वैष्णो देवी मंदिर भगदड़ में शहर के नरेंद्र की मौत हो गई. एक जनवरी को ही उसका जन्मदिन था और उसी दिन तड़के सुबह उसकी मौत की खबर आई तो हाहाकार मच गया. बड़े साले सुरेंद्र ने बताया कि वह पहली बार दर्शन के लिए गए थे. दर्शन करने से पहले वह इस बात को लेकर काफी उत्साहित थे कि जन्मदिन के दिन ही उन्हें मातारानी के दर्शन होंगे. हालांकि उनकी यह मनोकामना तो पूरी हो गई लेकिन दर्शन के बाद मौत ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया. संडे को जब नरेंद्र की अर्थी उठी तो मोहल्ले में सभी की आंखे नम हो गईं.


कानपुर (ब्यूरो) पनकी गंगागंज भाग दो निवासी सुरेंद्र ने बताया कि बहनोई नरेंद्र का जम्मू जाने का कोई कार्यक्रम नहीं था। किसी एक साथी का जाना कैंसिल हुआ था। जिस पर भाई महेंद्र ने बहनोई को साथ चलने के लिए तैयार किया था। उद्देश्य यही था कि नए साल पर माता के आशीर्वाद से शुरुआत करेंगे, लेकिन ऐसा नया साल होगा ये नहीं सोचा था। सुरेंद्र के अनुसार, तड़के 4 बजे इलाके में रहने वाले और साथ गए शिवम ने फोन करके उन्हें घटना की जानकारी दी तो कोहराम मच गया।

बड़े भाई ने चिता को मुखाग्नि
जम्मू वैष्णों देवी मंदिर में भगदड़ के दौरान जान गंवाने वाले बिधनू काकोरी निवासी 35 साल के नरेंद्र कश्यप का देर रात शव घर पहुंचते ही पूरा गांव के लोग दरवाजे पर एकत्र हो गए। रात भर ग्रामीण बिलखते परिजन को ढांढस बधाते रहे। संडे सुबह अर्थी उठते ही पूरा गांव फफक कर रो पड़ा। बड़े भाई ने ड्योढ़ीघाट में चिता को मुखाग्नि दी। वहीं पनकी निवासी महेंद्र का शव भी देर रात लखनऊ हवाई अड्डे से पुलिस की अभिरक्षा में पनकी पहुंचा। सुबह परिजनों ने बिठूर में महेंद्र का अंतिम संस्कार किया।

Posted By: Inextlive