पैसेंजर्स को 'मौत के मुंह' में ले जाती है रेलवे की 'लापरवाही'
फिटनेस लाइन में एसी कोचों के मेंटीनेंस में नहीं दिया जाता है ध्यान
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KANPUR. अगर आप गर्मी के मौसम में सुविधाजनक यात्रा के लिए रेलवे के एसी कोच में सफर करने जा रहे हैं तो एक बार इस खबर को जरूर पढ़ लीजिएगा। क्योंकि सफर के दौरान ट्रेन का ठंडा-ठंडा एसी कोच कभी भी 'आग का गोला' बन सकता है। और ये सब रेलवे के कुछ कर्मचारियों की जरा सी लापरवाही की वजह से होता है। जिसकी वजह से सैकड़ों पैसेंजर्स मौत के मुंह में पहुंच सकते हैं। हम आपको डराना नहीं चाहते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का मकसद सिर्फ पैसेंजर्स को अवेयर करना और रेलवे के सीनियर अधिकारियों को निचले स्तर हो रही लापरवाही से अवगत कराना है, जिससे पैसेंजर्स की जिंदगी से होने वाला खिलवाड़ बंद हो जाए।
मेंटीनेंस सबसे अहम कड़ी
ट्रेन हो या फिर कोई भी मशीनरी, सभी में उसके बेहतर वर्क करने के लिए मेंटीनेंस सबसे अहम कड़ी होती है। रेलवे के एसी कोचों की मेंटीनेंस में ही की जाने वाली लापरवाही पैसेंजर्स की जान पर भारी पड़ रही है। कोच मेंटीनेंस के दौरान कर्मचारी की जरा सी की लापरवाही हजारों यात्रियों को मौत के मुंह तक ले जाती है। कोच की खामियों की वजह से कभी ट्रेन बेपटरी हो जाती है तो कभी कोच के व्हील जाम हो जाते हैं। जिससे ट्रेन में स्पार्किंग के साथ आग लगने का डर बना रहता है। साथ ही इलेक्ट्रिक बैकअप के लिए कोचों में रखी रहने वाली लगभग एक दर्जन बैटरियां भी ऐसी भीषण गर्मी में हीट हो जाती है। जिसकी वजह से उसमें लगे तार स्पार्क होकर जल जाते हैं। अगर इस खामी पर समय पर किसी कर्मचारी व रेलवे स्टाफ की नजर नहीं गई तो यह स्पार्किंग पूरे कोच को 'आग के गोले' में तब्दील कर सकती है।
ग्वालियर स्थित बिरलानगर में मंडे की सुबह साढ़े ग्यारह बजे निजामुद्दीन-विशाखापत्तनम एसी एक्सप्रेस के कोच बी-6 व 7 में एसी स्पार्किंग से आग लग गई। आग ने देखते ही देखते पांच मिनट में विकराल रूप ले लिया। घटना से कोच में यात्रियों के बीच चीखपुकार मचने लगी। कोच में सफर कर रहे यात्रियों का धुंए से दम घुटने लगा। कोच में मौजूद रेलवे स्टाफ ने सूझबूझ के साथ सभी यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट कर दोनों कोचों को ट्रेन से अलग कर सभी यात्रियों की जान बचा ली।
सबको अपनी जिम्मेदारी निभ्ानी होगी
सोर्सेस के मुताबिक ट्रेन के सभी कोच रूट से आने के बाद मेंटीनेंस के लिए वाशिंग लाइन जाते हैं। जहां मैकेनिकल डिपार्टमेंट व एसी डिपार्टमेंट का स्टाफ कोचों का परीक्षण करने के साथ ही उसमें आई खामियों की मरम्मत करते हैं। मेंटीनेंस के दौरान एक भी कर्मचारी ने अपने काम में लापरवाही बरती तो वह दुर्घटना व यात्रियों की परेशानियों का सबब बनता है।
कोच मेंटीनेंस डिपार्टमेंट के एक कर्मचारी ने नाम न छापने का भरोसा दिलाने पर बताया कि गर्मी के मौसम में अक्सर एसी कूलिंग व बैटरी बॉक्स में स्पार्किंग की समस्या आती है। ऐसे में मौसम का टेम्प्रेचर काफी महत्व रखता है। ऐसी भीषण गर्मी में बैटरी में लगे वायर व बिजली के अन्य वायर काफी हीट हो जाते हैं। वायर का जोड़ जरा सा ढीला होने पर वह स्पार्क करने लगता है। जिससे आग भी लगने की आशंका होती है।
45 मिनट में एक कोच का मेंटीनेंस
सोर्सेस की माने तो एक एसी कोच का मेंटीनेंस कम से कम 45 मिनट में होता है। एक दर्जन से अधिक का स्टाफ कोच का परीक्षण करता है। जिसमें मैकेनिक व एसी डिपार्टमेंट का स्टाफ अपना-अपना निर्धारित काम व चीजों को चेक करते हैं। अगर कोच में कोई बड़ी खामी मिलती है। जिसे सही करने में काफी समय लगता है। तो उस कोच को हटाकर उसकी जगह दूसरा कोच लगा दिया जाता है। पूरे ट्रेन के एसी कोच का मेंटीनेंस करने के लिए कुल 6 से 7 घंटे स्टाफ को मिलते हैं।
- 29 जून 2017 को जोगबनी एक्सप्रेस के एसी बॉक्स से चिंगारी निकलने की शिकायत यात्रियों ने की थी। शिकायत कानपुर में अटेंड की गई थी।
कोटट्रेन के रूट से आने के बाद वॉशिंग लाइन में कोचों का मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट मेंटीनेंस करता है। कोई खामी सामने आने पर उसे दूर भी किया जाता है। यात्री की सुरक्षा रेलवे के लिए सबसे अहम है।- गौरव कृष्ण बंसल, सीपीआरओ, एनसीआर