प्रदेश में फिर होगी टीबी मरीजों की तलाश
-मार्च में दोबारा चलेगा एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान
-सभी 75 जिलों में चलेगा अभियान GORAKHPUR: देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार सभी जिलों मे फिर से एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान शुरू करने जा रही है। मार्च से सभी 75 जिलों में टीबी मरीजों की तलाश के लिए अभियान चलेगा। इसके तहत उन इलाकों में सघन चेकिंग की जाएगी। जहां लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाती है। वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य लेकर अभियान चलाया जाएगा। इसको देखते हुए कर्मचारियों एवं स्वयंसेवियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इससे पूर्व में भी इसी तरह अभियान चलाया गया जा चूका है।पूर्व में चलाए गए अभियान के दौरान जिले में 103 नए टीबी मरीज खोजे गए थे। जिले में 2017 के दौरान 4883 टीबी मरीज जिला क्षय रोग अस्पताल में पंजीकृत किए गए थे। इसके अलावा निजी डॉक्टर्स के पास 6500 टीबी मरीज अपना इलाज करा रहे हैं। जिला क्षय रोग अस्पताल में पिछले साल आए मरीजों में कुल 216 एमडीआर टीबी से ग्रसित हैं।
टीबी रोकथाम के लिए व्यवस्थाडिस्ट्रीक्ट टीबी सेंटर के अलावा रूरल एरिया में लगभग 16 से अधिक सेंटर्स हैं। इन सेंटर्स पर जांच के अलावा परामर्श, इलाज के साथ दवा की सुविधा उपलब्ध है। क्षय रोग विभाग में बलगम की जांच की सुविधा है। इसके साथ 630 से अधिक डॉट्स प्रोवाइडर हैं जो पेशेंट को उनके घर तक जाकर दवा की खुराक देते हैं।
-------------------- क्या है एमडीआर जिन पेशेंट में टीबी की प्राथमिक दवा का असर नहीं होता है। इस कंडीशन को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस या एमडीआर कहते हैं। इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है। ---------------- क्या है एक्सीडीआर एक्सीडीआर यानि एक्टेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंस टीबी एमडीआर का ही खतरनाक रूप है। इसमें एमडीआर में दी जाने वाली दवा भी कारगर नहीं रहती। ऐसे में बहुत अधिक पावर वाली दवा देनी पड़ती है जिसका मरीज के अंगों पर गंभीर असर होता है। वर्जन ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी एक संक्रामक रोग है जो मरीजों के खासने या थूकने से फैलता है। टीबी की जांच, इलाज और दवा मुफ्त में दी जाती है। इसके लिए क्षय रोग विभाग की ओर से दस दिन का अभियान चलाया गया था। जिसमें कई केस सामने आए हैं। अब मार्च में अभियान की शुरूआत की जाएगी। डॉ। रामेश्वर मिश्रा, जिला क्षय रोग अधिकारी