World Mental Health Day : माक्र्स का प्रेशर, मेंटल स्ट्रेस का शिकार हो रहे मासूम
गोरखपुर (ब्यूरो).शहर के एक स्कूल में सातवीं क्लास में पढऩे वाले एक बच्चे ने काउंसलर को कॉल की। कॉल कर बच्चे ने बताया कि उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है। बच्चे ने बताया कि मै जो कुछ भी करता हूं या पढ़ता हूं वो सब मुझे गलत लगता है। बच्चे ने बताया कि मेरे पेरेंट्स भी मुझे नहीं समझ रहे हैं, वो कहते हैं कि वहां तुमको पढऩे के लिए भेजा है। जब नंबर अच्छे नहीं आ रहे हैं तो क्या फायदा वहां रहने का। ये कहते हुए बच्चा रोने लगा। तब काउंसलर ने उसे अच्छी सलाह देकर आगे पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया।'मेरी बिटिया खेलती नहीं है
इसी तरह काउंसलर के पास एक पांचवी क्लास में पढऩे वाली बच्ची के पिता की कॉल आई। उन्होंने बताया कि मेरी बेटी अभी क्लास 5 में पढ़ती है, वो दिन भर कमरे के अंदर ही किताब और कॉपी लेकर पढ़ाई लिखाई करती रहती है। उससे जब भी कहा जाता है कि वो बाहर जाकर और बच्चों के साथ खेले तो वो नहीं जाती है। प्रेशर डालकर बाहर भेज भी दो तो थोड़ी देर में फिर अंदर आ जाती है। पिता का कहना था कि इसी एज में बेटी कहती है कि पापा बाहर खेलूंगी तो अच्छे नंबर नहीं आएंगे। ऐसे में दिन भर पढ़ाई को लेकर टेंशन में रहती है। 'बेटा इंजीनियर नहीं सिंगर बनना चाहता हैकाउंसलर के पास शहर के एक स्कूल से अभी हाल ही में इंटर पास कर चुके बच्चे के पिता पहुंचे। उन्होंने बताया कि मेरा बेटा बचपन से ही गाने बजाने का शौक रखता है। उसने इंटर पास किया तो मैंने इंजीनियरिंग करने की सलाह दी, लेकिन इसके बाद से ही वो खोया-खोया रहता है। कुछ भी कहो तो उसका ठीक से जवाब भी नहीं देता है। काउंसलर ने सारी बात सुनकर उन्हें सलाह दी कि बच्चे पर कुछ भी बनने का प्रेशर मत डालिए। नहीं तो वो किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाएगा और उसके सपने टूटेंगे तो इससे उसके दिमाग पर गहरा असर भी पड़ सकता है। मां बाप जो अपने लाइफ में बिजी हुए हैं, परिवार छोटा हो गया है। बच्चा अकेला है और वो किसी से बात नहीं कर पा रहा है। बच्चे की फिजिकली जांच भी करवाई जा रही है, लेकिन मेंटल हेल्थ को लेकर कोई चेकअप नहीं करवाता है। ऐसे में हैरान कर देने वाली बात सामने आ रही है कि छोटे-छोटे बच्चे भी मेंटल स्टे्रस के शिकार हो रहे हैं।
पुणेंदु शुक्ला, काउंसलरबाहरी रूप से जब दबाव दिया जाता है और बच्चो के अंदर उस प्रेशर को झेलने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे बच्चे मेंटल स्ट्रेस से गुजरने लगते हैं। समय से पहले कुछ किया जाता है तो इसका लांग टाइम इफेक्ट गहरा होता है। ऐसे बच्चे जो हमेशा प्रेशर में होते हैं, उनमे हैप्पी पर्सनॉलिटी डेवलप नहीं होती है। आगे चलकर ऐसे बच्चे एंजाइटी और डिप्रेशन की चपेट में भी आ सकते हैं। - प्रो। अनुभुति दूबे, विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, डीडीयू