- 2014 में प्राइवेट मोबाइल कंपनी ने जमीन के बदले की थी फ्री वाई-फाई की पेशकश

- यूनिवर्सिटी से करार कर कैंपस में लगा दिया टावर लेकिन छह साल से सर्विस शुरू होने का इंतजार

GORAKHPUR: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी को वाई-फाई की हाइटेक सुविधा से लैस करने के लिए 2014 में ही एक प्राइवेट मोबाइल कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। मोबाइल कंपनी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कैंपस में दो जगह 12 बाई 12 की जमीन टावर लगाने के लिए मांगी । जिसके बदले यूनिवर्सिटी के टीचर्स, इंप्लॉइज और स्टूडेंट्स को फ्री वाई-फाई सुविधा देने के बात कही थी। कॉन्ट्रैक्ट हुआ तो कंपनी ने दो नहीं बल्कि चार जगहों पर अपने टावर भी लगा दिए। लेकिन छह साल होने को हैं, आज तक यूनिवर्सिटी में किसी को भी फ्री वाई-फाई का लाभ नहीं मिल पाया है।

शोपीस बने डिपार्टमेंट्स में लगे डिवाइस

इतने दिनों के बाद गोरखपुर यूनिवर्सिटी के अधिकतर डिपार्टमेंट्स में डिवाइस लगाकर छोड़ दिए गए हैं। लेकिन ये काम कब से करेंगे इस बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है।

निगम को देना पड़ता था लाखों का शुल्क

सूत्रों की मानें तो मेन सिटी में सड़कें चौड़ी हो रही हैं, इसके लिए कई जगह बीचोंबीच लगे मोबाइल कंपनी के टावर्स को भी हटाया गया। कंपनी के सामने अब ये मुश्किल आ गई कि वे अपना टावर आखिर कहां लगाएं। सड़कों पर लगे टावर के लिए नगर निगम को लाखों रुपए किराए के रूप में कंपनी को देने पड़ते थे।

पांच साल से फ्री में चला रहे काम

इस बीच कंपनी को यूनिवर्सिटी की जमीन अच्छी लगी इसलिए उसने यूनिवर्सिटी से कॉन्ट्रैक्ट किया। इसके बदले कंपनी ने फ्री वाई-फाई देने का भी वादा किया लेकिन वो वादा आज तक पूरा नहीं हो सका।

टावर का हुआ था विरोध

यूनिवर्सिटी के ही कुछ इंप्लॉइज ने कैंपस में लग रहे मोबाइल टावर का वीसी से विरोध दर्ज कराया था। इंप्लॉइज ने टावर से निकलने वाले रेडिएशन के स्टूडेंट या अन्य लोगों पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जताई थी। लेकिन इस विरोध का भी कोई असर नहीं हुआ।

रेजिडेंशियल एरिया में नहीं लगाना है टावर

नियम के अनुसार रेजिडेंशियल एरियाज में किसी भी कंपनी को मोबाइल टावर नहीं लगाना होता है। इससे निकलने वाला रेडिएशन हेल्थ पर बुरा असर डालता है। इस नियम के बाद भी करीब 24 हजार स्टूडेंट्स और 500 इंप्लॉइज की सेहत का ख्याल ना रखते हुए यूनिवर्सिटी कैंपस में टावर लगाए गए। यूनिवर्सिटी के एक इंप्लॉई ने बताया कि चार जगह टावर लगा दिए गए हैं। इसके बाद अभी कैंपस में तीन और जगहों पर भी नए टावर लगाए जाएंगे।

डीडीयूजीयू में स्टूडेंट्स - करीब 24.000

इंप्लॉइज - करीब 500

कॉन्ट्रैक्ट हुए हो गए 5 साल से अधिक

टावर लगे - 4

टावर और लगने हैं - 3

वर्जन

वीसी ने इसके लिए अलग से एक कमेटी बनाई है, वही इसका फैसला करेगी। इसमें टावर के लिए किराए लगाया जाए, इस पर भी बात होगी।

डॉ। ओमप्रकाश, कुलसचिव, डीडीयूजीयू

Posted By: Inextlive