कानपुर (ब्यूरो)। साहब को जब लगता है कि हादसा हो सकता है, वो तभी घर से निकलते हैं। इसे पढक़र आप चौंक गए होंगे, लेकिन हकीकत कुछ ऐसी ही है। दरअसल, करीब तीन साल पहले कमिश्नर रहे असीम अरुण ने सडक़ हादसे रोकने के लिए &एक्सीडेंट प्रिवेंशन टीम&य बनाई थी। जिसका काम शहर से गुजरने वाले 35 किलोमीटर के हाईवे पर बिना किसी हादसे के ट्रैफिक चलाना था। लेकिन असीम अरुण के मंत्री बनने के बाद यह टीम कागजों पर ही सारे काम करती रही। अब हाईवे पर और शहर में कोहरा बढऩे लगा तो कमिश्नरेट पुलिस को शहर के ब्लैक स्पॉट्स और होने वाले हादसों की फिर याद आईै है। शासन से पूछताछ हो इसके पहले ही कमिश्नरेट पुलिस के साथ रिटायर्ड डीजी सत्येंद्र कुमार ने 14 दिसंबर को बैठक की और ब्लैक स्पॉटस का निरीक्षण किया। इस दौरान हादसे रोकने के लिए दिशा-निर्देश दिए। इस बैठक में जेसीपी आनंद प्रकाश तिवारी व नीलाब्जा चौधरी मौजूद रहे।

बनाया गया था प्लान
&एक्सीडेंट प्रिवेंशन टीम&य में रिटायर्ड पुलिस अधिकारी और ट्रैफिक के कुछ अधिकारी शामिल थे। इस टीम को जहां कानपुर के ब्लैक स्पॉट्स पर चर्चा करनी थी। शुरू में मीटिंग हुई और उस पर काम किया गया। असीम अरुण के राजनीति में जाने के बाद दूसरे आईपीएस आए तो इस कमेटी को केवल कागजों पर काम करते पाया गया। एक बार फिर कोहरे से दस्तक दी तो टीम एक्टिव हो गई और काम शुरू कर दिया गया।

सीसीटीवी कैमरा लगवाने को कहा
सडक़ सुरक्षा संबंधी गोष्ठी में प्रमुख मार्गों पर स्पीड ब्रेकर, सीसी कैमरा लगवाने को कहा। उन्होंने कहा कि ओवरस्पीड पर अंकुश लगाकर ही सडक़ हादसे कम किए जा सकते हैं। जन जागरूकता के लिए इंटरनेट मीडिया के जरिये गोल्डन आवर की जानकारी का प्रचार-प्रसार किए जाने पर जोर दिया। दिल्ली की यातायात व्यवस्था को लंबे समय तक संभालने वाले रिटायर्ड डीजीपी सत्येंद्र कुमार ने शहर के रमईपुर, बिधनू नहर और शंभुआ ब्लैक स्पाट का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को छह माह की जेल हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि दुर्घटना की स्थिति में संबंधित क्षेत्र के एसीपी मौके पर जाकर दुर्घटना के कारण जानें और उनके निवारण की कार्ययोजना बनाएं।