- चिकन और जरदोजी को बढ़ावा देने के लिए सीआईआई ने ऑर्गनाइज किया 'पहचान-द अवध फैशन समिट'

- समिट में चीफ गेस्ट बनीं सांसद डिंपल यादव, कहा-मलिहाबाद में 25 एकड़ में क्राफ्ट विलेज बनाने का प्रस्ताव

- समिट में नामी शख्सियतों ने उठाया कारीगरों को तरजीह देने का मुद्दा, सरकार से की गुजारिश

LUCKNOW: कला और शिल्प के क्षेत्र में अवध की नफासत का हमेशा से अपना अलग ही रंग रहा है। यह किसी सौभाग्य से कम नहीं है कि जिस चिकन और जरदोजी का जमाना कायल है, वह लखनऊ की ही देन है। यह एक ऐसा उद्योग है, जिसमें सुधार के साथ विकास किया जाए तो भारत एक बार फिर से अपनी खोई हुई पहचान वापस हासिल कर सकता है। यह बात फैशन डिजाइनर आसमां हुसैन ने शनिवार को होटल ताज में ऑर्गनाइज हुए 'पहचान' द अवध फैशन समिट के दौरान कही। इस समिट का आयोजन कंफिडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री और यंग इंडिया की ओर से किया गया था।

तब भ्ख् परसेंट एक्सपोर्ट होता था, अब फ् परसेंट

इस अवसर पर आसमां हुसैन ने कहा कि आजादी से पहले हमारे देश के टेक्सटाइल इंडस्ट्री का भ्ख् परसेंट एक्सपोर्ट किया जाता रहा है। जो हमारे देश की सबसे बड़ी इंडस्ट्री थी, जिसके बाद जेवरात इंडस्ट्री का नम्बर आता है। लेकिन आजादी के बाद से इस इंडस्ट्री के ग्रोथ में काफी कमी आई है, जो मात्र तीन प्रतिशत रह गई है, वहीं ज्वैलरी इंडस्ट्री ने काफी ग्रोथ किया है। इस अवसर पर सीआईआई यंग इंडिया के चेयरपर्सन गौरव प्रकाश ने कहा कि यह समिट का मकसद इस व्यवसाय से जुड़े कारीगरों को सुविधाएं मुहैय्या कराना है। उन्होंने बताया कि बड़े डिजाइनर्स इन कारीगरों से अपना काम तो करा लेते हैं, मगर इन कारीगरों को वह पहचान नहीं देते। जबकि इस काम के असली हकदार इसके कारीगर है।

अगर सरकार सुधार करे

आज के टेक्सटाइल इंडस्ट्री के कुल एक्सपोर्ट का तीन प्रतिशत ही यूपी शेयर कर पाता है। जबकि हमारे देश में फ्00 तरह के इंडीजीनियस टेक्सटाइल से फैशन के कपड़ों का एक्सपोर्ट होता है। जिसमें से केवल यूपी में ही क्भ्भ् तरह के इंडीजीनियस टेक्सटाइल हैं। जिसमें अगर सरकार सुधार करे तो एक बार फिर से हम अपने पुरानी खोयी हुई अस्तित्व को वापस पा सकते हैं।

हमारे डिजाइनर्स ने साबित किया

स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, पुणे की प्रिंसिपल मंजू हुंडेकर ने कहा कि हमारे देश में एजुकेशन सिस्टम तो काफी पुराना है, पर फैशन एजुकेशन क्98म् के बाद शुरू हुआ, तब कह सकते हैं कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए इसकी शुरुआत की गई थी। ताकि इस क्षेत्र में एक्सपोर्ट और व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके। हमारे विदेश में अपनी अलग पहचान है, जिसे हमारे डिजाइनर्स ने समय-समय पर इसे साबित भी किया है। इसमें जरदोजी और चिकन के बने डिजाइनों ने इसमें काफी मदद की है।

जरदोजी को दुनिया के सामने लाए

उन्होंने कहा कि जब क्998 में पहली बार देश में लंदन स्कूल ऑफ फैशन की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, उस स्टेज पर डिजाइनर रितु कुमार ने पहली बार जरदोजी और अवध क्राफ्ट को दुनिया के सामने दोबारा से उसके पुराने पहचान में पेश किया था। मंजू हुंडेकर ने कहा कि आज हमारे यहा चार हजार छोटी यूनिट अवध में जरदोजी का काम कर रही हैं। जिसमें क्राफ्ट इंडस्ट्री और एजुकेशन को साथ आना चाहिए, तभी इस क्षेत्र और उससे जुड़े कारीगरों को विकास हो सकता है।

'चिकन और जरदोजी में करने को बहुत कुछ'

मशहूर फैशन डिजाइनर रिना ढाका ने इस अवसर पर कहा कि अगर आप दुनिया का डिजाइनर मार्केट देखेंगे तो वो बहुत फैल चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय फैशन की ख़ूबी है कि हमारा काम काफी हद तक अनोखा है, हमारे यहां कपड़े बनाने में पारंपरिक चीजों का भी ध्यान रखा जाता है। साथ ही इसको बनाने के लिए मशीनों से अधिक कारीगरों का भी इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि 90 के दशक में उदारीकरण के दौर के बाद भारत के फैशन उद्योग में कई बदलाव आए हैं। हमारे पारंपरिक डिजाइन्स भारत से बाहर भी लोग पसंद करने लगे हैं। लेकिन हमारे कुछ पारंपरिक डिजाइनों को विदेशी डिजाइनरों ने अपने यहां पेटेंट करा लिया है। उन्होंने कहा कि लखनवी चिकन जरदोजी का काम बहुत पुराने समय से हो रहा है। यहां पर यह काम बहुत छोटे स्तर पर होता है। इस छोटे उद्योग के विकास को और बढ़ाने की जरूरत है। सरकार को इस क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।

ज्वाइंट वेंचर के तहत होगा विकास

समिट की चीफ गेस्ट सांसद डिम्पल यादव ने कहा कि इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट के साथ ज्वाइंट वेंचर की स्थापना की जाएगी। जिसके तहत मलिहाबाद में ख्भ् एकड़ में एक क्राफ्ट विलेज बनाने का प्रस्ताव है। जहां पर चिकन और जरदोजी के काम से जुड़े कारीगरों को खास सुविधाएं मुहैया कराया जाएगा। जिससे इस काम से जुड़े कारीगरों को उनके काम की ब्रांडिंग और प्रमोशन मिल सके। इसके साथ ही इस उद्योग के कारीगरों के हेल्थ और विकास के लिए भी प्रदेश सरकार की ओर से स्पेशल सुविधाएं मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा जाएगा।

फिल्मों का भी बड़ा रोल

वहीं इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पद्मश्री मुज्जफर अली ने कहा कि किसी भी चीज को आगे ले जाने में मूवी का बहुत बड़ा रोल होता है। जिसे आज के फिल्म मेकर को समझना होगा। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका ने अपने उत्पादों को अपने फिल्मों के माध्यम से एक ब्रांड का रूप दे दिया है। जिसमें उनके कपड़ों के डिजाइन और फैशन तक शामिल है। आज हमारे फिल्म मेकर्स को भी यह बात समझनी चाहिए।

Posted By: Inextlive