Gorakhpur: रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस आरटीओ गोरखपुर के दफ्तर में घूस नहीं देने पर युवक की पिटाई की घटना यहां के घूसखोरों की गुंडई की न तो कोई पहली घटना है और न ही आखिरी? हां ये जरूर है कि घूसखोरी और गुंडई के इस मामले में पहली बार एफआईआर दर्ज की गई है और मामले की सीओ स्तर पर जांच शुरू हुई है. वरना लोगों की मानें तो सच तो यह है कि आरटीओ मतलब रिश्वत टेकिंग ऑफिस है. जहां बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता है. फिर चाहे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो या फिर फिटनेस प्रमाण पत्र लेना हो. हर सुविधा के लिए जैसे सरकारी फीस फिक्स होती है उसी तरह यहां घूस का रेट भी फिक्स है. हर काम के लिए पब्लिक से घूस वसूली जाती है. मजेदार बात ये है कि घूस का यह खेल यहां खुलेआम चलता है. घूस की वसूली के लिए आरटीओ के पूरे कैंपस में ब्रोकर मौजूद हंै. काम के हिसाब से फीस भी तय है. सरकारी फीस से दोगुना पैसा सुविधा शुल्क के नाम पर लिया जाता है. सबकुछ खुला है फिर चाहे बाबू हो या फिर अफसर सबका रेट फिक्स है.

सिर्फ 30 रुपये है फीस

आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए सरकारी फीस मात्र 30 रुपये है जबकि लाइसेंस के नाम पर तीन सौ से ज्यादा रुपए वसूला जाता है। लर्निंग लाइसेंस की सरकारी फीस 30 रुपए है और इसके लिए फॉर्म ए और बी की कीमत मात्र दो रुपए है, लेकिन लाइसेंस बनवाने वाले से 8 से 10 रुपए तक फॉर्म की कीमत वसूली जाती है। वहीं लर्निंग लाइसेंस के लिए तीन सौ रुपए और एक मंथ बाद परमानेंट लाइसेंस के लिए साढ़े चार सौ वसूला जाता है, जबकि उसकी फीस मात्र 150 रुपए है। पचास रुपए किताब के नाम पर और 50 रुपए बाबू के साथ 50 रुपए आरआई का। बाकी बचा दलाल के हिस्से में जाता है।
हर सुविधा के लिए रेट फिक्स
आरटीओ डिपार्टमेंट में हर सुविधा के लिए रेट फिक्स है। फिर चाहे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो, रिन्युअल करवाना हो या फिर पेनाल्टी केस। हैवी लाइसेंस का हर तीन साल में रिन्युअल होता है, जिसकी सरकारी फीस पचास रुपए है जबकि घूस के रूप में दो सौ रुपए वसूले जाते हैं। एक सुविधा और है अगर लाइसेंसधारी रिन्युअल के लिए खुद नहीं आता तो फीस बढ़कर साढ़े तीन से चार सौ तक वसूली जाती है। यदि आप लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ ऑफिस तक जाने की जहमत नहीं उठाना चाहते हैं तो आपको सुविधा शुल्क का डबल रेट देना होगा। गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए सरकारी फीस के रूप में गाड़ी की कीमत का 7 प्रतिशत जमा करना होता है। रजिस्ट्रेशन के लिए सुविधा शुल्क का रेट दो सौ रुपए तय है।
जितनी बड़ी गाड़ी उतना बड़ा रेट
आरटीओ का सबसे बड़ा खेल कॉमर्शियल व्हीकल में होता है। उसकी फिटनेस का केस हो या परमिट का या फिर पेनाल्टी का। परमिट के लिए सरकारी फीस चार हजार, फिटनेस के लिए चार हजार और पैनाल्टी के लिए रूल्स के अनुसार अलग-अलग सरकारी फीस है लेकिन सरकारी फीस के साथ-साथ हर कार्रवाई के लिए डेढ़ से दो हजार रुपए सुविधा शुल्क वसूला जाता है। अगर कोई व्यक्ति  प्राइवेट फीस न देकर सरकारी फीस पर खुद अपना काम करवाना चाहता है तो उसे लंबी लाइन और कई दिन तक अलग-अलग डिपार्टमेंट के चक्कर काटने पड़ते हंै। एक काम के लिए कभी-कभी सात-सात दिन तक चक्कर लगाने पड़ते हंै। अगर सुविधा शुल्क दिया जाए तो वही काम एक से दो दिन में हो जाता है।

 

Posted By: Inextlive