता रहा.


गोरखपुर (ब्यूरो)।इसीलिए 17 जून 2022 को हुई सड़क सुरक्षा समिति के सभी निर्णयों पर अमल नहीं किया जा सका। अब 2 दिसंबर को मीटिंग हुई है। इसके फैसले कितने पूरे होंगे? यह तो भविष्य के गर्त में है। हालांकि, 10 दिन के अंदर डीएम गोरखपुर कृष्णा करुणेश ने जिम्मेदार अफसरों से सड़क सुरक्षा पर रिपोर्ट मांगी है। सड़क सुरक्षा के इस कोरम के चलते पब्लिक को ब्लैक स्पॉट पर सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि ओवरटेकिंग व भारी वाहनों के दबाव में लगातार एक्सीडेंट हो रहे हैं। 17 जून को ब्लैक स्पॉट पर मंथन, हाल जस का तस


सड़क सुरक्षा को लेकर 15 जून और 17 जून 2022 को समिति की मीटिंग हुई थी। 10 ब्लैक स्पॉट में से पांच ब्लैक स्पॉट का परिवहन विभाग, यातायात विभाग, नेशनल हाइवे, पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड, निर्माण खंड के प्रतिनिधि, एआरटीओ इंफोर्समेंट ने जायजा लिया था। ब्लैट स्पॉट पर किए जाने वाले सुधार की रिपोर्ट तैयार कर डीएम के समक्ष प्रस्तुत की गई, लेकिन न तो ब्रेकर बने और न ही साइनेज का काम विधिवत हुआ। कुछ प्रमुख चौराहों पर सफेद पट्टियां जरूर दिखती हैं। प्रशासन के मुताबिक ब्लैक स्पॉट कई सालों से हादसों का सबब बने हैं। यहां साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टर ठीक से नहीं लगाए गए हैं।

2 दिसंबर को डीएम ने दी 10 दिन की मोहलत जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक शुक्रवार को विकास भवन के सभागर में हुई। इस बीच हाईवे पर होने वाले हादसों में अंकुश लगाने के लिए मंथन हुआ। इस दौरान अफसरों ने चिन्हित 12 ब्लैक स्पॉट खत्म करने पर मोहर लगा दी है। डीएम ने पीडब्ल्यूडी, एनएचएएआई और अन्य संबंधित एजेंसियों को निर्देशित किया है कि ब्लैक स्पॉट को दस दिन में समाप्त कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कहीं कोई लापरवाही नहीं चलेगी। कुछ ब्लैक स्पॉट पर हादसों की वजहदाना पानी हाइवे से तेज गति से भारी वाहन नीचे उतरते हैं। भारी वाहन उतरने की जगह पर ही रोग क्रॉस करने का कट है। इसके कारण हादसे होते हैं। कालेसर गोरखपुर से लखनऊ की ओर जाने वाले वाहन एवं लखनऊ की तरफ से कुशीनगर एवं बिहार जाने वाले वाहन आपस में एक दूसरे को क्रॉस पार करते हैं, इसकी वजह से दुर्घटना होती है।बोक्टा बोक्टा एरिया छोटा बाजार का एरिया है। जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग पैदल एवं साइकिल से आते हैं। सड़क पार करने में अक्सर हादसे हो जाते हैं। कसरौल

कसरौल एरिया ग्रामीण क्षेत्र है। साइकिल से चलने वाले एवं सड़क पार करने वाले अक्सर हादसे के शिकार होते हैं। भीटी रावत गोरखपुर शहर से लखनऊ जाने वाले वाहन एवं सोनौली की तरफ से आने वाले भारी वाहन दोनों एक ही साइड में लेफ्ट लेन में लखनऊ जाने के लिए मिलते हैं। दोनों तरफ से आने वाले वाहन गति अधिक होने के कारण हादसे का शिकार होते हैं। नौसढ़ नौसड़ एरिया काफी भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है। भारी वाहन का आवागमन अधिक रहता है, इससे हादसे होते हैं। चिह्नित ब्लैक स्पॉट नौसढ़कालेसरदाना-पानी सहजनवां भीटी रावत सहजनवां कसरौलकसिहार गहहाबीर मंदिर मरचाहे कुटी रावतगंजफुटहवा ईनार कोनी निबिहवा ढाला चौमुखी कैंपियरगंज नौसढ़ को छोड़कर सिटी एरिया में कोई भी ब्लैक स्पॉट नहीं है। जिन स्थानों पर तीन साल में ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। उन्हें ब्लैक स्पॉट की श्रेणी में रखा जाता है। ज्यादातर ब्लैक स्पॉट नेशनल हाइवे या स्टेट हाइवे पर होते हैं। ब्लैक स्पॉट को समाप्त करने सभी एजेंसियां काम कर रही हैं। डॉ। एमपी सिंह, एसपी ट्रैफिक एक नजर में हादसेसाल --- हादसे ---- मौत --- जख्मी2022 --- 1024 ---- 430 --- 6532021 --- 1041 ---- 437 --- 724
(नोट: 2021 के आंकड़े पूरे साल के और 2022 के आंकड़े 1 जनवरी से 2 नवंबर तक के ट्रैफिक डिपार्टमेंट के अनुसार हैं.) ।

Posted By: Inextlive