kanpur@inext.co.inKANPUR: साउथ अफ्रीका के केपटाउन में पानी खत्म होने की स्थिति में है. इस वजह से वहां वाटर इमरजेंसी लगा दी गई है अगर सही समय पर हम न चेते तो यह हालात कानपुर में भी हो सकते हैं. इस बात का हमें शुक्र मनाना चाहिए कि 'मां गंगा का आंचल' हमें मिला हुआ है. ग्राउंड वाटर लेवल की बात करें तो शहर का वाटर लेवल हर साल शहरी क्षेत्र में 45 सेमी. की दर से हर साल गिर रहा है. आइए वर्ल्‍ड वाटर डे पर जानें जल संकट के बारे में...

फ्लैग-कानपुर के पॉश इलाकों में 25 मीटर पर पहुंचा जलस्तर

* शहर में हर साल 45 सेमी। गिर रहा जलस्तर, दिन पर दिन घटता जा रहा है ग्राउंड वाटर लेवल

* सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आए कानपुर के 3 ब्लॉक, कल्याणपुर ब्लॉक अतिदोहित की श्रेणी में

* वाटर हार्वेस्टिंग न होने से नहीं हो पाता है ग्राउंड वाटर रीचार्ज, 33 परसेंट पानी ही पीने योग्य बचा है

तेजी से वाटर लेवल गिरा
वहीं प्री और पोस्ट मानसून के आंकड़ों की बात करें तो इसमें भी हर साल 20 सेमी। औसत गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं पिछले 10 साल में कानपुर का ग्राउंड वाटर लेवल 70 सेमी तक गिर चुका है, जो चिंता का विषय है, साथ ही हर साल हालात बनने की बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं। वहीं शहर के 20 इलाकों में तेजी से वाटर लेवल गिरा है। हालत ये है कि कानपुर में अगर पानी की बर्बादी नहीं रुकी तो वो समय दूर नहीं जब 'अर्बन ड्रॉट' की श्रेणी में आकर खड़ा हो जाएगा। आज व‌र्ल्ड वाटर डे के मौके पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट आपके 'जीवन' को सुरक्षित करने के लिए एक सीरीज शुरू कर रहा है। जिससे आप पानी के मोल को समझें और खतरनाक स्थिति में कानपुर को पहुंचने से पहले बचा लें।

450 मीटर नीचे जाना पड़ रहा
भूगर्भशास्त्री प्रो। पीके पटनायक के मुताबिक पानी की कमी के साथ एक बड़ा कारण पानी का प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से भूगर्भ में पानी की पहली लेयर जिसे फ‌र्स्ट स्टेटा भी कहते हैं वह 100 से 150 मीटर के बीच में होती है, जिसमें पीने योग्य पानी होता है, यह प्रदूषित होती जा रही है। इस वजह से पानी की क्वालिटी गिरने से चर्म रोग और अन्य रोग भी बढ़ते जा रहे हैं। सेकेंड स्टेटा 160 से 250 मीटर के बीच है, जिसमें खारा पानी है, जो पीने योग्य नहीं है। इसके बाद थर्ड और फोर्थ स्टेटा में पानी पीने योग्य है, लेकिन इस प्राप्त करने के लिए पाताल तक (450 मीटर) अंदर तक जाना होगा। बताते चले कि भूगर्भ जल विभाग 450 मीटर तक ही सर्वे कर पाया है।


नहीं
हो रहा वाटर रिचार्ज
कानपुर जिले में पानी का दोहन तेजी से किया जा रहा है, लेकिन दशकों से अब तक वाटर रिचार्ज सिर्फ कागजों में ही किया जा रहा है। लोगों के द्वारा वाटर रिचार्ज के लिए किए जाने वाले प्रयास सिर्फ .1 परसेंट ही है। वहीं सरकारी बिल्डिंग में भी वाटर रिचार्ज सिस्टम नहीं लगाए गए हैं। बारिश के पानी से ही हर साल औसतन 5 से 7 परसेंट तक वाटर लेवल रिचार्ज हो पाता है और इससे 9 गुना तेजी से हर साल वाटर लेवल गिर रहा है.
साल में 3 बार होती है मॉनीटरिंग

* साल की शुरुआत में चेक किया जाता है वाटर लेवल

* प्री मानसून से पहले मई-जून में भी चेक होता है लेवल

* पोस्ट मानसून यानि अक्टूबर-नवंबर में भी होता है चेक

वाटर लेवल गिरने के प्रमुख कारण

* सबमर्सिबल की संख्या में 10 सालों में तेजी से बढ़ी, इससे पानी का दोहन और बर्बादी तेजी से हो रही है।

* लोगों के द्वारा वाटर रीचार्ज करने के लिए प्रयास 1 परसेंट भी नहीं पहुंच पाया।

* तेजी से बिगड़ रहे मानसून की चाल भी ग्राउंड वाटर कम होने का बड़ा कारण।

* जमीनों को सीमेंटेड किए जाने से पानी जमीन के नीचे नहीं जा पा रहा है।

* शहर में कुल क्षेत्रफल का 2 परसेंट ही फारेस्ट एरिया, जो वाटर लेवल कम होने का बड़ा कारण।

* बारिश की कमी और वाटर लेवल रीचार्ज न होने से ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। शहर के ग्राउंड वाटर लेवल में हर साल शहरी क्षेत्रों में 45 सेमी। की गिरावट दर्ज की जा रही है। जोकि अच्छे संकेत नहीं हैं। कानपुराइट्स को पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।

-अवधेश कुमार भाष्कर, टेकनिकल असिस्टेंट, भूगर्भ जल विभाग।

Posted By: Inextlive