राजधानी के चाहे नए इलाके हों या पुराने ज्यादातर में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल डाउन है। गुजरते वक्त के साथ ये आंकड़ा और भी भयावह होता जा रहा है। गर्मी के मौसम में कई इलाकों में पेयजल संकट की समस्या सामने आती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां प्रदेश सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि बिना रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के इमारतों के नक्शे पास नहीं किए जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ राजधानी की बात करें तो अभी तो स्थिति चिंताजनक है। करीब 60 फीसदी इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। जिसके बाद एलडीए की ओर से अब नए सिरे से उक्त इमारतों को चिन्हित करने का काम शुरू किया जा रहा है साथ ही यह भी साफ है कि उक्त इमारतों में हर हाल में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए भी जाएंगे।300 वर्गमीटर या उससे बड़े प्लॉट


प्रदेश सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि 300 वर्गमी। या उससे बड़े क्षेत्रफल के प्लॉट्स या इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है। राजधानी में इस क्षेत्रफल के प्लॉटों और इमारतों की संख्या बहुतायत हैैं। अभी तक ऐसा तो कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है, कितनी इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है लेकिन इतना साफ है कि 60 फीसदी इमारतों में उक्त नियम को फॉलो नहीं किया जाता है। जिसकी वजह से हर साल बारिश का पानी नाले-नालियों में बह जाता है, जबकि अगर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हो तो साफ है कि बारिश के कीमती पानी को बचाया जा सकता है।

अंडरग्राउंड वॉटर लेवल डाउनराजधानी के चाहे नए इलाके हों या पुराने, ज्यादातर में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल डाउन है। गुजरते वक्त के साथ ये आंकड़ा और भी भयावह होता जा रहा है। गर्मी के मौसम में कई इलाकों में पेयजल संकट की समस्या सामने आती है। आलमबाग, इस्माइलगंज, सरोजनी नगर, कृष्णानगर, लालकुआं समेत कई इलाके ऐसे हैैं, जहां जनता को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में साफ है कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम समय की जरूरत है।अब चलेगा अभियानएलडीए प्रशासन की ओर से 300 वर्गमी। या उससे अधिक क्षेत्रफल के प्लॉटों और इमारतों के खिलाफ अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके लिए टीमों का गठन किया जा रहा है। ये टीमें जोनवार निरीक्षण कर इमारतों की लिस्ट सौंपेंगी। वीसी डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि पहले ही इमारतों का सर्वे शुरू कराए जाने के निर्देश दिए गए हैैं। प्राधिकरण की ओर से जल संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैैं। अगले तीन से चार माह में इन प्रयासों का असर भी देखने को मिलेगा।

Posted By: Inextlive