लखनऊ यूनिवर्सिटी में अब सोशल वर्क डिपार्टमेंट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई को भी कोर्स में शामिल किया गया है। सोशल वर्क ग्रैजुएट कोर्स के फोर्थ सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को वोकेशनल कोर्स के रूप में एआई का कोर्स पढ़ाया जाएगा।


लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी में अब सोशल वर्क डिपार्टमेंट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को भी कोर्स में शामिल किया गया है। सोशल वर्क ग्रैजुएट कोर्स के फोर्थ सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को वोकेशनल कोर्स के रूप में एआई का कोर्स पढ़ाया जाएगा। इस कोर्स में 30 सीटें होंगी, जिसे नए शैक्षिक सत्र से पढ़ाने की तैयारी है। एलयू के अधिकारियों के मुताबिक, सोशल वर्क में एआई को शामिल करने से स्टूडेंट्स को कई फायदे होंगे। एआई के जरिए आसानी से डेटा एनालिसिस के साथ समस्याओं को सॉल्व करने के लिए स्टूडेंट्स को नया नजरिया मिलेगा। एआई से स्टूडेंट्स की रिसर्च एबिलिटी को और बेहतर बनाया जा सकेगा।इंटेल कंपनी की मदद से तैयार किया गया कोर्स
सोशल वर्क डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। अनूप कुमार भारतीय के मुताबिक, कोर्स को इंटेल कंपनी की मदद से तैयार किया गया है। इसमें एआई का इतिहास, मौलिक प्रारूप, समाज पर प्रभाव, भविष्य में संभावनाएं एवं चुनौतियां, एआई आधारित प्रोजेक्ट्स, 5जी जैसे टॉपिक्स शामिल किए हैं। पूर्व वित्तमंत्री दिवंगत अरुण जेटली ने वर्ष 2018-19 के बजट में यह कहा था कि केंद्र सरकार का थिंकटैंक नीति आयोग जल्द ही राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेगा। उच्च शिक्षा के कोर्स में इसे शामिल कर युवाओं को इसकी जानकारी देकर उन्हें हुनरमंद बनाने का यह सबसे बेहतर समय है।शिक्षकों को ट्रेनिंग देगा इंटेलइंट्रोडक्शन टू आर्टिफिशल इंटेलिजेंस कोर्स के लिए अनुमति मिल चुकी है। सेमीकंडक्टर की सबसे बड़ी कंपनी इंटेल की मदद से ही शिक्षकों को एआई ट्रेनिंग दी जाएगी। स्टूडेंट्स के लिए यूजी स्तर के बाद इस वोकेशनल कोर्स को पीजी में शुरू किया जाएगा। एआई की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, इसके जनक जॉन मैकार्थी हैं। इसके जरिए कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है। इसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने की कोशिश की जाती है, जिस पर इंसानी दिमाग काम करता है।

Posted By: Inextlive