College of Arts and Crafts Lucknow के सामने बनी आठ हजार फीट लंबी म्यूरल पर बरबाद होने का खतरालिम्का बुक ऑफ बल्र्ड रिकार्डस में दर्ज होने के लिए चल रही है प्रोसेस कॉलेज के शताब्दी समारोह पर तैयार की गई थी


Lucknow:  करीब छह महीने पहले पूरे जज्बे के साथ जी तोड़ मेहनत करके कई स्टेट्स से आए आर्टिस्ट्स ने जिस म्यूरल को लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के लिए तैयार किया था आज वो म्यूरल रिकार्ड बनाने से पहले ही मिटने की कगार पर है। लखनऊ आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट कॉलेज और एलुमिनाई ऐसोसिएशन की ओर से आयोजित शताब्दी समारोह में कॉलेज के सामने बनी आठ हजार फीट की दीवार पर 10 टीमों के दो सौ कलाकारों यानी पास आउट स्टूडेंट्स, सीनियर लेक्चर, टीचर्स और स्टूडेंट्स ने मिलकर एचआईवी थीम पर एक म्यूरल तैयार किया था। यह म्यूरल समारोह का महज रस्म अदायगी बन कर रह गया है। इस म्यूरल पर कहीं पोस्टर लगे हैं तो कहीं दीवार को ही खुरच दिया गया है।
विज्ञापन लगाना मना है
इस म्यूरल पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है कि यहां विज्ञापन लगाना मना है, लेकिन लोगों को शायद यह नजर ही नहीं आता या फिर इतनी समझ नहीं है कि एक सहेज कर रखने वाली चीज को पोस्टर लगाकर क्यों खराब कर रहे हैं। कहीं हाइट बढ़ाने का विज्ञापन का चिपका है तो कहीं आधी पेंटिंग को ही खुरच दिया गया है। ऊपर बनने वाली सड़क ने रही सही कसर पूरी कर दी है। ढेरों मिट्टी उड़ उड़ कर म्यूरल के रंगों पर पड़ती है और इसे बरबाद कर रही है. 
2013 में आएगा बुक में नाम
अंजनी सोमवंशी, दुर्गा दत्त पाण्डेय, शिव शंकर यादव, विनोद कुमार सिंह और निजामुद्दीन जैसे कलाकार खासतौर पर कॉलेज के समारोह में शामिल होने के लिए आए कलाकारों ने इस म्यूरल को तैयार किया था। कॉलेज से जुड़े सैकड़ों लोगों ने कॉलेज को ऊंचाइयों पर देखने के लिए दिनरात जो प्रयत्न किया आज उसका हाल देख कर कलाकार भी मायूस हो गये हैं। जब हमने यहां पढऩे वाले स्टूडेंट्स से बात की तो उन्होंने कहा कि इस म्यूरल को देखकर तो अब यही लगता है कि खाली रस्म अदाएगी ही की गई है। अभी 2013 में इस रिकार्ड को शामिल किये जाने की बात चल रही है। अभी प्रोसेस चल रही है, लेकिन अगर दोबारा कोई आता है तो इसे देखकर क्या प्रतिक्रिया होगी यह तो कोई भी बता सकता है।
बनते वक्त भी हुई थी कोशिश
अक्टूबर के जब यह म्यूरल बनना शुरू हुआ तो और पूरा होने में दीवार का कुछ ही हिस्सा बकी रह गया था तो रातों रात एक पार्टी के पोस्टर्स ने म्यूरल को बरबाद कर दिया था। कलाकारों ने बड़ी मेहनत करके पोस्टर्स को साफ किया और दोबारा से काम किया। एक बार फिर से कॉलेज के सामने की दीवार जिसकी सीडब्लूडी से बकायदा परमीशन ली गई थी, विज्ञापन न लिखे जाने के लिए लिखकर लोगों से अनुरोध किया गया था, लेकिन आज भी हलात फिर से वैसे ही हो गये हैं।

यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी जिसने हमें हमारे कार्यक्रम को स्पांसर किया था उसने हमें पूछा था कि इसकी लाइफ क्या होगी और हमने रिटर्न में दिया था कि तीन साल तक कलर्स पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अब लोग पोस्टर्स, दीवार पर चूना या कालिख पोत देंगे तो हम क्या कर सकते हैं? यह वल्र्ड रिकार्ड में शामिल चीज जो जून में फाइनल हो जाएगी और अगले साल जनवरी में किताब में नाम आ जाएगा वो म्यूरल वाकई खतरे में है। हम दिल्ली में बैठे हैं, हमारे पास इतना बजट भी नहीं है। यूनीवर्सिटी और अब स्टेट गर्वमेंट को इसे सुरक्षित रखने के लिए कुछ प्रयास तो करने ही चाहिए.
मामून नोमानी, आर्ट्स कॉलेज एलुमिनाई एसोसिएशन के प्रेसीडेंट, एसोसिएट प्रोफेसर जामिया मिलिया

म्यूरल के पास हर वक्त कोई चौकीदार नहीं की जा सकती है। अगर दो गार्ड भी खड़े किये जाते हैं तो दस हजार रुपए तो देना ही होगा। हमारे पास इतना बजट कहां है? सबसे जरुरी जो है वो लोगों में कला के प्रति अवेयरनेस का होना है। कॉलेज के साथ शहर के नाम को बढ़ाने के लिए कलाकारों ने जो एफर्ट किया है उसे तभी सहेजा जा सकता है जब लोग इस बात को समझें। हम इसकी देखभाल करते हैं और कोई आकर इनपर कुछ भी कर जाता है। आखिर आर्ट को लेकर लोग अवेयर क्यों नहीं हो रहे हैं?
राजीव नयन, प्रिंसिपल आर्ट कॉलेज

Reported By : Zeba Hasan

Posted By: Inextlive