हद है! यूपी की जेलों में ठुंसे हैं क्षमता से दोगुने कैदी
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LUCKNOW: प्रदेश की जेलों में बंदियों के बीच बवाल की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं, जिन्हें काबू करने में पुलिस के भी पसीने छूट जाते हैं। हर बार जेल में सुरक्षा व्यवस्था को और भी चौकस करने के दावे होते हैं लेकिन, इसी असल वजह के बारे में जिम्मेदार गंभीरता से सोचने तक को तैयार नहीं हैं। दरअसल, प्रदेश की 70 जेलों में क्षमता से दोगुने बंदियों को रखा गया है। इन बंदियों में शातिर अपराधियों से लेकर कश्मीर के आतंकवादी भी शामिल हैं। जेलों में बढ़ती भीड़ से हालात कब बेकाबू हो जाएं और इसका क्या अंजाम होगा, इसे लेकर शासन का मौन चिंताजनक है। बुनियादी सुविधाओं के लिये खूनी संघर्षजेलों की दशा पर अक्सर चिंता जताई जाती है। बड़ी वारदात हो जाए तो सुधार के दावे होते हैं। हकीकत यह है कि प्रदेश की विभिन्न जेलों में क्षमता से अधिक बंदी हैं। इससे न तो बुनियादी सुविधाएं मिल पाती हैं, न पुख्ता सुरक्षा। आलम यह है कि मामूली सुविधाओं के लिये भी कई बार बंदी आपस में भिड़ जाते हैं। कई बार यह भिड़ंत खून संघर्ष में बदल जाती है। बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी का ही आलम है कि कई बंदी गंभीर बीमारियों से ग्रसित होकर अपनी जान तक गंवा चुके हैं। वहीं, सुरक्षा की कमजोर कडि़यों का लाख उठाकर अपराधी फरार होने में भी सफल रहते हैं।
मुरादाबाद जेल के हाल सबसे खराबजेल में उपद्रव होने पर प्रदेश की जेलों के हालात पर जिम्मेदार चिंता जताते हैं लेकिन, समय के साथ ही उनकी चिंता मौन में बदल जाती है। दरअसल, बंदियों की बहुतायत से जेलें अक्सर सुलग उठती हैं। उत्तर प्रदेश की जेलों के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं। प्रदेश के कुल 70 जिला कारागारों में 58111 बंदियों को रखने की क्षमता है। लेकिन, इसके विपरीत वर्तमान में इन जेलों में 1 लाख 95 कैदी बंद हैं। इनमें 28382 दोषसिद्ध व 71713 विचाराधीन हैं। प्रदेश के जेलों में मुरादाबाद जिला जेल की हालत तो बेहद खराब है। इस जेल में 652 बंदियों को रखने की क्षमता है। लेकिन, बावजूद इसके जेल में 3023 बंदी बंद हैं, यानि कि क्षमता से पांच गुना। दूसरे पायदान पर अलीगढ़ जेल है। यहां 25 बैरकों में 1148 की क्षमता है और बंदी 3192. इनमें 663 दोषसिद्ध व 2529 विचाराधीन हैं। कुछ जगह हालात बेहतरप्रदेश की ज्यादातर जेलों में हालात भले ही बद्तर हैं लेकिन, कुछ जेल ऐसी भी हैं जहां क्षमता से कम कैदी बंद हैं। आदर्श कारागार लखनऊ में 600 बंदियों को रखने की क्षमता है लेकिन यहां पर सिर्फ 455 बंदी ही रखे गए हैं। इसी तरह लखनऊ के नारी बंदी निकेतन में 420 की क्षमता के विपरीत महज 226 महिला बंदी निरुद्ध हैं। जिला कारागार आजमगढ़ में 1244 बंदियों की क्षमता से 118 बंदी कम यानि कुल 1126 बंदी निरुद्ध हैं। बरेली स्थित किशोर सदन में तो एक भी किशोर बंदी बंद नहीं है। यहां की क्षमता 188 बंदियों को रखने की है।
अलीगढ़ जेल में बंद हैं हाथरस के बंदीहाथरस के जिला बनने के बाद वहां जेल बननी थी लेकिन, इसका निर्माण अब तक नहीं हो सका। नतीजतन, हाथरस जिले में आपराधिक घटनाओं में अरेस्ट होने वाले बंदियों को फिलवक्त अलीगढ़ जेल में बंद किया जाता है। वर्तमान में अलीगढ़ जेल में हाथरस के 1100 बंदी हैं। अलीगढ़ जेल के सीनियर जेल सुपरीटेंडेंट आलोक सिंह ने बताया कि हाथरस जेल के लिए प्रस्ताव गया हुआ है। वहां जेल बनने के बाद कुछ राहत मिल जाएगी। क्षमता के अनुसार ही संसाधन मिले हैं। इन्हीं में व्यवस्था संभाली जा रही है। कुछ जेलों के हालातजेल क्षमता बंद
अलीगढ़ 1148 3192गाजियाबाद 1704 4066मुरादाबाद 652 3023मुजफ्फरनगर 870 2793नैनी सेंट्रल 2060 3852आगरा 1015 2643बदायू 529 1931वाराणसी 747 2118
शाहजहांपुर 511 1842इटावा 610 1900कानपुर 1245 2522बुलंदशहर 890 2065मथुरा 554 1726सहारनपुर 533 1607देवरिया 533 1574फीरोजाबाद 720 1751झांसी 416 1406गोरखपुर 822 1714मेरठ 1707 2589 हमारी आठ महीने पुरानी सरकार शुरुआत से ही जेलों का बोझ घटाने के लिए प्रयासरत है। झांसी में डबल स्टोरी बैरक बना रहे हैं। महोबा में नई जेल शुरू होने जा रही है। चित्रकूट में 15 दिसंबर तक शुरू होने वाली है। कानपुर में भी नई जेल बनने जा रही है। हाथरस व शामली में अभी तक जेल प्रशासन को जमीन नहीं मिल पाई है, इससे अलीगढ़ जेल पर दबाव थोड़ा ज्यादा है। इसका जल्द समाधान निकालेंगे।-जयकुमार सिंह जैकी, जेल राज्यमंत्री