- कानपुर इलेक्ट्रिक शेड में मौजूद सभी इंजनों को फॉग सेफ डिवाइस से लैस किया गया

- कोहरे के दौरान इंजन में बैठ कर आफिसर करेंगे फुट प्लेटिंग, ड्यूटी प्लान भी तैयार किया

KANPUR : सर्दी शुरू हो गई है, आने वाले कुछ दिनों में कोहरे का कहर भी शुरू हो जाएगा। कोहरे की मार रेलवे पर बहुत पड़ती है। सिग्नल न दिखने से ट्रेन हादसा होने की संभावना बनी रहती हैं। इस बार कोहरा आने के पहले ही रेलवे इससे निपटने की तैयारी में जुट गया है। कानपुर स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में मौजूद सभी पैसेंजर्स ट्रेन के इंजनों को फॉग सेफ डिवाइस से लैस कर दिया गया है। इससे घने कोहरे में ट्रेन पायलट को अलर्ट ि1मलता रहेगा

क्रासिंग के 500 मीटर पहले अलर्ट

रेलवे आफिसर्स के मुताबिक, इंजन में लगाए गए फॉग सेफ डिवाइस इंजन के ड्राइवर को अलर्ट करता रहेगा। उन्होंने बताया कि रेलवे क्रासिंग व स्टेशन यार्ड आने के 500 मीटर पहले ही इंजन में लगा फॉग सेफ डिवाइस ड्राइवर को सिग्नल होने का अलर्ट जारी कर देगा। जिससे ड्राइवर ट्रेन की स्पीड को अपने कंट्रोल में रखेगा। सिग्नल रेड होने पर ट्रेन को आसानी से कंट्रोल कर रोक सकेगा।

रात में करेंगे फुट प्लेटिंग

प्रयागराज डिवीजन पीआरओ ने बताया कि कोहरे की वजह से ड्राइवर को सिग्नल देखने में प्राब्लम होती है। इसके साथ ही सर्दी में रेलवे ट्रैक भी फ्रैक्चर होने की अधिक चांस होते हैं। जिनकी वजह से दुर्घटनाएं भी हो जाती है। दुर्घटनाओं पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए जीएम के दिशा-निर्देश पर ट्रैक व कोच एंड वैगन डिपार्टमेंट के अधिकारियों का ड्यूटी प्लान तैयार किया गया। जो रात में इंजन में बैठ कर विभिन्न रूटों में फुट प्लेटिंग करेंगे।

रेल लाइन के टेम्प्रेचर की होगी निगरानी

रेल लाइन के टेम्प्रेचर की नियमित रूप से जांच की जाएगी। इसका रिकॉर्ड भी मेनटेन किया जाता है। रेल लाइनों के जोड़ तथा फिश प्लेटों के बोल्ट होल की समय-समय पर जांच व लुब्रिकेशन किया जा रहा है। ठंड के मौसम में रेल लाइनों का टैम्प्रेचर एक निश्चित सीमा के नीचे आने पर कोल्ड वेदर पेट्रोलिंग की व्यवस्था कर ली गई है।

आईआईटी व आरडीएसओ की मदद

इस डिवाइस की हेल्प से कोहरे के दौरान ट्रेनों का समय से संचालन होगा और दुर्घटनाएं रुकेंगी। रेलवे आफिसर्स के मुताबिक यह डिवाइस आईआईटी व आरडीएसओ की मदद से लगभग तीन साल पहले तैयार की गई थी। जिसके बाद बीते वर्ष इसका ट्रायल दिल्ली-हावड़ा रूट की कई ट्रेनों में किया गया। ट्रायल सफल होने के बाद इस वर्ष रेलवे ने लगभग सभी इंजनों को फॉग सेफ डिवाइस से लैस कर दिया है। जिससे ट्रेनों की रफ्तार न गड़बड़ हो।

कैसे काम करती फॉग सेफ डिवाइस?

फॉग सेफ डिवाइस से लोको पायलट को सिग्नल और ट्रैक पर किसी प्रकार की बाधा की जानकारी ऑडियो-विडियो सिस्टम के जरिए मिल जाती है। जैसे ही एक स्टेशन से गाड़ी खुलती है, पायलट को अगले स्टेशन की डिस्टेंस की जानकारी मिलने लगती है। डिवाइस से आवाज आती है डिस्टेंस भी डिस्प्ले होता रहता है। जीपीएस आधारित यह डिवाइस सिग्नल के पास आने पर जलने-बुझने के साथ आवाज भी करता है।

आंकड़े

- 43 ट्रेनों के इंजन कानपुर में फॉग सेफ डिवाइस से किए गए लैस

- 2 साल से इस डिवाइस का ट्रायल दिल्ली-हावड़ा रूट पर हो रहा था

- 3 वर्ष पूर्व आरडीएसओ ने आईआईटी के इंजीनियर्स संग इसे बनाया था

- 10 लाख पैसेंजर्स को दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की लेटलतीफी से मिलेगी राहत

- 2021 तक देश के सभी रेल इंजन फॉग सेफ डिवाइस से लैस कर दिए जाएंगे

'कोहरे में ट्रेनों के सुरक्षित और टाइमिंग से संचालन करने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। पैसेंजर ट्रेन के इंजनों को फॉग सेफ डिवाइस से लैस कर दिया है। इससे काफी राहत मिलेगी.'

- केशव त्रिपाठी, पीआरओ, प्रयागराज डिवीजन।

Posted By: Inextlive