सावन में शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है. खासकर सोमवार को जलाभिषेक करने से विशेष पुण्य मिलने की मान्यता है. इस बार सावन के दूसरे सोमवार को सोम प्रदोष व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है. पं. शरद चंद्र मिश्र के अनुसार प्रदोष व्रत भी भगवान शिव को समर्पित माना गया है. इसके साथ ही इस दिन मृगशिरा नक्षत्र संपूर्ण दिन और रात्रि शेष तक है. राशि स्वामी शुक्र और बुध दोनों ही है. ये दोनों ही ग्रह शुभ हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो).आनंद नाम औदायिक योग भी है। इस दिन के व्रत से धर्म और अर्थ के क्षेत्र में अभ्दुदय प्रदान करने वाला रहेगा। इस योग में किए गए कार्यों का फल शीघ्र मिलता है। इस दिन शिव के जलाभिषेक और पूजन के लिए कांवडि़ए जल लेकर निकले हैं जबकि श्रद्धालु नजदीक के मंदिरों में जलाभिषेक करेंगे। साथ ही कई श्रद्धालु रुद्राभिषेक भी करेंगे। मुक्तिपथ से जल लेकर निकले कांवडि़ए बड़हलगंज-गगहा। बड़हलगंज के मुक्तिपथ से सरयू नदी के तट से जल लेकर कांवडि़ए पिपराइच के मोटेश्वर मंदिर पर जलाभिषेक के लिए निकले हैं। रविवार को जल लेने वाले कांवडिय़ों की भीड़ जुटी रही। सरयू नदी में स्नान कर कांवडिय़ों ने जल भरा और पिपराइच के शिव मंदिर के लिए अपने-अपने साधनों से चल दिए। मुक्ति पथ से करीब 90 किलोमीटर दूर पिपराइच के मंदिर पर कांवडिय़ों का जत्था कई जगह से होता हुए पहुंचेगा।


मझगावां। सरयू नदी से जल भरकर सिहाईजपार के बाबा गरीबनाथ मंदिर, भौवापार शिव मंदिर और पिपराइच के मोटे शिव मंदिर पर जल चढ़ाने के लिए कांवडि़ए निकले हैं। बम बम शिव के जयघोष करते कांवडि़ए सोमवार सुबह जलाभिषेक करेंगे। मोटेश्वर नाथ मंदिर

पिपराइच के मोटेश्वर नाथ मंदिर में सावन में भारी भीड़ जुटती है। सावन के दूसरे सोमवार को शुभ संयोग बनने पर इस बार रविवार से ही जलाभिषेक के लिए कांवडि़ए जुट गए। माना जाता है कि इस दिन जलाभिषेक करने से विशेष फल मिलता है। इधर, भारी भीड़ के चलते पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियां कर ली हैं। मंदिर के महंत संतोष गिरि ने बताया, मोटेश्वर नाथ बाबा पर जलाभिषेक कर सभी आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। सावन में रुद्राभिषेक के लाभज्योतिषाचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र ने बताया, रुद्राभिषेक का मानव जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। रुद्राभिषेक से मन शुद्ध और सत्वगुणी होता है। इससे संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है। इसके साथ ही ज्ञानशक्ति, विचार शक्ति, श्रद्धा, भक्ति और पवित्रता की वृद्धि होती है। बताया कि धर्मशास्त्र में कहा गया है कि वेद शिव है और शिव वेद हैं। इसलिए वेद मंत्रों द्वारा भगवान आशुतोष का पूजन अभिषेक किया जाता है। व्रत पूजा विधि

व्रत रखने के लिए प्रात: काल स्नान करके पूजा स्थल को स्वच्छ करके वेदी स्थापित करें। शिव मंदिर में जाकर भगवान भोले नाथ को जल चढ़ाएं। पूरी श्रद्धा के साथ शिव की पूजा करने के साथ व्रत का संकल्प करें। इस दिन शिव की आराधना करने के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें। सोमवार व्रत कथा का पाठ सुनें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें। कांवड़ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम सावन के शुरुआत में ही कर लिए गए हैं। इस सोमवार भी सभी मंदिरों और कांवड़ लेकर जाने वाले कांविडय़ों के रूटों पर पुलिस मौजूद रहेगी। कहीं भी कोई घटना दुघर्टना न होने पाए। इसके लिए पुलिस मुस्तैद है। - गौरव ग्रोवर, एसएसपी गोरखपुर

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