पाकिस्तान के कानून और न्याय मंत्रालय के मुताबिक सात वर्ष के बच्चों को उनके गुनाहों का कसूरवार माना जा सकता है. इसकी वजह है उनका छोटी उम्र में ही समझदार हो जाना.

उसका तर्क है, “पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे इलाकों में कम आयु में ही बच्चे ये समझने लगते हैं कि उनके कृत्यों का क्या परिणाम होगा और इसकी वजह है गरीबी, गर्मी और मसालेदार खाना.”

संयुक्त राष्ट्र के दिशा निर्देशों के मुताबिक 12 साल ऐसी उम्र है जब बच्चों को अपने कृत्यों को लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, यानि अगर वे कोई अपराध करें तो उन्हें इसके लिए कसूरवार माना जा सकता है।

लेकिन दक्षिण एशियाई देशों में ये सीमा सात साल है। अब पाकिस्तान में एक मसौदा तैयार किया गया है जिसमें ये उम्र 12 साल करने का प्रस्ताव है लेकिन मंत्रालय ने इस मसौदा को रोक दिया है।

पाकिस्तान के कानून और न्याय मंत्रालय ने कहा है कि उम्र की समयसीमा नहीं बढ़ाई जा सकती। विभिन्न संस्थाओं से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस तर्क पर ऐतराज जताया है।

'मसालेदार खाने' का अपराध से नाता?

सानिया निश्तर पाकिस्तानी गैर सरकारी संस्था हार्टफाइल से जुड़ी हैं। उनका कहना है, “आपराधिक कृत्यों की जिम्मदारी लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों की उम्र 12 साल रखी है। सबको ये बात माननी चाहिए। मैं तो बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही हूँ कि हमारे मंत्रालय ने ऐसा बयान दिया है.”

प्रोफेसर निकोलस मैकिनटोंश, यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज से जुड़े हैं और इस मसले पर रिपोर्ट लिख चुके हैं। वे भी पाकिस्तानी मंत्रालय के रुख से सहमत नहीं है पर ये जरूर मानते हैं कि गरीबी एक पहलू हो सकता है।

प्रोफेसर निकोलस मैकिनटोंश कहते हैं, “मैं ये बात समझता हूँ कि गरीबी में पलने वाले बच्चों को अपना ख्याल खुद रखना पड़ता है। पश्चिमी देशों के मुकाबले इन बच्चों को कम उम्र में ही कई बातें सीखनी पड़ती हैं.”

बीबीसी के कानून और न्याय मंत्रालय से बात करने की कोशिश की पर सफलता नहीं मिली। इस मसले से जुड़े विधेयक में पहली बार बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफी, तस्करी और यौन प्रताड़ना को गैर कानूनी घोषित करने की बात भी शामिल है। लेकिन अभी तक इसे कैबिनेट की मंज़ूरी नहीं मिली है और तब तक ये सब अपराध पाकिस्तान में आपधारिक कानून के दायरे में नहीं आते।

 

Posted By: Inextlive