GORAKHPUR : इस शहर में बदबू परछाईं की तरह पीछा करती है. बदबू भी ऐसी कि सांसे अटक जाएं. अगर आपको यकीन नहीं है तो एक बार सिनेमा रोड पर चले जाइए वहां न जा सके तो अग्रसेन तिराहे से बैंक रोड पर चलिए. या फिर इंदिरा बाल बिहार के पास सड़क किनारे रखा कूड़ादान उसके आसपास फैला कचरा आप को बेचैन कर देगा. अचानक उठने वाली बदबू सारा मूड बिगाड़ देगी. मक्खियां बदन पर भिनभिनाएंगी अलग से. ऐसा नहीं है कि सिर्फ इनकी बदबू परेशान कर रही है. पशुओं के मुंह मारने से सड़क पर फैला कचरा जाम को जन्म दे रहा है. जरूरी काम के लिए निकले हैं और इस तरह के जाम में फंस गए तो हालत और पतली जाएगी.


सीन एक: बैंक रोड, पंजाब नेशनल बैंक के सामने: यार कोई डियो लगाओ, यहां आने के बाद मूड खराब हो जाता है। जीएमसी वाले पता नहीं क्या करते हैं। रास्ते में कूड़ा फेंक देते हैं। चलो यार जल्दी से बाइक आगे बढ़ाओ। सीन दो: शाही मार्केट के पास सिनेमा रोड अरे रिक्शा, हटा .के, कहां जाई, उधर कूड़ा बा, ईहां कार खड़ा बा, अरे बहस मत करो, चलो हटो इतनी बदबू है उपर से तुम बहस कर रहे हो। पोंपोंपीं पीपी बहुत नरक है। चलो। कूड़ा पड़ाव केंद्र मतलब हाथी के दांत


घर से उठने वाला कूड़ा-कचरा किसी के लिए प्रॉब्लम न बने। इसका अलग से इंतजाम किया जाता है। घरों से निकलने वाले कचरे को एक जगह पर इकट्ठा करके इसको ढककर कूड़ा पड़ाव केंद्र पहुंचाने की जिम्मेदारी सफाई कर्मचारियों की होती है। यहां से ट्रक या ट्राली पर लादकर कूड़े को सिटी के बाहर ले जाना होता है। लेकिन यहां पर इस नियम का पालन नहीं होता। सफाई कर्मचारी कूड़ा बटोरकर सड़क किनारे छोड़ जाते हैं जो दिन भर बदबू फैलाते हैं। कूड़े के प्रभाव से बचाने के लिए कूड़ा पड़ाव केंद्रों की स्थापना की गई है लेकिन वे हाथी के दांत बने हुए हैं।

13 लाख आबादी, 70 वार्ड, तीन कूड़ा पड़ाव केंद्र

सिटी में रोजाना करीब पांच सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। 13 लाख की आबादी वाले 70 वार्डों के कचरे के निस्तारण का कोई इंतजाम नहीं हो सका है। सिटी में आधुनिक कूड़ा पड़ाव आरटीओ आफिस रोड, लाल डिग्गी और भगवती कन्या इंटर कालेज के पास बनाया गया है। बावजूद इसमें कूड़ा रखने से कर्मचारी कतराते हैं। कूड़ा पड़ाव केंद्रों के आसपास एनक्रोचमेंट है। इसके दरवाजे पर लोगों ने दुकानें बना रखी हैं। अब मुंबई की कंपनी बनाएगी प्लांट कूड़े के निस्तारण के लिए महेसरा ताल के पास सालिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना के तहत ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना था। लेकिन कंपनी की लापरवाही से काम पूरा नहीं हो सका। इसलिए बंधों के किनारे, ताल और हाइवे के किनारे सिटी का कूड़ा खपाया जाता है। कूड़ा का निस्तारण कराने के लिए प्लांट का काम ठप होने पर अब इसको मुंबई की एक कंपनी के हवाले किया जाएगा। कंपनी के अफसर इंस्पेक्शन भी कर चुके हैं। पहली कंपनी के जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। कौन है इसके लिए जिम्मेदार
नगर निगम एरिया में नागरिकों को बेसिक सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है। नगर निगम इसके लिए नगर वासियों से टैक्स लेता है। हर साल टैक्स जमा कराने वाली पब्लिक को मनचाही सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। सब कुछ देख सुनकर भी जिम्मेदार चुपचाप हैं। क्या कहते हैं नगर आयुक्त सवाल: सड़क किनारे कचरा फैलने से जाम लगता है। जवाब : इसकी जानकारी नहीं है। कर्मचारियों से पता किया जाएगा। कहां- कहां कूड़ा दिन भर पड़ा होने से बदबू और जाम की प्रॉब्लम आ रही है। सवाल: शहर में कूड़ा स्टोर करने के लिए आधुनिक कूड़ा पड़ाव केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन वह हाथी के दांत साबित हो रहे हैं। कर्मचारी वहां पर कूड़ा रखने के बजाय सड़क किनारे छोड़ देते हैं। जवाब: यह तो लापरवाही है। इसकी जांच कराएंगे। दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सवाल: पब्लिक का कहना है कि सफाई कर्मचारियों की मनमानी से ऐसा हो रहा है। जवाब: ऐसा पासिबिल है जिन जगहों पर ऐसी प्राब्लम है वहां के हेल्थ इंस्पेक्टर से इसके बारे में जानकारी करेंगे। सवाल: कूड़ा निस्तारण करने के लिए कोई योजना नहीं है। जीएमसी की गाडिय़ां हाइवे किनारे कूडृा डालकर गड्ढों को पाट रही है।
जवाब: सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्रोजेक्ट चल रहा है। पहली कंपनी के अफसरों की लापरवाही से प्लांट का वर्क पूरा नहीं हो सका। दूसरी कंपनी आ रही है जिससे उम्मीद है कि प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा। नगर में ढेर सारी समस्याएं हैं। मैं धीरे-धीरे उनको दूर करने का प्रयास कर रहा हूं। जल्द ही इस प्रॉब्लम को भी दूर कर दिया जाएगा। आरके त्यागी, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive