। एडी माध्यमिक की फेक ईमेल से फेक टीचर्स का पैनल जारी कर भर्ती करने के मामले में पहले दिन से शुरू हुआ लापरवाही का दौर अब भी जारी है. दो फर्जी टीचर्स की भर्ती और लाखों रुपए सैलरी जारी होने के बाद भी शायद मामले की तह तक विभाग नहीं पहुंचना चाहता है. क्योंकि विभाग को मालूम है कि पानी उन्हीं के पैरों के नीचे आने वाला है. इसी वजह से अब तक न तो फर्जी टीचर का फोन नंबर पता चल सका न एड्रेस और न बैंक अकाउंट.

कानपुर (ब्यूरो)। एडी माध्यमिक की फेक ईमेल से फेक टीचर्स का पैनल जारी कर भर्ती करने के मामले में पहले दिन से शुरू हुआ लापरवाही का दौर अब भी जारी है। दो फर्जी टीचर्स की भर्ती और लाखों रुपए सैलरी जारी होने के बाद भी शायद मामले की तह तक विभाग नहीं पहुंचना चाहता है। क्योंकि विभाग को मालूम है कि पानी उन्हीं के पैरों के नीचे आने वाला है। इसी वजह से अब तक न तो फर्जी टीचर का फोन नंबर पता चल सका, न एड्रेस और न बैंक अकाउंट। वहीं नियुक्ति पत्र जारी करने वाले स्कूल मैनेजर भी जमकर लापरवाही कर रहे हैैं। डीआईओएस ने नियुक्ति देने वाले दोनों स्कूलों से मामले में रिपोर्ट मांगी थी लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गई। अब रिमाइंडर भेजने की तैयारी हो रही है।

इन प्वाइंट्स पर मांगी रिपोर्ट

मामले में डीआईओएस अरुण कुमार ने मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज किदवई नगर और आर्य कन्या इंटर कालेज गोविंद नगर के मैनेजरों को पत्र भेजकर नियूक्ति की पूरी डिटेल रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में मैनेजर्स से टीचरों का सत्यापन, डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन समेत कई चीजों पर रिपोर्ट मांगी गई थी। पत्र जारी हुए एक सप्ताह से ज्यादा बीतने के बाद भी स्कूल मैनेजर्स ने डीआईओएस को कोई भी रिपोर्ट नहीं भेजी है। डीआईओएस की ओर से अब रिमाइंडर भेजे जाने की तैयारी है। बताते चलें कि फेक पैनल में शामिल विनीता ने मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज किदवई नगर में टीजीटी और रिक्षा पांडेय ने आर्य कन्या इंटर कालेज में पीजीटी पोस्ट पर ज्वाइन भी कर लिया था। फर्जी पैनल में शामिल सभी कैंडीडेट्स पर कर्नलगंज थाने में डीआईओएस की ओर से एफआईआर कराई जा चुकी है।

बिना सत्यापन कैसे जारी की सैलरी
मामले में किदवई नगर स्थित मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज का प्रबंधन भी जांच के घेरे में है। फर्जी पैनल में नाम के जरिए टीजीटी विनीता को बिना सत्यापन न सिर्फ नियुक्ति दे दी गई बल्कि तीन महीने 20 दिन की सैलरी 2.59 लाख रुपए जारी हो चुके हैं। मामले में ट्यूजडे को पड़ताल में पता चला है कि विनीता का अप्रैल महीने का वेतन बिल भी स्कूल की ओर से डीआईओएस ऑफिस में भेज दिया गया था। मामला खुलने के बाद बिल को कैंसिल किया गया है। अप्रैल महीने में विनीता को 64,135 रुपए सैलरी दी जानी थी।

पुलिस ने 7 लोगों के दर्ज किए बयान
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने अपनी इंवेस्टिगेशन तेज कर दी है। मंडे को डीआईओएस ऑफिस में सस्पेंड प्रधान सहायक राजन टंडन और वरिष्ठ सहायक सुनील के बयान दर्ज हुए हैैं। इनके अलावा लेखाधिकारी राजेश कुमार गुप्ता, लेखाकार अमोल, रमसा के अकाउंटेंट सुशील, डीआईओएस की क्लर्क शिल्पा और गंगाराम के बयान दर्ज हुए हैैं। सूत्र बताते हैैं कि पूरे मामले में दर्ज हुए बयान में रिटायर्ड डीआईओएस की भूमिका संदेह के घेरे में है।

वर्तमान डीआईओएस भी जांच के घेरे में
पूरे मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में डीआईओएस ऑफिस के अफसर और कर्मचारी भी विभागीय जांच के घेरे में आ गए हैैं। विभागीय जांच में डीआईओएस, लेखाधिकारी, लेखाकार, क्लर्क और रिटायर्ड डीआईओएस जांच के घेरे में हैैं। जल्द ही सभी से स्पष्टीकरण मांंगा जा सकता है।
विनीता ने भेजा लेटर, कहा मेरी बात भी सुनी जाए
फेक पैनल से नौकरी पाने वाली विनीता ने डीआईओएस और स्कूल मैनेजर को एक लेटर भेजा है। लेटर में उसने कहा कि उसका पक्ष भी सुना जाए। सुनने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाए। वहीं चर्चा है कि विनीता ने स्कूल जाकर अभी तक ली गई सैलरी के अमाउंट का चेक देने की कोशिश की है लेकिन एफआईआर दर्ज होने और पुलिस द्वार जांच शुरू किए जाने के कारण पैसा वापस नहीं लिया गया।

Posted By: Inextlive