भारत में बड़े चाव से खाए जाने वाले समोसे की लोकप्रियता अब सात समुंदर पार भी पहुंच गई है। ब्रिटेन में इसकी लोकप्रियता को देखते हुए अगले माह 'नेशनल समोसा वीक' का आयोजन किया जाएगा। लीसेस्टर में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के मीडिया कर्मी रोमैल गुलजार इसका आयोजन कर रहे हैं। नौ से 13 अप्रैल तक होने वाले इस आयोजन में छह शहर हिस्सा लेंगे। इस दौरान समोसा बनाने और खाने से संबंधित कई प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी। आइये जानते हैं कहां से आया आखिर यह समोसा।


समोसा का इतिहास दरअसल, समोसे का इतिहास काफी पुराना है और खास बात ये है कि इसकी शुरुआत भारत में नहीं बल्कि किसी और देश में हुई थी। जी हां, यह बात सुनकर आपको थोड़ी हैरानी जरूर होगी, लेकिन यही सही है। बताया जाता है कि समोसा का इतिहास इरान से जुड़ा हुआ है, कहा जाता है कि समोसा फारसी शब्द 'संबुश्क:' से निकला है। ऐसे भारत आया समोसा
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में एक 'नमकीन पेस्ट्री' पेश की जाती थी, जिसमें कीमा, मीट और सूखा मेवा भरा जाता था और इसे तब तक पकाया जाता था, जब तक कि ये खस्ता न हो जाए। समोसा भारत में मध्य एशिया की पहाड़ियों से गुजरते हुए पहुंचा, जिस क्षेत्र को आज अफ़ग़ानिस्तान कहते हैं। बताया जाता है कि यह दो हजार साल पहले ठीक उसी रास्ते से आया जहां से आर्य यहां आए थे।


आकार में बदलाव

भारत पहुंचने के बाद 'संबुश्क:' सिर्फ समोसा ही नहीं हुआ, बल्कि इसका आकार भी बदला। हालांकि हम अकेले दावेदार नहीं हैं, जिन्होनें इसके आकार में बदलाव किये, हम से पहले तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान ने भी कई हद तक इसके आकार बदले। विशेषज्ञो का मानना है कि यह भारत आने के बाद सबसे पहले 'किसानों का पकवान' बन गया।

Posted By: Inextlive