कानपुरराइट्स के लिए गुड न्यूज है. अगर कहीं भूकंप आता है तो आपकी सिटी सेफ हैै. यहां की ऊंची बिल्डिंग्स पर केवल झटके भर आएंगे. हालांकि यदि आपका कंस्ट्रक्शन वीक है तो भूकंप के झटके आपको ज्यादा परेशान कर सकते हैैं. अगर झटके भी आते हैैं तो आपको अलर्ट रहते हुए सावधानियां बरतनी हैैं. यह कहना है आईआईटी के अर्थ साइंस ड़िपाडर्टमेंट का. इसका रीजन टेक्टॉनिक और यूरेशियन प्लेट्स से अधिक दूरी होना है.

कानपुर (ब्यूरो) बीते कई दिनों से भूकंप के झटके अक्सर आ रहे हैैं। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले मैसेज आपको डराते हैैं। यह झटके टेक्टॉनिक और यूरेनियम प्लेट के आपसी टकराव की वजह से आ रहे हैैं। बताते चलें कि टेक्टॉनिक प्लेट को इंडियन प्लेट भी कहा जाता है। अपनी कंट्री टेक्टॉनिक प्लेट पर है।

इंसान की गलती से नहीं, जमीन के अंदर बढ़ता दवाब है भूकंप का कारण
भूकंप किसी इंसानी गलती की वजह से नहीं आ रहा है। इसकी वजह जमीन के अंदर बढ़ता हुआ दवाब है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसको रोका भी नहीं जा सकता है। हालांकि सावधानियां बरतते हुए डेंजर जोन से दूरी बनाकर इससे बचा जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि इंडियन प्लेट हर साल 15-20 मिमी चीन की ओर खिसक रही है। इसको खिसकने में जो एनर्जी निकलती है तब छोटे - छोटे भूकंप आते हैैं। एनर्जी जब तेजी से आती है तो बड़ा भूकंप आता है।

50 मिलियन साल से हो रहा टकराव, हिमालय है इसी का परिणाम
टेक्टॉनिक और यूरेशियन प्लेट का यह टकराव अभी का नहीं है। यह 50 मिलियन साल पुराना है। इसी टकराव का परिणाम हिमालय पर्वत है। आने वाले समय में ऐसे ही कुछ अन्य माउंटेन आदि बनने की संभावना है।

उत्तराखंड और नेपाल डेंजर जोन में, दिल्ली एनसीआर में भी खतरा
टेक्टॉनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट के सबसे करीब उत्तराखंड, नेपाल और हिमालय पर्वत है। इन स्थानों पर बड़े भूकंप आने की संभावना प्रबल है। हालांकि विशेषज्ञ दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा और गुरुग्राम (पूरे एनसीआर) में तेज झटके आने की बात कह रहे हैैं।


दो दिन पहले झटकों से हिला था देश
दो दिन पहले 21 मार्च को उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब हरियाणा और जम्मू कश्मीर देश के कई राज्यों में धरती कांपी थी। लगभग 40 सेकेंड के झटकों में पब्लिक घरों से नीचे आ गई थी। इसका कारण अफगानिस्तान की हिंदकुश पहाडिय़ों में फैयजाबाद से 133 किमी दक्षिणपूर्व जमीन से 156 किमी नीचे 6.6 रिक्टर स्केल से आने वाला भूकंप था।

जोशीमठ में धरती फटकर निकला था पानी
जनवरी 2023 में उत्तराखंड के जोशीमठ में कई स्थानों पर धरती फटकर पानी निकला था। इस घटना को भी प्लेटों के टकराव का कारण माना जा राह है। उत्तराखंड की कुमाऊं रेंज में साल 1505 और 1803 में बड़े भूंकप आ चुके हैैं।

इन टॉपिक्स पर हो रहे रिसर्च
आईआईटी कानपुर हिमालय में भूकंप आने के कारणों और जमीन के भीतर की स्थिति पर रिसर्च कर रहा है। वहीं नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद रिसर्च कर रहा है कि धरती से लगातार हो रहा पानी का दोहन दो भूकंप की वजह नहीं है। इसके अलावा कई इंस्टीट्यूट यह रिसर्च भी कर रहे हैैं कि कहीं ग्लेशियर का पिघलना तो भूकंप की वजह नहीं है।

भूकंप आए तो यह करें

- घर में हो तो जमीन पर झुक जाएं। मजबूत मेज के नीचे आ जाएं, झटके रुकने पर बाहर आएं।
- शीशे, खिडक़ी और दीवार से दूर रहें।
- जब तक बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक घर के अंदर ही रहें।
- घर के बाहर हों तो बिल्डिंगों, पेड़ और पोल आदि से दूर रहें।
- गाड़ी चला रहें हो तो रोक लें।
- मलबे में फंस गए हों तो माचिस की तीली को जलाएं
- भूकंप के समय लिफ्ट आदि का प्रयोग न करें।

नोट - यह टिप्स भारतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जारी की गई हैैं।

भूकंप आने का कारण टेक्टॉनिक और यूरेशियन प्लेटों के बीच होने वाला टकराव है। टेक्टॉनिक प्लेट कानपुर से दूर हैं, इस कारण से यहां केवल झटकें महसूस होंगे। ऊंची बिल्डिंग्स पर झटके ज्यादा महसूस होंगे। हिमालय के क्षेत्र में हमारी टीम रिसर्च कर रही है। भूकंप के कारणों में इंसान की कोई गलती नहीं है। यह जमीन के भीतर का इंटरनल प्रोसेस है।
प्रो। जावेद एन मलिक, प्रोफेसर, अर्थ साइंस डिपार्टमेंट आईआईटी कानपुर

Posted By: Inextlive