Gorakhpur : सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए शासन ने लंबा चौड़ा बजट पास किया था. महानगर और मेट्रो सिटी की तर्ज पर गोरखपुर की ट्रैफिक और स्पीड को कंट्रोल करने के लिए इंटरसेप्टर व्हीकल दी थी. तीस लाख रुपए खर्च कर गाड़ी तैयार की गई लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी इंटरसेप्टर व्हीकल सिटी के लिए हाथी दांत साबित हो रही है.


उठ रहे सवालट्रैफिक डिपार्टमेंट को तीस लाख रुपए खर्च कर मिले इंटरसेप्टर व्हीकल पर अब सवाल उठने लगे हैं। आखिर किस स्कीम के तहत यह व्हीकल मिला, क्योंकि न तो सिटी और हाईवे पर स्पीड मानक के बोर्ड लगाए गए और न ही ऑन पेपर मानक की डिटेल पब्लिक तक पहुंची। ट्रैफिक रुल्स में रोड और हाईवे पर चलने के लिए स्पीड का मानक फिक्स होता है और पब्लिक को निर्देशित करने के लिए साइन बोर्ड भी लगाए जाते हैं लेकिन सिटी में एक भी स्पीड साइन बोर्ड नहीं हैैं।फोर्स की कमी, गाड़ी गैराज में


ट्रैफिक डिपार्टमेंट इस समय फोर्स की कमी से जूझ रहा है। सिटी में पहली बार एसपी ट्रैफिक की पोस्ट बना दी गई लेकिन फोर्स का नियतन सालों पुराना हैै। आज भी सिटी में एक एसपी ट्रैफिक और एक ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर हैं। वहीं मात्र 18 हेड कांस्टेबल और 74 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के भरोसे सिटी चल रही है। जबकि इंटरसेप्टर व्हीकल में एक ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर और तीन कुशल कांस्टेबल के साथ एक ड्राइवर की तैनाती होती है। फोर्स की कमी के चलते अक्सर स्पेशल व्हीकल फील्ड पर जाने की जगह गैराज में ही खड़ी रहती हैै।स्पीड पर होना था ऑन लाइन चालान

तीन महीने बीतने के बाद भी आज तक एक भी ऑन लाइन चालान नही काटा गया। जबकि इनोवा कार को अत्याधुनिक मशीनों से लैैस कर बनाए गए इंटरसेप्टर व्हीकल से न केवल हाई स्पीड पर कंट्रोल करना था बल्कि ऑन लाइन चालान भी होना था। लिकर ड्राइविंग करने वाले को भी पकड़ा जाना था। इसमें स्पीड मीटर, ब्रिथ एनेलाइजर, कैमरा और कंप्यूटर सिस्टम लगा है। जिसे मौके पर ही कंप्यूटर चालान काटने का नियम है। इंटरसेप्टर व्हीकल का यूज हाईवे पर किया जा रहा है। स्पीड साइन बोर्ड लगाने का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। जिसके बाद इंटरसेप्टर का काम बढ़ जाएगा।रमाकांत, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive