- 35 से ज्यादा बेरोजागार का फंसाया था जाल में

- 30 फर्जी बुक मिली पुलिस को घटना स्थल से

- ज्यादातर मामले रेलवे भर्ती बोर्ड के आए सामने

LUCKNOW: पीजीआई के वृंदावन कॉलोनी सेक्टर 14 में समीक्षा अधिकारी के मकान में हुए दुर्गेश हत्याकांड की मुख्य आरोपी पलक ठाकुर की कार पुलिस ने बरामद कर ली। इसे छिपाने वाले फैजाबाद के बैदहीनगर सबाहगंज निवासी संतोष कुमार सिंह को अरेस्ट कर लिया गया है। हत्याकांड में शामिल अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने तीन टीमों को पांच जिलों में रवाना किया गया है। वहीं दुर्गेश के कमरे की तलाशी में मिले दस्तावेजों की पड़ताल में 25 बेरोजगारों को भेजे रेलवे भर्ती बोर्ड के नियुक्ति पत्र मिले हैं। इसके लिए बेरोजगारों से पांच से 10 लाख रुपये तक की वसूली की गई थी। बेरोजगारों ने जब दबाव बनाना शुरू किया तो फर्जी नियुक्ति पत्र देकर पीछा छुड़ा लिया गया।

कृष्णानगर में छिपाई गई थी हत्या में यूज कार

इंस्पेक्टर पीजीआई केके मिश्रा के मुताबिक दुर्गेश यादव की हत्या में मेन आरोपी पलक की कार छिपाने वाले संतोष कुमार सिंह को पुलिस ने गुरुवार देर रात ओमेक्स रोड आवास के आगे से अरेस्ट कर लिया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने कार कृष्णानगर से बरामद की। जिस घर में कार छिपाई गई थी वह संतोष सिंह के परिचित की थी। पुलिस ने उसे भी हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन उसका हादसे से कोई मतलब न होने पर छोड़ दिया गया।

ब्यूटी पार्लर चलाने वाली करने लगी जालसाजी

इंस्पेक्टर केके मिश्रा के मुताबिक पलक का असली नाम प्रीति सिंह है और वह मूलरूप से अंबेडकरनगर की रहने वाली है। वहां वह ब्यूटी पार्लर चलाती थी। धीरे-धीरे अपनी दबंगई और राजनीतिक पकड़ से उसने लखनऊ में आमद की। इसके बाद लखनऊ में कुछ दिनों तक ब्यूटी पार्लर का काम किया। इसी दौरान उसकी सचिवालय से संबंधित कई लोगों से मुलाकात हुई। पलक ने उनसे छोटे-छोटे काम कराए। आसानी से काम होने पर मोटी रकम मिलने लगी। इसके बाद वह जालसाजी के काले कारोबार में दाखिल हो गई। उसने 35 से अधिक लोगों से नौकरी के नाम पर रुपये लेकर दुर्गेश यादव को दिए थे। इसमें से कुछ रुपये खुद अपने पास रख लिए थे, जिससे उसका निजी खर्च चलता था।

30 फर्जी सर्विस बुक मिली

इंस्पेक्टर केके मिश्रा के मुताबिक दुर्गेश के कमरे से 30 फर्जी सर्विस बुक मिली है। इसमें कर्मचारियों के नाम भी दर्ज हैं। उनके अंगूठे के निशान भी लगे हैं। पुलिस की जांच में सामने आया कि बेरोजगारों को झांसे में लेने के लिए सर्विस बुक प्रयोग किया जाता था। बेरोजगारों को सर्विस बुक दिखाकर बताया जाता था कि इतने लोगों को नौकरी दिला दी है। सभी की सर्विस बुक भी उनके पास आ गई है। पुलिस सर्विस बुक को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेज दिया है।

Posted By: Inextlive