शहर को स्वच्छ रखने के लिए अलग-अलग स्थानों पर डस्टबिन लगवाए गए थे। गुजरते वक्त के साथ ये डस्टबिन खुद कबाड़ की श्रेणी में शामिल हो गए। वजह रही मॉनीटरिंग का अभाव। 60 फीसद से अधिक डस्टबिन या तो टूट चुके हैैं या चोरी हो गए हैंैं। जिससे शहर की स्वच्छता संबंधी छवि पर दाग लग रहा है। जिम्मेदारों की ओर से फिलहाल इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के अलग-अलग स्थानों पर डस्टबिन के 500 सेट लगवाए गए थे। एक सेट में तीन डस्टबिन लगाए जाते हैं। जिसमें एक डस्टबिन ब्लू कलर का होता है, दूसरा ग्रीन कलर का और तीसरा यलो कलर का। तीनों डस्टबिन का काम अलग-अलग होता है। एक डस्टबिन में सूखा वेस्ट डाला जाता है और एक में गीला वेस्ट, जबकि यलो डस्टबिन में आर्गेनिक वेस्ट डाला जाता है। बेहतर व्यवस्था साबित हुईडस्टबिन लगाने की व्यवस्था बेहतर साबित हुई थी। गोमती पुल समेत सभी प्रमुख बाजारों में इन्हें लगवाया गया था। जैसे-जैसे वक्त गुजरा, डस्टबिन सेट की कंडीशन बदहाल होती गई। अब स्थिति यह है कि गोमती पुल किनारे लगे ज्यादातर डस्टबिन बदहाली के दौर से गुजर रहे हैैं, और लोग इधर उधर कूड़ा डाल रहे हैं। कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं


डस्टबिन तो लगवा दिए गए लेकिन इनकी मॉनीटरिंग के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। जिससे गुजरते वक्त के साथ डस्टबिन की कंडीशन बदतर हो गई। हैरानी की बात तो यह है कि डस्टबिन को लगवाने में पैसा भी खर्च किया गया, लेकिन मेनटेन रखने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। ज्यादातर सेट चोरी

500 से अधिक स्थानों पर लगवाए गए डस्टबिन के ज्यादातर सेट चोरी हो गए हैं। कई सेट तो ऐसे हैैं, जिनके सिर्फ एंगल ही बचे हैैं, जबकि उनमें लगे डस्टबिन गायब हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जिम्मेदारों को नहीं है, इसके बावजूद डस्टबिन चोरी रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिससे गुजरते दिनों के साथ डस्टबिन व्यवस्था शोपीस में तब्दील होती जा रही है। स्वच्छता परीक्षा में स्कोरिंगडस्टबिन सेट लगवाए जाने के दो मकसद थे। एक तो शहर को स्वच्छ रखना और दूसरा स्वच्छता परीक्षा में बेहतर परफॉर्म करते हुए राजधानी की स्कोरिंग को और अच्छा बनाना। अब स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की परीक्षा नजदीक आ चुकी है, ऐसे में जल्द नए सिरे से डस्टबिन लगवाए जाने की जरूरत है साथ ही मॉनीटरिंग सिस्टम को भी दुरुस्त किया जाना जरूरी है। पब्लिक भी बेपरवाहएक तरफ तो सिस्टम की लापरवाही के कारण डस्टबिन सेट बर्बाद हो गए, वहीं दूसरी तरफ पब्लिक भी खासी बेपरवाह है। कई स्थानों पर तो पब्लिक ने खुद ही डस्टबिन तोड़ दिए। जिससे रोड साइड वेस्ट नजर आता है। सबसे पहले तो पब्लिक को भी स्वच्छ शहर को लेकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा।

डस्टबिन चोरी होने के मामले संज्ञान में आए हैं। जल्द नए डस्टबिन लगवाए जाएंगे साथ ही मॉनीटरिंग व्यवस्था भी दुरुस्त की जाएगी। जिससे डस्टबिन सेट चोरी न हों।


डॉ अरविंद राव, प्रभारी, स्वच्छ भारत मिशन

Posted By: Inextlive