वनडे का विश्व कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के सामने पहली बड़ी चुनौती के रूप में है इंग्लैंड का दौरा और टेस्ट में नंबर एक का रुतबा बरक़रार रखने का संघर्ष.

चार टेस्ट मैचों और पाँच वनडे के अलावा भारत को वहाँ एक ट्वेन्टी-20 मैच भी खेलना है और ऐसे में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मैच से एक दिन पहले कोच डंकन फ़्लेचर के साथ मिलकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे होंगे।

धोनी जब टीम के सदस्यों के नाम वाला काग़ज़ लेकर बैठते होंगे तो उन्हें शायद लगता होगा कि उनके तरकश में मैच जिताऊ हर तीर मौजूद है। सचिन तेंदुलकर टीम में वापस आ चुके हैं। पिछले कुछ समय से सचिन जिस बेहतरीन फ़ॉर्म में हैं उससे एक बार फिर विपक्षी टीम में डर होना स्वाभाविक है। इसके अलावा सचिन इस दौरे की तैयारी के लिए काफ़ी समय से इंग्लैंड में ही हैं।

सचिन का समर्पण

क्रिकेट के शिखर पर 22 साल तक रहने के बावजूद सचिन का ये समर्पण युवाओं को प्रेरित तो करता है मगर उन्हें जानने वालों को आश्चर्यचकित नहीं करता। माना जा रहा है कि 38 वर्षीय सचिन तेंदुलकर का या संभवतः ये अंतिम इंग्लैंड दौरा होगा मगर आज तक वह लॉर्ड्स पर एक भी शतक नहीं लगा पाए हैं।

भारत को 21 जुलाई से लॉर्ड्स पर ही पहला टेस्ट खेलना है। अगर सचिन को लॉर्ड्स पर शतक लगाने में क़ामयाबी मिली तो वहाँ ये उनका पहला और कुल 100वाँ अंतरराष्ट्रीय शतक होगा।

तेंदुलकर के अलावा टेस्ट क्रिकेट के तीन और महान खिलाड़ी भारतीय टीम में हैं। राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण भी शायद अंतिम बार इंग्लैंड दौरे पर गए हैं। इन तीनों के मिलाकर कुल 99 टेस्ट शतक और 35 हज़ार टेस्ट रन हैं और ये तीनों ही इस दौरे को यादगार बनाने की पूरी कोशिश करेंगे।

इन बड़े नामों के अलावा भारत को 2007 में ट्वेन्टी-20 और इस साल वनडे का विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह की जगह टीम में पक्की नहीं है।

इशांत की वापसी

वह 11 साल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं और ये उनके लिए टेस्ट टीम में जगह बनाने का अंतिम मौक़ा भी साबित हो सकता है। अगर उन्होंने इसका फ़ायदा नहीं उठाया तो कोई आश्चर्य नहीं कि सुरेश रैना उनसे बाज़ी मार ले जाएँ।

वेस्टइंडीज़ दौरे से यूँ तो भारतीय टीम को टेस्ट सिरीज़ में कोई बड़ा फ़ायदा नहीं हुआ मगर इशांत शर्मा का फ़ॉर्म में लौटना बड़ी संतोष की बात है। उन्होंने तीन टेस्ट मैचों में 22 विकेट झटके थे और ज़हीर ख़ान के साथ मिलकर वह नई गेंद का आक्रमण सँभालने को तैयार दिख रहे हैं।

धोनी के अलावा कोच डंकन फ़्लेचर के लिए भी ये शृंखला एक परीक्षा की तरह है। धोनी को उम्मीद होगी कि इंग्लैंड के आठ साल के कार्यकाल में फ़्लेचर ने जो अंदरूनी जानकारी जुटाई होगी उसका टीम को फ़ायदा होगा।

एकमात्र चीज़ जो धोनी को परेशान करेगी वो है धुआँधार ओपनर वीरेंदर सहवाग की कमी जो कि चोट के चलते पहले दो टेस्ट से बाहर हैं। उनकी जगह अभिनव मुकुंद को मिली है और वह गौतम गंभीर के साथ पारी की शुरुआत कर सकते हैं।

वैसे गंभीर भी चोट की वजह से वेस्टइंडीज़ दौरे पर नहीं जा सके थे और अब इन दोनों पर ये ज़िम्मेदारी होगी कि वे सीनियर खिलाड़ियों को मज़बूत नींव दे सकें।

 

 

Posted By: Inextlive