चोर-बदमाश तो पुलिस के राडार पर हमेशा ही रहते हैं लेकिन बेईमानी के आरोप में 1600 खाकीवर्दी वाले ही जांच एजेंसियों के राडार पर आ गए हैं. दरअसल विजिलेंस की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है. विजिलेंस की ओर से शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में पुलिस की आरक्षी भर्ती प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग गया है. 2019 में पुलिस विभाग ज्वाइन करने वाले 1600 पुलिसकर्मियों पर भर्ती के दौरान बेईमानी और जालसाजी का सहारा लिया. विजिलेंस की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि भर्ती में किसी ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र लगाए तो किसी ने फर्जी डोमोसाइल का इस्तेमाल किया है.

कानपुर (ब्यूरो) विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद स्क्रीनिंग कमेटी भी शक के घेरे में आ गई है। यूपी के तमाम जिलों में तैनात इन 1600 पुलिसकर्मियों को फिलहाल नोटिस जारी किया गया है। शासन ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है। एसआईटी की जांच में जो निकलेगा वो तो सबके सामने होगा लेकिन विजिलेंस की इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है। विजिलेंस अधिकारियों की माने तो 2015 में आरक्षी भर्ती निकली थी। जिसमें 6000 सिपाहियों की भर्ती होनी थी। अलग-अलग जिलों के लिए अलग-अलग भर्ती थी। इसमें 1800 महिला सिपाहियों की भर्ती भी होनी थी।

जांच में चौकाने वाले तथ्य
विजिलेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, भर्ती के लिए फिजिकल के दौरान हुए घालमेल की वजह से ट्रेनिंग के बाद भर्ती निरस्त की गई थी। जिसके बाद कैंडिडेट हाईकोर्ट चले गए थे। कोर्ट के आदेश के बाद 2019 में उन्हें ज्वाइन कराया गया था। इसके बाद से यूपी के तमाम जिलों में इनकी तैनाती कर दी गई थी। विजिलेंस अधिकारियों की मानें तो आरक्षियों की ज्वाइनिंग कराने के छह महीने बाद ही शासन को लिखित शिकायत मिली थी। जिसकी अति गोपनीय जांच शासन के आदेश पर विजिलेंस को सौंपी गई थी। भर्ती हुए सभी 6000 पुलिसकर्मियों के प्रपत्रों की जांच की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इनमें से 1600 पुलिस कर्मियों ने बेईमानी कर नौकरी पाई थी।

Posted By: Inextlive