विवादों के चक्रव्यूह में घिरकर बंद हो गई सेंट्रल मेस
लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी में सेंट्रल मेस की शुरुआत 2011 में हुई थी। इसके लिए करीब 2 करोड़ 80 लाख रुपए का बजट तय किया गया था। 75 लाख रुपए की पहली किश्त मिलते ही इसका निर्माण शुरू हो गया था, लेकिन घटिया निर्माण के चलते काम बंद कराकर इसकी जांच शुरू की गई थी।
चार साल तक चली जांचचाल साल टीएसी की चली जांच के बाद 2015 में एक बार फिर से सेंट्रल मेस का काम शुरू कराया गया। कार्यदायी कंस्ट्रक्शन एवं डिजाइन सर्विसेज यूपी जल निगम की यूनिट-29 को निर्माण का जिम्मा सौंपा गया। हालांकि संस्था ने महंगाई बढऩे की बात कहते हुए लागत बढ़ाकर 3 करोड़ 94 लाख कर दी, लेकिन शासन से अतिरिक्त बजट नहीं दिया गया। मूल बजट से ही सेंट्रल मेस 2017 में बनकर तैयार हुई।
शुरुआत से रहा विवादों से नाता
2017 में प्रो। एसपी सिंह ने जब यूनिवर्सिटी के वीसी की जिम्मेदारी संभाली तो उनके सामने हॉस्टलों में मेस को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी। खाने की क्वॉलिटी और मुफ्त खाने को लेकर होने वाले विवादों के चलते कई बार मेस का संचालन बंद करना पड़ा। इसके बाद पूर्व वीसी प्रो। सिंह ने सेंट्रल मेस का निर्माण पूरा कराकर एक ही जगह छात्रों के खाने की व्यवस्था की। सेंट्रल मेस भी विवादों के बीच शुरू हो गई। छात्रों ने कभी खाने में कीड़ा निकलने की बात को लेकर हंगामा किया तो कभी खराब खाने की बात कहकर हंगामा खड़ा दिया। यहां तक की मेस संचालक और कर्मचारियों के साथ छात्रों ने मारपीट भी की।
बाउंसर की तैनाती भी नहीं रुके बवाल
सेंट्रल मेस में आए दिन होने वाले विवादों को रोकने और बाहरी छात्रों के प्रवेश को रोकने के लिए पहले बायो मेट्रिक्स मशीन लगाया गया। स्टूडेंट्स ने इसे भी तोड़ दिया, तो इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बाउंसर की तैनाती की गई। जिनके निगरानी में करीब एक महीने ही मेस का संचालन हो पाया। इसके बाद विवाद और दूसरे कारणों के कारण मेस का संचालन काफी मुश्किल हो गया। जिसके बाद यूनिवर्सिटी में सभी हालातों को देखते हुए मेस का संचालन सितंबर 2021 से बंद कर दिया। दोबारा से सभी हॉस्टलों में पुरानी व्यवस्था को शुरू कर दिया।
मेस के लिए नया नियम लागू
सेंट्रल मेस के नाकाम होने के बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने तय किया कि एलबीएस, महमूदाबाद, हबीबुल्लाह, कौटिल्य, होमी भाभा लॉ आदि सभी हॉस्टल की मेस छात्र ही संचालित करेंगे। हर हॉस्टल में चार से छह सदस्यीय कमेटी होगी, वही खाने का मेनू तय करेगी और खाने की फीस में इजाफा नहीं किया जाएगा। वहीं सेंटर मेस को बड़ी कैंटीन में तब्दील करने पर भी विचार किया जा रहा है।