कोरोना वायरस की थर्ड वेव में वायरस का इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है. हांलाकि इस बार सेकेंड वेव जैसे हालात नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन इसके बाद भी संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए सरकार अलर्ट मोड पर है. इस वेव संक्रमितों का हॉस्पिटलाइजेशन ज्यादा नहीं हो रहा है. इसके अलावा पेशेंटस में पिछली बार की तरह संक्रमण के लक्षण अलग तरह के हैं. उसे देखते हुए केंद्र सरकार की नेशनल कोविड टास्क फोर्स एम्स और आईसीएमआर के ज्वाइंट वर्किंग गु्रप ने रिवाइज्ड गाइडलाइन जारी की हंै.

कानपुर(ब्यूरो)। कोरोना वायरस की थर्ड वेव में वायरस का इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। हांलाकि इस बार सेकेंड वेव जैसे हालात नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए सरकार अलर्ट मोड पर है। इस वेव संक्रमितों का हॉस्पिटलाइजेशन ज्यादा नहीं हो रहा है। इसके अलावा पेशेंटस में पिछली बार की तरह संक्रमण के लक्षण अलग तरह के हैं। उसे देखते हुए केंद्र सरकार की नेशनल कोविड टास्क फोर्स, एम्स और आईसीएमआर के ज्वाइंट वर्किंग गु्रप ने रिवाइज्ड गाइडलाइन जारी की हंै।

हॉस्पिटलाइजेशन है कम
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ। विकास मिश्र बताते हैं कि इस बार पेशेंट्स का हॉस्पिटलाइजेशन कम है। साथ ही पिछली बार जैसे लक्षण भी नहीं आ रहे हैं। इस वजह से ज्वाइंट वर्किंग गु्रप ने लक्षणों के आधार पर पेशेंट्स को तीन कैटेगरीज में डिवाइड किया है। इसके अलावा पिछली बार जिस तरह की पोस्ट कोविड प्रॉब्लम्स सामने आई थीं। उसे रोकने को लेकर भी गाइडलाइन हैं।

स्टेयराइड पर अहतियात
रिवाइज्ड गाइडलाइन में पोस्ट कोविड प्रॉब्लम्स को लेकर भी कई अहम बातें कही गई हैं। कानपुर में ही सेकेंड वेव में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए डेढ़ सौ के करीब मरीजों में ब्लैक फंगस की प्रॉब्लम हुई थी। इसे देखते हुए इस बार डायबिटीज पेशेंट्स जोकि संक्रमण से ग्रसित होंगे। उन्हें ट्रीटमेंट के दौरान स्टेयराइड देने के लिए बेहद अहतियात बरतनी होगी।


लक्षणों के आधार पर से तीन कैटेगरी-

माइल्ड इंफेक्शन
- बुखार, बिना सांस लेने में परेशानी या हाईपोक्सिया के, अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक सिम्पटम्स (गले में इंफेक्शन,खांसी)
कहां पर इलाज-

- होम आइसोलेशन में करवा सकते हैं इलाज।
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मॉडरेट इंफेक्शन-
- ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90 से 93 के बीच, सांस लेने में परेशानी

कहां मिलेगा इलाज- ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती होने की सलाह
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सीवियर इंफेक्शन-
- रेस्पेरेटरी रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा होने पर,सांस लेने में परेशानी, एसपीओटू लेवल 90 परसेंट से नीचे।
कहां मिलेगा इलाज- आईसीयू में एडमिशन की सलाह
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कब करेंगे रेम्डेसिविर का प्रयोग-
- 10 दिनों से लक्षण, माडरेट से सीवियर कैटेगरी, सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन सपोर्ट लगा होने पर, इमरजेंसी के आधार पर ।
- हॉस्पिटलाइज्ड कोविड पेशेंट्स जिन्हें 5 दिन के दूसरे इलाज में कोई फायदा नहीं हुआ है तब।
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टुसीलीजोमैब इंजेक्शन की जरूरत कब-

- आईएल-6 और सीआरपी जांच में मार्कर बढ़े होने पर
- टीबी से लेकर लांग टर्म सेकेंड्री इंफेक्शन फालोअप के पेशेंट्स
- ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत हो और स्टेयराइड देने पर फायदा न हो रहा हो
- सीवियर कंडीशन में भर्ती होने 24 से 48 घंटे के भीतर।
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पोस्ट कोविड प्रॉब्लम्स से बचने को क्या गाइडलाइन-
- डायबिटीज पेशेंट्स में म्यूकरमाइकोसिस(ब्लैक फंगस)के खतरे को देखते हुए बेहद सावधानीपूर्वक स्टेयराइड का प्रयोग
- जिन्हें दो से तीन हफ्ते तक खांसी रहे उनकी टीबी की जांच कराने की सलाह
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किनके सीवियरली इंफेक्ट और मार्टेलिटी होने का खतरा ज्यादा-
-60 साल से ज्यादा उम्र के लोग, जोकि कोमार्बिड हैं
-हार्ट प्रॉब्लम, हाईपरटेंशन, क्रोनिक लंग, किडनी व लीवर डिसीज से पीडि़त
- सेरेब्रो वेस्कुलर डिसीज के रोगी, काफी मोटे लोग
- कैंसर के वह मरीज जिनकी कीमोथेरेपी चल रही
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वर्जन-
90 से 93 के बीच अगर एसपीओटू लेवल जा रहा है तो उसे मॉडरेट मानते हुए ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती होने का सुझाव गाइडलाइन में है। ज्यादा दिन खांसी रहने पर टीबी की जांच कराने का भी सुझाव है जोकि नई बात है।

- प्रो। विकास मिश्र, माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट,जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

Posted By: Inextlive