कागजों में ही रह गए नगर निगम के जोन ऑफिस
- हाउस टैक्स से लेकर रेंट जमा करने के लिए खोले जाने थे चार जोन ऑफिस
- नगर निगम अधिकारियों को भी दी गई थी अलग-अलग जिम्मेदारी GORAKHPUR: पब्लिक की सुविधा के लिए शहर को चार जोन में बांट जोन ऑफिस खोलने की नगर निगम की कवायद पांच साल बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी है। आलम यह है कि आज भी हाउस टैक्स से लेकर रेंट जमा करने और सफाई से लेकर नाली-सड़क निर्माण को लेकर शहरभर के लोगों को नगर निगम की दौड़ लगानी पड़ती है। हालांकि अधिकारियों का दावा था कि चारों जोन ऑफिसेज का निर्माण पूरा होते ही चालू कर दिया जाएगा, जहां पब्लिक को ये सभी सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। इसके लिए बाकायदा निगम अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बांटी गई थी लेकिन समय के साथ योजना ठंडे बस्ते में चली गई। अमल में नहीं आ सका जोन सिस्टमशहर के विस्तार के बाद भी नगर निगम में जोन का बंटवारा सिर्फ कागजों में चल रहा है। संयुक्त नगर आयुक्त और अपर नगर आयुक्त की तैनाती के बाद तत्कालीन नगर आयुक्त ने जोन सिस्टम को अमल में लाने का फैसला लिया था। जोन वन और टू की जिम्मेदारी अपर नगर आयुक्त को दी गई। लेकिन जोन ऑफिस न खुलने की वजह से यह प्रयास धरा का धरा रह गया। आज भी पब्लिक अपने कार्यो के लिए नगर निगम के विभिन्न दफ्तरों का चक्कर लगा रही है। हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि अफसरों को जोन वार जिम्मेदारी दे दी गई है।
यूं बंटने हैं जोन जोन 1 - नौसढ़, ट्रांसपोर्टनगर, सिविल लाइंस, झरना टोला, इंजीनियरिंग कॉलेज आदि। जोन 2 - शाहमारूफ, हिन्दी बाजार, गीता प्रेस, दाउदपुर, पुर्दिलपुर, आदि मोहल्ले शामिल होंगे। जोन 3 - बिछिया, पादरी बाजार, असुरन, मेडिकल कॉलेज, चरगांवा, मानबेला क्षेत्र को शामिल किया गया है। जोन 4 - गोरखनाथ, जनप्रिय विहार, राजेंद्र नगर, बरगदवां आदि इलाके शामिल होंगे। यह मिलनी थी सुविधा जोन ऑफिस खुलने के बाद पब्लिक को अपने ही जोन में हाउस टैक्स, रेंट आदि जमा करने की सुविधा मिलती। वहीं जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, नामांतरण संबंधी कार्य भी जोनल ऑफिस पर ही हो जाते। कोट्स शहर में अभी जोन ऑफिस नहीं खुल पाए हैं जिसकी वजह से नगर निगम ऑफिस तक की दौड़ लगानी पड़ती है। काम कराने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आशुतोष कुमार त्रिपाठीपिछली बार ही निगम ने शहर में जोन ऑफिस खोलने का दावा किया था लेकिन अभी तक उसका निर्माण तक नहीं किया जा सका। इससे पब्लिक को हाउस टैक्स, रेंट जमा करने के लिए नगर निगम जाना पड़ता है।
विवेक कुमार मिश्रा हाउस टैक्स, रेंट और समस्याएं दर्ज कराने के लिए नगर निगम जाना पड़ता है जबकि नगर निगम ने शहर को चार जोन में बांटकर पब्लिक को सुविधा देने का दावा किया था। सुयश त्रिपाठी वर्जन अभी कार्यालय का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। इसका इस्टीमेट बनाया जा रहा है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। - सुरेश चंद्र, चीफ इंजीनियर नगर निगम