तय होगी गार्जियन की जिम्मेदारी, तब मिलेगा परमिट
-स्कूली वाहनों की जांच पड़ताल का शुरू होगा अभियान
-आरटीओ ने बुलाई मीटिंग, इनफोर्समेंट को निर्देश जारी GORAKHPUR: शहर में स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर आरटीओ फिर से अभियान छेड़ने की तैयारी में है। आरटीओ की मीटिंग में कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बुधवार से एआरटीओ प्रवर्तन की टीम सड़कों पर जांच के लिए पहुंच सकती है। स्कूली वाहनों को एनओसी देने के लिए स्कूल मैनेजमेंट से पैंरेट्स के एग्रीमेंट्स भी मांगने की तैयारी चल रही है। आरटीओ का कहना है कि नियम-कानून का पालन कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। बच्चों की सुरक्षा और सेफ्टी के लिए हर कदम उठाए जाएंगे। गाइडलाइन जारीबच्चों को स्कूल भेजने वाले गार्जियन की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। ऐसा नहीं है कि सिर्फ आरटीओ प्रशासन और स्कूल के लोग ही जिम्मेदार होंगे। बल्कि स्कूली वाहनों के संचलन का परमिट देने के लिए स्कूल मैनेजमेंट की एनओसी संग पैंरेट्स का एग्रीमेंट भी देखा जाएगा। पैरेंट्स का एग्रीमेंट्स देखने के बाद ही आरटीओ परमिट जारी करेगा। आरटीओ का कहना है कि मंगलवार को सभी अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। इस मामले पर जल्द गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी। नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन में इसका ख्याल रखा जाएगा। हालांकि जो वाहन पूर्व संचालित हो रहे हैं। उनकी नियमित जांच पड़ताल के निर्देश ि1दए गए हैं।
कुशीनगर हादसे के बाद बढ़ी सख्ती कुशीनगर के दुदुही में रेलवे गेट पार करने के चक्कर में स्कूल की अवैध वैन ट्रेन की चपेट में आ गई थी। 26 अप्रैल 2018 को हुए हादसे में 13 बच्चों की मौके पर मौत हो गई। घटना के लिए लोगों आरटीओ प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। यह है गाइडलाइन - बसों में स्कूल का नाम, ड्राइवर का नाम, टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए। - बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों और परिवहन के लिए किया जाएगा। - वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए। - वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। - बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके। - सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था। - बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो। - बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य होता है। - बस का दरवाजा तालायुक्त होना चाहिए। - बस में प्राथमिक इलाज के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो।- बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
- स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो। - बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके - स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं। - किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है। - बस चालक के अलावा एक और बस चालक साथ में होना जरूरी। - चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई मामला हो। - बस में टीचर तैनात रहे जो बच्चों पर नजर रखें। वर्जन स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसको देखते हुए जल्द ही अभियान शुरू किया जाएगा। डग्गामार, असुरक्षित और अवैध ढंग के वाहनों से बच्चों को स्कूल ले जाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। बिना परमिट के चल रहे वाहनों को सीज करा दिया जाएगा। लापरवाही सामने आने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।भीमसेन सिंह, आरटीओ, गोरखपुर