मिसाइलमैन की देन है आईआईटी का विंड टनल
- नार्थ इंडिया में पहला संस्थान है जहां विंड टनल फैसेलिटी उपलब्ध
- आईआईटी के एयरो स्पेश डिपार्टमेंट के हेड व प्रोफेसर से था करीबी रिश्ता pradeep.tripathi@inext.co.in KANPUR: आईआईटी कानपुर के विंड टनल डिपार्टमेंट बनवाने में मिसाइल मैन एपीजे कलाम का ही प्रयास था। उत्तर भारत का यह पहला संस्थान है, जहां पर विंड टनल टेस्टिंग की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम से एयरो स्पेश इंजीनियरिंग के एचओडी और प्रोफेसर से करीबी रिश्ता था। यही वजह है कि आईआईटी की विंड टनल फैसेलिटी को दो बार मिसाइल मैन ने देखा। इस डिपार्टमेंट का इनॉग्रेशन उन्ही से कराया जाना था लेकिन टाइम न निकाल सकने की वजह से वे नहीं आ सके थे। डिपार्टमेंट का रिबन नहीं काट पाएआईआईटी विंड टनल डिपार्टमेंट के रिसर्च इंजीनियर राजीव गुप्ता ने बताया कि 24 जनवरी 1999 में विंड टनल डिपार्टमेंट का इनॉग्रेशन कलाम साहब के हाथ से कराने की योजना बनाई गई थी, लेकिन टाइम न मिल पाने की वजह से नहीं आ पाए थे। हालांकि 29 मई 1999 को जब वह कैंपस आए थे तो उन्होंने विंड टनल डिपार्टमेंट का हर कोना देखा था। विंड टनल की सुविधा साउथ इंडिया में एचएएल, एनएएल, आईएससी बंगलौर, विक्रम साराभाई सेंटर त्रिवेंद्रम में थी।
मिसाइल मैन ने की थी पहल
नार्थ इंडिया मे इस तरह की सुविधा आईआईटी कानपुर में हो। इसके लिए कलाम साहब ने ही पहल की थी । जिसकी वजह उनके एयरो स्पेश डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। एनजी आर अयंगर और लेट प्रोफेसर एनएल अरोड़ा से गहरी मित्रता थी। यही वजह थी कि कलाम साहब ने विंड टनल बनाने की पहल की थी। जिस पर एचओडी ने डायरेक्टर के साथ मिलकर इस डिपार्टमेंट को बनाया था। इस डिपार्टमेंट का यूज एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग व सिविल इंजीनियरिंग के रिसर्च में किया जा रहा है। 'सारी मैं इनॉग्रेशन में नहीं आ पाया' विंड टनल डिपार्टमेंट के इनॉग्रेशन में भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम शामिल नहीं हो पाए थे। जब वह 29 मई को डिपार्टमेंट का जायजा लेने आए तो सबसे उन्होंने सहज भाव से सॉरी बोलते हुए कहा कि मै नहीं आ पाया था, लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि विंड टनल डिपार्टमेंट उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छा बनाया गया है। इस डिपार्टमेंट से कई महत्वपूर्ण रिसर्च को काफी सपोर्ट मिलेगा।'देश के विकास के लिए कुछ भी नया करो। उसको वह प्रायोरिटी देते थे। उनके निर्देशन में जो भी रिसर्च वर्क हुआ। उससे देश का कद पूरी दुनिया में बढ़ा है। आईआईटी के रिसर्च व डेवलपमेंट पर उनका हमेशा फोकस रहा है। विंड टनल डिपार्टमेंट उन्ही की देन है। उनकी गाइड लाइन पर ही इस डिपार्टमेंट को बनाया गया था। उनका जाना देश के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के अपूर्णनीय क्षति है। उनकी सादगी बेजोड़ थी.'
प्रो। इन्द्रनील मान्ना, डायरेक्टर आईआईटी -- मर्सी मेमोरियल में भी हैं उनकी यादें मर्सी मेमोरियल किदवई नगर के 2009 में हुए सिल्वर जुबली सेलीब्रेशन समारोह की यादें आज भी वहां मौजूद हैं। 14 फरवरी 2009 को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम इस समारोह में आए थे। प्रिंसिपल जॉय मैथ्यू ने बताया कि प्रोग्राम लेने के लिए तीन दिन दिल्ली में डेरा डाला था। स्कूल में बच्चों को स्कॉलरशिप की चेक उन्होंने अपने हाथ से दीं थी। इस मौके पर विजन 2020 पर सभी को काम करने को कहा था। स्टूडेंट्स को शपथ दिलाई थी देश के लिए काम करेंगे और आगे बढ़ेंगे। ईमानदारी के साथ अपने हर फर्ज को निभाएंगे। शपथ का पूरी लाइफ पालन करूंगीमर्सी मेमोरियल से पास होकर जीएसवीएम से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही डॉ। सुदीप्ति यादव ने बताया कि जब कलाम सर स्कूल आए थे। उन्होने हाथ मिलाया था। उनके हाथ से स्कॉलरशिप मिली थी। मुझे इस बात की खुशी थी कि मुझे दुनिया के प्रॉमिनेंट साइंटिस्ट के रूबरू होने का मौका मिला। वह इस दुनिया से पैशन के साथ चले गए जो कि बहुत बड़ा मैसेज है। जब रूम मेट ने रात में बताया कि एक्स प्रेसीडेंट कलाम की डेथ हो गई तो यकीन नही हुआ। उन्होने जो शपथ दिलाई थी उसका पूरी लाइफ पालन करूंगी।
बच्चे आगे नहीं तो स्पीच नहीं देंगे मर्सी मेमोरियल के प्रिंसिपल की बेटी जैसमीन मैथ्यू उस टाइम क्लास फोर्थ की स्टूडेंट थी। अब वह टेंथ क्लास की स्टूडेंट है। उस टाइम उसे नहीं मालूम था कि किस शख्सियत से हाथ मिला रही है। सोमवार को जब उनकी डेथ की सूचना मिली तो वह विचलित हो गई। उनकी डेथ ने अंदर तक झकझोर दिया। आज भी याद है कि कलाम साहब ने कहा था कि बच्चे आगे नहीं आएंगे तो वह स्पीच नहीं देंगे। इसी स्कूल में उस टाइम फर्स्ट इयर में पढ़ने वाले बेल्सन मैथ्यू को अपने प्रिंसिपल पिता से यह शिकायत थी कि उसे कलाम सर से नहीं मिलवाया। चेंज क्लाइमेट वाली वैरायटी डेवलप करेंभारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान में 14 फरवरी 2009 को आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन पल्सेज सेमिनार का चीफ गेस्ट पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम को बनाया गया था। डॉ दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि चीफ गेस्ट कलाम साहब ने कहा था कि दलहन का जितना उत्पादन हो रहा है उससे ज्यादा खपत हो रही है। हमें चेंज क्लाइमेट के अनुरूप दलहन की वैरायटी डेवलप करनी होगी, ताकि मांग व उत्पादन के बीच के अंतर को खत्म किया जा सके। कैंपस में बायोटेक्नोलॉजी लैब के साथ साथ प्रक्षेप क्षेत्र का भी जायजा लिया था।
'इट्स मी दैट्स वंडरफुल' सर पदमपत सिंहानिया एजुकेशन सेंटर के पूर्व चेयरमैन लेट गोविन्द हरी सिंहानिया से पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम की मित्रता थी। उन्ही के आग्रह पर कलाम साहब ने स्कूल के सिल्वर जुबली सेलीब्रेशन में शिरकत करने सिटी 16 नवंबर 2007 को आए थे। एजुकेशन सेंटर के मैनेजर आशीष भार्गव ने बताया कि कलाम सर ने बच्चो के रोबोटिक मॉडलों को सराहा था। एक 12 साल के बच्चे ने वेलकम करते हुए उनका स्केच दिखाया तो वह बोले इट्स मी दैट्स वंडरफुल इसके बाद उस बच्चे के साथ फोटोग्राफ कराया। कलाम साहब ने कहा वह बच्चों से इस लए मिलते हैं कि उन्हें आधुनिक भारत की तस्वीर नजर आती है। यही जिज्ञासा उन्हें बच्चों की तरफ ले जाती है।