पुलिस के मुताबिक शहर में सबसे ज्यादा नशा तस्करी का कारोबार हुसैनगंज बाजारखाला चिनहट आलमबाग चारबाग नाका जानकीपुरम मड़ियांव हसनगंज सहित कई इलाकों में फैला है। पुलिस सैकड़ों नशा तस्कर को गिरफ्तार कर चुकी है।


लखनऊ (ब्यूरो)। 'भाई, मिठाई का क्या रेट चल रहा है', यह सुनकर आपको लगेगा कि यहां मिठाई की अलग-अलग किस्मों कारेट पूछा जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह सिर्फ पुलिस को गुमराह करते हुए नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त के नए 'कोडवर्ड्स' हैं। दरअसल, राजधानी में नशा सप्लायरों ने गांजा और स्मैक खरीदने के लिए अलग-अलग कोडवर्ड दिए हैं, ताकि पुलिस और अन्य लोगों को भनक न लगे कि यहां नशे का कारोबार चल रहा है। इस काले धंधे को समझने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की यह खास रिपोर्टदर्जनों नामों से नशा सप्लाई


राजधानी के ऐसे कई एरिया हैं, जहां पर सबसे ज्यादा गांजा की तस्करी हो रही है। ऐसे में क्राइम ब्रांच समेत कई थानों की पुलिस ने इसपर लगाम कसने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया है। पुलिस की इंवेस्टिगेशन में सामने आया है कि ये तस्कर पुलिस से बचने के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें गांजा को बेचने के लिए कई ऐसे नामों को रखा गया है, जिन्हें सुनने के बाद भी कोई इनपर शक न कर सके। ये तस्कर दर्जनों नाम से गांजा समेत अन्य नशे को अलग-अलग नामों से खरीदते बेचते हैं। हालांकि, इनपर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने अब कमर कस ली है।

क्वालिटी के हिसाब से नामगांजा को अलग-अलग नामों से बेचने की एक यह भी वजह सामने आई है कि इनकी क्वालिटी के हिसाब से इनके रेट तय किए जाते हैं। गांजा और स्मैक की अलग-अलग जगहों से आने वाली सप्लाई अलग-अलग वेरायटी की होती है। हर एक वेरायटी के ग्राहक तस्करों के पास बंधे होते हैं। बिहार झारखंड समेत आसपास के सीमावर्ती इलाके से आने वाले गांजा को जोहार नाम से पुकारा जाता है। इसी तरह अन्य अलग-अलग जगहों से आने वाले नशे को अलग-अलग नाम दिया गया है। यानी जितनी अच्छी क्वालिटी उतने ही अच्छे पैसों के साथ इनको बेचा जाता है। इन रास्तों से होती है सप्लाईपुलिस के मुताबिक, शहर में सबसे ज्यादा नशा तस्करी का कारोबार हुसैनगंज, बाजारखाला, चिनहट, आलमबाग, चारबाग, नाका, जानकीपुरम, मड़ियांव, हसनगंज सहित कई इलाकों में फैला है। पुलिस सैकड़ों नशा तस्कर को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें से सबसे ज्यादा तस्कर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले हैं। ज्यादातर केसों में देखा गया है सीतापुर व बाराबंकी के रास्ते नेपाल से गांजे की सर्वाधिक सप्लाई हो रही है। कस्टमर्स बंधे हुए हैं

पुलिस पूछताछ में एक तस्कर ने बताया कि ग्राहकों को गांजा की 5 ग्राम की पुड़िया 50 से 100 रुपये तक बेची जाती है। अगर स्मैक की बात करें तो एक ग्राम की पुड़िया 100 से 200 रुपये और चरस की दो ग्राम की एक गोट (पुड़िया) को करीब 150 से 200 रुपये तक में बेचा जाता है। इन्हें खरीदने के लिए अधिकतर कस्टमर्स बंधे होते हैं। डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि नशा तस्करों पर लगाम लगाने के लिए आए दिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर जरूरी एक्शन लेती है, ताकि नशे पर अंकुश लगाया जा सके।इन-इन नामों से बिक रहा नशा-करिश्मा-बाहुबली-पुड़िया-ग्रास-मेथी-बूटा-कटरीना-जहर-पुष्पा-हरौनी-मिठाई-धुआं-जोहार-गोली-रितिक-गोलाइन इलाकों में ज्यादा समस्या-हुसैनगंज-बाजारखाला-चिनहट-आलमबाग-चारबाग-नाका-जानकीपुरम-मड़ियांव-हसनगंज

Posted By: Inextlive