- एकेटीयू और सीएसआईआर के बीच साइन किया गया एमओयू

- एक-दूसरे के संसाधनों का प्रयोग करेंगे स्टूडेंट्स, रिसर्च में मिलेगा फायदा

- फैकेल्टी को भी करेंगे ट्रेंड, सीएसआईआर देगा रिसर्च में गुणवत्तापरक लैब की सुविधा

LUCKNOW: कृषि आधारित समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए और एकेटीयू से जुड़े कॉलेजों व संस्थानों के रिसर्च स्टूडेंट्स व फैकेल्टी को विश्वस्तर की रिसर्च लैब उपलब्ध कराने के लिए यूनिवर्सिटी ने एक एमओयू साइन किया। मंगलवार को डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी और केंद्रीय औषधि एवं सुगंध पौधा संस्थान के बीच एमओयू साइन किया गया। दोनों संस्थानों के बीच पहले से ही रिसर्च और दूसरे कई प्रोजेक्ट के दौरान एक-दूसरे का सहयोग करते आ रहे हैं। इस कड़ी में मंगलवार को एमओयू साइन होने के बाद इसकी औपचारिक सहमति भी दोनों संस्थानों के बीच बन गई है।

टीचर्स और स्टूडेंट्स को मिलेगा फायदा

इस बारे में एकेटीयू के वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक ने बताया कि एकेटीयू में यूजी और पीजी के स्तर पर बॉयोटेक्नालॉजी विषय शामिल है। अभी यह केवल गिने-चुने सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में ही संचालित हैं। सीएसआईआर के साथ एमओयू साइन होने से इस विषय पर काम करने के लिए सुविधाएं मिलेंगी। प्रो। पाठक ने बताया कि इसका सबसे ज्यादा फायदा अपने यहां फैकेल्टी डेवलेपमेंट में होगा। उन्होंने कहा कि हम केवल स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजूकेशन ही नहीं बल्कि अपने यहां फैकेल्टी को भी विश्वस्तरीय गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए ट्रेंड करना चाह रहे हैं।

बॉयोटेक विषय को भी करेंगे शामिल

वीसी ने यह भी बताया कि आने वाले सेंकेंड फेज में हम अपने यहां बनने वाले पीजी इंस्टीटयूट में बॉयोटेक को भी शामिल करेंगे। इसके लिए हम अभी से तैयारी कर रहे हैं। बॉयोटेक जैसे विषय में काफी रिसर्च की जरूरत पड़ती है। जिसके लिए हमें सीएसआईआर का साथ मिल गया है। उन्होंने कहा कि हम इसके माध्यम से स्टेट में कृषि के लिए उपयोगी विविधताओं के बारे में भी दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर रिसर्च को अंजाम दे सकेंगे।

फैकेल्टी की ट्रेनिंग पर होगा जोर

सीएसआईआर के निदेशक प्रो। अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हमने देखा है कि संस्थानों में कार्यरत शिक्षक काफी पुराने ढंग से शिक्षण कार्य को अंजाम दे रहे हैं। जबकि अगर हमें अपने यहां रिसर्च व दूसरी चीजों को विश्वस्तर का बनाना है तो हमें उन्हें इसमें टे्रंड करना होगा। प्रो। त्रिपाठी ने कहा कि एकेटीयू अपने आप में एक बेहद विशाल संस्था है और अपने एमओयू के माध्यम से हम अपनी रिसर्च को इसके सभी संस्थानों को शामिल कर लाभांवित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मंशा है कि हमारे छात्र स्टेट में बायोटेक के लिए कार्य करें जिससे प्रदेश में जैव विविधता के साथ ही कृषि आधारित परियोजनाओं में रिसर्च कर उसे प्रगति दी जा सके।

केवल बायोटेक में ही नहीं

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि केवल बॉयोटेक ही नहीं, कैमिकल इंजीनियरिंग, बॉयोइंफार्मेटिक्स के साथ ही फार्मा के क्षेत्र में भी दोनों संस्थान एक साथ मिलकर रिसर्च को बढ़ावा देंगे। प्रो। त्रिपाठी के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को और बेहतर बनाने में इस प्रकार की रिसर्च काफी उपयोगी साबित होंगी।

यह है एमओयू

मंगलवार को एकेटीयू व सीएसआईआर द्वारा परस्पर साइन किए गए एमओयू के अनुसार जो रिसर्च स्कॉलर सीएसआईआर में कार्यरत हैं, वह एकेटीयू में पीएचडी प्रोग्राम में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसी तरह एकेटीयू के रिसर्च स्कॉलर भी सीएसआईआर में रजिस्ट्रर्ड कर अपना रिसर्च वर्क कर सकते हैं। इस रिसर्च वर्क के दौरान एकेटीयू के स्टूडेंट्स को न केवल सीएसआईआर की ओर से विश्वस्तरीय लैब की सुविधा मिलेगी, बल्कि उन्हें गाइड भी प्रदान किया जाएगा। सीएसआईआर के निदेशक के अनुसार, इसमें स्टूडेंट्स की थीसिस में भी सीएसआईआर का उल्लेख किया जाएगा। दोनों संस्थान अपनी लैब को परस्पर फैकेल्टी के लिए भी उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ ही दोनों संस्थान अंतर्राष्ट्रीय फंडिग के रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए भी संयुक्त आवेदन कर सकेंगे। साथ ही रिसर्च प्रकाशन एवं आईपीआर में दोनों संस्थाओं की समुचित भागीदारी होगी।

दोनों संस्थानों के एमओयू साइन करने के साथ ही सूबे में हम और भी संस्थानों के साथ ऐसे एमओयू साइन करेंगे। हमारा उद्देश्य है कि एकेटीयू को विश्वस्तर की गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए स्थान दिला सकें।

- प्रो। विनय कुमार पाठक,

वीसी, एकेटीयू

एकेटीयू का दायरा बहुत बड़ा है और पूरे विश्व में इसकी पहचान है। हमारा उद्देश्य है कि यहां के प्रत्येक संस्थान को सुविधा देकर प्रदेश में रिसर्च के काम को बढ़ाया जा सके, जिसमें फैकेल्टी की दक्षता प्रमुख है।

- प्रो। अनिल कुमार त्रिपाठी,

निदेशक, सीएसआईआर

Posted By: Inextlive