देश का सबसे प्रदूषित शहर बना कानपुर
- सीपीसीबी के रियल टाइम डाटा में प्रदूषण का स्तर मानक से 20 गुना से भी ज्यादा
- साल में पहली बार 1299 तक पहुंचा पीएम -2.5 का लेवल, हवा चलने से कम हुई परेशानी KANPUR: कानपुर मंगलवार का देश का सबसे प्रदूषित शहर बना। साल में पहली बार कानपुर की हवा में इतनी जहरीली हुई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नेहरू नगर केंद्र के रियल टाइम डाटा के मुताबिक मंगलवार को कानपुर में खतरनाक पार्टिकुलेटेड मैटर -2.5 का स्तर मानक से 20 गुना ज्यादा हो गया। शाम को सीपीसीबी की देश के 30 मुख्य शहरों में प्रदूषण की रिपोर्ट आई तो उसमें भी कानपुर टॉप पर रहा। पहली बार 20 गुना पीएम-2.5मंडे से ही जहां हवा चलने से प्रदूषण का स्तर कम होने पर अधिकारियों ने चैन की सांस ली। वहीं देर रात प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हुआ। मंगलवार मध्य रात्रि एक बजे पीएम 2.5 का स्तर 1299 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच गया। जो इस साल का पीएम 2.5 का सर्वाधिक स्तर रहा। इसके बाद मंगलवार शाम प्रदूषण का स्तर कम होने के बाद भी 700 से ज्यादा का बना रहा, तब भी यह स्तर मानक से 10 गुना से ज्यादा था।
ऐसे बना सबसे प्रदूषित शहर- टाइम- पीएम2.5मंगलवार सुबह
.55 बजे- 1299 1.55 बजे-1189 2.55 बजे-1138 3.55 बजे-1122 4.55 बजे- 1056 5.55 बजे-994 6.55बजे-941 7.55बजे- 894 8.55बजे-852 9.55बजे-812 10.55बजे-789 दोपहर-14.55बजे-750 15.55बजे-764 16.55बजे-629 17.55बजे-548 नोट- सभी आंकड़े सीपीसीबी के नेहरू नगर केंद्र के - पीएम 2.5 का मानक स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर है ------------------- एयर क्वालिटी इंडेक्स में कानपुर- कानपुर- 421 गाजियाबाद- 380 मुरादाबाद-357 मंडी गोविंदगढ़-346 दिल्ली- 324 लखनऊ-317 वाराणसी-311 गुरूग्राम-306 ----------------- हवा ने कम किया स्तर प्रदूषण का स्तर 20 गुना तक पहुंचने के बाद भी हवा चलने की वजह से मंगलवार शाम को यह गिर कर आधे से भी कम रह गया। हालाकि कम होने के बाद भी प्रदूषण मानक से 8 से 9 गुना तक ज्यादा था। मंगलवार को हवा की रफ्तार 2.38 मीटर प्रति सेकेंड तक रही। इस वजह से प्रदूषण का असर उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए था। हवा के भरोसे छोड़ा प्रदूषण शहर में प्रदूषण के बढ़े स्तर को देखते हुए प्रमुख चौराहों पर पानी का छिड़काव करने के लिए जल कल विभाग और दमकल विभाग की गाडि़यां लगाई गई थी,लेकिन दो दिन हवा की रफ्तार बढ़ने से प्रदूषण का स्तर कम हुआ तो प्रमुख चौराहों पर पानी का छिड़काव ही नहीं किया गया।